नागौर. नई सफाई व्यवस्था के लागू होने तक शहर शायद यूं ही कचरे के ढेर पर रहेगा…! सार्वजनिक मार्गों, खुले मैदानों के साथ ही सडक़ों के दोनो किनारों पर लगते कचरे का ढेर यही बताता नजर आ रहा है। हालांकि आयुक्त का पदभार ग्रहण करने के दौरान देवीलाल बोचल्या ने सफाई कर्मियों के साथ हुई बैठक में स्पष्ट कर दिया था कि वह कार्यों की जांच आफिस में बैठकर नहीं, बल्कि बाहर निकलकर करते हैं। उस समय लोगों को उम्मीद बंधी कि शायद अब पूरे शहर में सफाई व्यवस्था में न केवल सुधार आएगा, बल्कि शहर चमचमाएगा। शहरवासियों का कहना है कि लगभग एक माह होने के बाद भी हालात नहीं बदले। स्थिति यह है कि अलसुबह मार्निंग वॉक के दौरान भी यह गंदगी के खड़े पहाड़ों की दुर्गन्ध परेशान करती रहती है।
हर जगह बनने लगे अघोषित कचरा डिपो
शहर की सफाई व्यवस्था पटरी से उतर चुकी है। कई जगहों पर कचरों के ढेर के साथ नालियों के किनारे के लग रहे गंदगी के पहाड़ों ने स्थिति विकट कर दी है। यह स्थिति केवल नालियों एवं नालों की ही नहीं, बल्कि रिहायसी क्षेत्र के कई मार्गों की है। शहर के गली-मोहल्लों में सडक़ों पर लगे कचरे व गंदगी के ढेर से स्थिति बिगडऩे लगी है। स्थिति यह है कि शहर में नया दरवाजा के अंदर यहां से कांकरिया विद्यालय की ओर जाने वाले रास्ते पर कई जगह बिखरा हुआ कचरा नजर आ जाता है। इसी तरह से कलक्ट्रेट से रेन बसेरा के निकट से जड़ा तालाब की ओर जाने वाले मार्ग पर तो कई जगह बिखरे कचरे के पहाड़ के कारण यह अघोषित कचरा डिपो के तौर नजर आने लगा है। सफाई व्यवस्था की स्थिति अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि नगरपरिषद से महज सौ मीटर की दूरी पर रेलवे स्टेशन रोड पर कचरा के लगे अंबार पर आवारा पशु कभी भी गंदगी में भोजन की तलाश करते हुए देखे जा सकते हैं। इसके साथ ही किले की ढाल, बाठडियों का चौक, मच्छियों का चौक आदि रास्तों पर बिखरे कचरे भी खुद-ब-खुद सफाई व्यवस्था की कड़वी सच्चाई दिखाते हुए नजर आते हैं।
यहां पर भी हालात खराब
शहर के नया दरवाजा से बंशीवाला मंदिर, प्रतापसागर तालाब से सलेऊ रोड मार्ग, नकासगेट से गांधी चौक, गांधी चौक से दिल्ली दरवाजा, नया दरवाजा से दिल्ली दरवाजा, ब्रह्मपुरी, करणी कॉलोनी, व्यास कॉलोनी, इंदिरा कॉलोनी, कोतवाली थाने के बगल से जोधपुर रोड की ओर जाने वाला मार्ग, कुम्हारी दरवाजा, अजमेरी गेट, प्रतापसागर तालाब के पास आदि क्षेत्रों में भी कई जगहों पर कचरे के ढेर लगे हुए हैं।
शहर में नहीं नजर आते हैं डस्टबीन
शहर के प्रमुख स्थलों में पुराना हॉस्पिटल से लेकर अंतिम छोर यानि की केन्द्रीय बस स्टैंड अथवा बाजारों में डस्टबीन नजर नहीं आते हैं। शहरवासियों का मानना है कि डस्टबीन होने की स्थिति में लोग कम से कम कचरा इसमें डाल देते। जबकि परिषद की ओर से कहा गया था कि सूखा एवं गीला कचरा संग्रहण के लिए पात्रों को रखवाने के साथ ही इनका संग्रहण भी व्यवस्थात्मक तरीके से कराया जाएगा, लेकिन ऐसा अब तक नहीं हुआ।
सफाई कब होती है, पता ही नहीं चलता
सफाई व्यवस्था की स्थिति को सुधारने के लिए नगरपरिषद की ओर से शहर के विभिन्न क्षेत्रों में बीट कांस्टेबल की तर्ज पर सफाई निरीक्षक, कर्मी एवं जमादार आदि के नंबर संबंधित क्षेत्रों में चस्पॉ कराने थे। इसको अब तक नहीं कराया जा सका। बताते हैं कि नियमित एवं ठेकाकर्मी मिलाकर सफाई कर्मियों की संख्या का आंकड़ा 500 के पार पहुंच जाता है। इसके बाद भी कचरे के ढेर लगे रहते हैं। अब यह सफाई कर्मी कहां पर सफाई करने जाते हैं। इसकी जानकारी संबंधित क्षेत्र के बाशिंदों को भी नहीं रहती है। इसके बाद भी बेहतर सफाई व्यवस्था का कागजी दावा नगरपरिषद की ओर से जरूर किया जाता है।
सफाई पेटे भुगतान की होनी चाहिए जांच
शहर में तकरीबन डेढ़ लाख की आबादी के बीच कुल 10 जोन बनाए गए हैं। इन जोनों को सफाई ठेकेदारों में बांट दिया गया है। कचरा संग्रहण का जिम्मा इन अनुबंधित एजेंसियों का भी है। तीनों अनुबंधित एजेंसियों पर लगभग 45 लाख रुपए हर माह व्यय किए जाते हैं। अब लाखों की राशि व्यय करने के बाद भी न तो कचरे का ढेर अपनी जगह से उठता है, और न ही कचरा संगहण की गाडिय़ां कहीं नजर आती हैं। शहरवासियों का कहना है कि इसकी जांच कराई जानी चाहिए।
एक नजर इस पर भी
सफाई व्यवस्था के संसाधनों पर एक नजर
कुल सफाई कर्मियों की संख्या-387
ठेके पर लिए गए सफाई कर्मी-120
नगरपरिषद के सफाई कर्मी-267
कुल आटो टिप्पर-58
कुल ट्रेक्टर-3
गाडिय़ां कब आती हैं, पता ही नहीं चलता
शहर में कचरा संग्रहण के लिए नगरपरिषद की ओर से आने वाली गाडिय़ां रिहायशी क्षेत्रों में कब आती हैं, और चली जाती हैं। इसका लोगों को पता ही नहीं चलता है। कचरे के अंबार लगे रहने के बाद भी नगरपरिषद की कचरा संग्रहण की गाडिय़ां कागजी आंकड़ों में तेजी से दौड़ रही हैं। गंदगी की वजह से लोगों में अब असंतोष के स्वर मुखर होने लगे हैं।
इनका कहना है…
सफाई व्यवस्था के स्थिति की जांच करा ली जाएगी। शहरी क्षेत्र में कचरा परिवहन नहीं हो रहा है, या क्षेत्रों में कचरे के अंबार लगे हुए हैं तो इसकी जांच कर प्रावधान के अनुसार आवश्यक कदम उठाए जाएंगे।
गोविंद सिंह भींचर, आयुक्त एवं उपखण्ड अधिकारी नागौर