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दिल्ली में फिर चढ़ेगा सियासी पारा, मानसून सत्र में BJP सरकार के खिलाफ ‘हल्ला बोल’ की तैयारी, जानिए गणित

Delhi Monsoon Session: दिल्ली में मानसून सत्र से पहले एक बार फिर सियासी पारा गरमा गया है। इसकी झलक 4 से 8 अगस्त के बीच दिल्ली विधानसभा में आयोजित होने वाले मानसून सत्र में भी दिखाई देगी।

Delhi Monsoon Session: दिल्ली में फिर चढ़ेगा सियासी पारा, मानसून सत्र में BJP सरकार के खिलाफ 'हल्ला बोल' की तैयारी, जानिए गणित
दिल्ली में फिर गरमाएगी सियासत।

Delhi Monsoon Session: दिल्ली में एक बार फिर सियासत में उबाल देखने को मिल रहा है। हालांकि रेखा सरकार अपने बचाव के साथ ही विपक्ष के मुद्दों पर पैनी नजर बनाए हुए है। इसके चलते दिल्ली में काफी समय से विपक्ष के लिए मुद्दा बने बुलडोजर कार्रवाई पर रेखा सरकार ने विराम लगाने का आदेश दे दिया है। इसके साथ ही झुग्गी बस्ती वाले लोगों को भी आश्वासन दिया कि जब तक हर झुग्गी बस्ती निवासी को मकान नहीं मिल जाता, तब तक झुग्गियां तोड़ी नहीं जाएंगी। इसके लिए रेखा सरकार ने शनिवार को दिल्ली में खाली पड़े 50 हजार फ्लैटों को भी ठीक करवाकर बांटने का ऐलान किया है। दूसरी ओर आम आदमी पार्टी ने इसे सिर्फ जुमला बताया। इसके साथ ही दिल्ली के स्कूलों में फीस बढ़ोतरी को लेकर लाए गए रेखा सरकार के अधिनियम पर सवाल उठा दिए।

दिल्ली में चार अगस्त से शुरू होगा विधानसभा का मानसून सत्र

शनिवार को दिल्ली की सीएम रेखा गुप्ता ने दिल्ली सचिवालय में विधायक दल के साथ बैठक की। इस बैठक में ‘विकसित दिल्ली’ के संकल्प को साकार करने पर विधायकों से चर्चा की गई। सीएम रेखा गुप्ता ने बताया "4 अगस्त से 8 अगस्त के बीच आयोजित होने वाले विधानसभा सत्र से पहले यह बैठक हमारी साझा रणनीति, प्राथमिकताओं और जनहित के मुद्दों पर विचार-मंथन का एक महत्वपूर्ण अवसर रही। इस बार का सत्र दिल्ली विधानसभा के इतिहास में एक नया अध्याय जोड़ेगा। यह पहला पूर्णतः पेपरलेस ई-विधानसभा सत्र होगा। यह परिवर्तन हमारी सरकार की तकनीक आधारित पारदर्शिता और दक्षता के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है।"

सीएम रेखा ने शिक्षा से संबंधित विधेयक पर क्या कहा?

सीएम रेखा गुप्ता ने आगे कहा "इस सत्र में शिक्षा से संबंधित एक महत्वपूर्ण विधेयक भी चर्चा के लिए पटल पर रखा जाएगा, जो दिल्ली के शिक्षा तंत्र को और अधिक सुदृढ़ और समावेशी बनाने की दिशा में एक निर्णायक कदम होगा। हमारी सरकार झुग्गियों में रहने वाले परिवारजनों को अब पक्का मकान, बिजली-पानी, शौचालय, सीवर और पार्क जैसी बुनियादी सुविधाओं का अधिकार सुनिश्चित कर रही है। सालों तक जिन्हें अंधेरे में रखा गया, अब वही लोग सम्मान, सुविधा और सुरक्षा के साथ एक नया जीवन जी पाएंगे। डबल इंजन सरकार का संकल्प है कि दिल्ली का हर नागरिक गरिमा, सहूलियत और आत्मविश्वास के साथ जीवन जिए।"

मानसून सत्र में रेखा सरकार को घेरने की तैयारी में जुटी AAP

आम आदमी पार्टी ने मानसून सत्र में रेखा सरकार को घेरने की पूरी रणनीतिक तैयारी में जुट गई है। इसकी बानगी शनिवार को AAP की प्रेस कॉन्फ्रेंस में देखने को मिली, जब AAP के दिल्ली संयोजक सौरभ भारद्वाज ने रेखा सरकार पर स्कूलों की मनमानी के खिलाफ लाए गए अधिनियम पर कई सवाल खड़े कर दिए। आम आदमी पार्टी के दिल्ली संयोजक सौरभ भारद्वाज ने कहा कि स्कूलों की फीस बढ़ोतरी के खिलाफ दिल्ली सरकार जो अधिनियम ला रही है। उसमें ऑडिट का कोई प्रावधान नहीं है। इसका मतलब भाजपा सरकार की मंशा ही नहीं है ऑडिट कराने की। उन्होंने ये भी कहा कि भाजपा ने जिन योजनाओं का ऑडिट कराने की बात कही थी, उनकी रिपोर्ट भी अब तक सार्वजनिक नहीं की है।

शिक्षा से संबंधित विधेयक पर सौरभ भारद्वाज ने उठाए सवाल

सौरभ भारद्वाज ने कहा "1973 से दिल्ली में ऐसा कानून चला आ रहा था कि जिन स्कूलों ने सरकार से जमीन ली है, वो फीस बढ़ाने से पहले डायरेक्टर ऑफ एजुकेशन से पहले अनुमति लेंगे, लेकिन भाजपा सरकार ने ये नियम भी खत्म कर दिया है। अब सरकार की कमेटी डायरेक्ट अप्रूवल देगी। यानी उन स्कूलों की इस कानून में दिवाली मना दी गई है, जिन्होंने दिल्ली सरकार से करोड़ों रुपये की जमीन निशुल्क ली है। मेरे दिल्ली की सीएम और शिक्षामंत्री से दो सवाल हैं, जिनके जवाब देने होंगे।"

AAP के दिल्ली संयोजक सौरभ भारद्वाज ने क्या कहा?

सौरभ भारद्वाज ने सवाल पूछते हुए कहा "इस कानून के आने के बाद जिन स्कूलों ने अप्रैल में फीस बढ़ाई है, वो फीस कैसे रोल बैक होगी? इसके अलावा इस कानून के अंदर ऑडिट का प्रावधान क्यों नहीं रखा गया, बिना ऑडिट के आप कैसे तय करेंगे कि स्कूल कितनी फीस बढ़ा सकता है और कितनी नहीं? साथ ही भाजपा सरकार ये भी बताए कि स्कूलों के खिलाफ शिकायत करने के लिए 15 प्रतिशत अभिभावकों की आवश्यकता क्यों है? जब एक भी पैरेंट्स शिकायत कर सकता है तो आपको 450 पैरेंट्स क्यों चाहिए? दिल्‍ली में लगभग तीन हजार स्कूल हैं। इनमें कोई साढ़े चार सौ पैरेंट्स कैसे इकट्ठा करेगा?"