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चंद्र ग्रहण का जादुई असर, भूलकर भी ना करें ये गलती.. ऐसे खुलेगी किस्मत.?

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, चंद्र ग्रहण के समय सूतक काल लगता है, जिसे अशुभ काल कहा जाता है। इस बार सूतक काल दोपहर 12 बजकर 57 मिनट से शुरू होगा, जो ग्रहण मोक्ष यानी समाप्ति के समय रात 1:27 बजे तक जारी रहेगी। ग्रहण के दौरान सावधानी बरतना जरूरी है नहीं तो नुकसान हो सकता है।

भारत

Darsh Sharma

Sep 06, 2025

साल 2025 का दूसरा और आखिरी पूर्ण चंद्र ग्रहण 7 सितंबर को है। जब धरती सूर्य और चंद्रमा के बीच आ जाती है और अपनी छाया चांद पर डालती है, तब चंद्र ग्रहण होता है। ये खगोलीय घटना न सिर्फ वैज्ञानिकों के लिए खास है, बल्कि धार्मिक, ज्योतिषीय और सांस्कृतिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती है। इस बार का चंद्र ग्रहण रात 9 बजकर 57 मिनट पर शुरू होगा और रात 1 बजकर 27 मिनट पर समाप्त होगा। ये पूरा ग्रहण लगभग साढ़े तीन घंटे तक चलेगा और भारत के सभी हिस्सों में आसानी से दिखाई देगा। ग्रहण के दौरान चंद्रमा पूरी तरह धरती की छाया में डूब जाएगा, जिसे आम भाषा में ‘ब्लड मून’ कहा जाता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि चंद्रमा उस समय हल्के लाल रंग का दिखता है।

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, चंद्र ग्रहण के समय सूतक काल लगता है, जिसे अशुभ काल कहा जाता है। इस बार सूतक काल दोपहर 12 बजकर 57 मिनट से शुरू होगा, जो ग्रहण मोक्ष यानी समाप्ति के समय रात 1:27 बजे तक जारी रहेगी। ग्रहण के दौरान सावधानी बरतना जरूरी है नहीं तो नुकसान हो सकता है। इस दौरान मंदिरों के दरवाजे बंद कर दिए जाते हैं। पूजा-पाठ, भोजन बनाना, या करना निषेध होता है। गर्भवती महिलाओं को विशेष सावधानियां बरतनी चाहिए, जैसे कि नुकीली चीजों से दूर रहना और बाहर न निकलना। इस समय केवल भगवान का नाम जपना, मंत्र जाप करना और ध्यान लगाना ही शुभ माना जाता है। माना जाता है कि इस दौरान मंत्रों की शक्ति कई गुना बढ़ जाती है। ज्योतिषियों के मुताबिक ग्रहण काल के दौरान नकारात्मक शक्तियां सक्रिय होती हैं। ऐसे में भगवान की मूर्तियों को छूना अशुभ माना जाता है। इस दौरान घर के मंदिर को लाल या पीले कपड़े से ढक दें। इस दिन तुलसी, पीपल और बरगद के पेड़ों को छूने से बचें। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार ऐसा करने से दोष लग सकता है। ग्रहण वाले दिन ऐसे लोगों से न मिलें जो नकारात्मक बातें करते हैं। झगड़ा या वाद-विवाद से भी दूर रहें, वरना घर की शांति भंग हो सकती है। ग्रहण काल में दांपत्य संबंध बनाना अशुभ माना जाता है। इसके अलावा इस दौरान ज्यादा बातचीत या बहस करने से भी दूरी बनाए रखें। ग्रहण के दिन नाखून और बाल काटना भी अशुभ होता है। अगर आप साल के अंतिम चंद्र ग्रहण को देखने का विचार बना रहे हैं, तो ऐसी गलती बिल्कुल भी न करें। माना जाता है कि इस अवधि में चंद्रमा की किरणें अशुद्ध हो जाती हैं, जिससे बचना जरूरी होता है। अगर आप इस समय बाहर निकल जाएं तो इसका बुरा असर पड़ता है।

ये तो आपने जाना कि ग्रहण के दौरान क्या नहीं करना चाहिए.. अब आपको बताते हैं कि ग्रहण के दिन क्या क्या करना शुभकारी रहेगा। ग्रहण काल में दान करने का विशेष महत्व है। मान्यता है कि इस दिन चावल, दूध, घी, सफेद वस्त्र और चांदी का दान करने से चंद्र दोष दूर होता हैं और पितरों का आशीर्वाद मिलता है। पं. हर्षवर्धन शर्मा के मुताबिक इस दिन मंत्र जाप बेहद फलदायी होता है। शिव जी का महामृत्युंजय मंत्र और चंद्रमा का मंत्र ‘ॐ श्रां श्रीं श्रौं सः चंद्रमसे नमः’का जप करना चाहिए। इसके साथ ही, आप अपने इष्ट देव के मंत्रों का जाप भी कर सकते हैं। ग्रहण काल में श्राद्ध, हवन, जप और तर्पण करने से पूर्वज प्रसन्न होते हैं और घर-परिवार पर आशीर्वाद बना रहता है। इस समय धार्मिक ग्रंथों का पाठ करना चाहिए। माना जाता है कि इससे मन को शांति और सकारात्मक ऊर्जा मिलती है। ग्रहण समाप्त होने के बाद स्नान करना चाहिए। इससे शरीर और घर में फैली नकारात्मकता दूर होती है। स्नान के बाद घर और मंदिर में गंगाजल का छिड़काव अवश्य करें।

ज्योतिषाचार्य पं. शरद शर्मा के मुताबिक, यह चंद्र ग्रहण भी बेहद खास है क्योंकि ये शनि की राशि कुंभ और गुरु के नक्षत्र पूर्वाभाद्रपद में लग रहा है। साथ ही राहु चंद्रमा के साथ युति बना रहा है, जिससे ग्रहण योग बनता है। यह योग कुछ राशियों के लिए थोड़ी मुश्किलें लेकर आ सकता है। वृषभ, तुला और कुंभ राशि वाले लोगों को खास सतर्क रहने की जरूरत है। वृषभ राशि वालों को स्वास्थ्य और व्यापार में परेशानी हो सकती है, तुला राशि के लोगों को मानसिक तनाव और धन के मामलों में नुकसान झेलना पड़ सकता है, जबकि कुंभ राशि में तो ग्रहण लग ही रहा है, इसलिए उनके लिए यह समय काफी संवेदनशील माना जा रहा है।

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