संसद में एक बार फिर सरकार और विपक्ष के बीच तीखी बहस देखने को मिली। मुद्दा था ऑपरेशन सिंदूर और खासतौर पर विदेश मंत्री एस. जयशंकर की ओर से दिया गया बयान, जिसमें उन्होंने कहा कि अमेरिका का इस मामले में कोई रोल नहीं था। लेकिन विपक्ष ने इस बयान पर सवाल उठाए, और बार-बार भाषण के दौरान रुकावटें डालीं।
इसी बीच गृह मंत्री अमित शाह ने मोर्चा संभाला और विपक्ष पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा कि विपक्ष को भारत के विदेश मंत्री पर भरोसा नहीं है, लेकिन किसी दूसरे देश पर भरोसा है। उन्होंने यह भी जोड़ा कि कुछ पार्टियों की राजनीति में विदेश का इतना ज्यादा प्रभाव है कि वो संसद में भी अपने एजेंडे को थोपने की कोशिश कर रहे हैं।
अमित शाह ने आगे कहा, “यही वजह है कि वे आज विपक्ष में बैठे हैं, और अगले 20 साल तक वहीं बैठेंगे।”
विपक्षी नेताओं की ओर से हंगामा जारी था, लेकिन अमित शाह ने पलटवार करते हुए कहा, “क्या अपने देश के विदेश मंत्री पर भरोसा नहीं करोगे?”
इस दौरान एस. जयशंकर ने एक बार फिर साफ किया कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से भारत और पाकिस्तान के बीच मध्यस्थता की जो बात कही जा रही थी, वो बिल्कुल गलत है। उन्होंने कहा कि 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले और 17 जून को घोषित सीज़फायर के बीच प्रधानमंत्री मोदी और डोनाल्ड ट्रंप के बीच कोई फोन कॉल तक नहीं हुई थी।
जयशंकर ने यह बयान विपक्ष द्वारा उठाए गए उन सवालों के जवाब में दिया, जिसमें दावा किया गया था कि अमेरिका ने किसी तरह से भारत और पाकिस्तान के बीच भूमिका निभाई थी।
पूरे मामले में सरकार का कहना है कि भारत ने न केवल आतंकियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की, बल्कि विदेश नीति के स्तर पर भी किसी भी बाहरी दबाव को नहीं माना।
इस पूरी बहस ने संसद में सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच तनाव को और बढ़ा दिया है, और आने वाले दिनों में ये टकराव और तेज हो सकता है।