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Nagaur patrika…आचार्य जीतमल म.सा. का सम्पूर्ण जीवन सरलता, मृदुता का प्रतीक…VIDEO

नागौर. चातुर्मास में चल रहे प्रवचन में सुशील आराधना भवन में श्रावक-श्राविकाओं को गुरुवार को जैन समणी सुयशनिधि ने दीक्षा की ओर यात्रा – मात्र 8 वर्ष की आयु में वैराग्य का संकल्प” विषय की जानकारी देते हुए बताया कि आचार्य जीतमल म.सा. का सम्पूर्ण जीवन सरलता, मृदुता और गंभीरता से ओतप्रोत था। वह न […]

नागौर. चातुर्मास में चल रहे प्रवचन में सुशील आराधना भवन में श्रावक-श्राविकाओं को गुरुवार को जैन समणी सुयशनिधि ने दीक्षा की ओर यात्रा – मात्र 8 वर्ष की आयु में वैराग्य का संकल्प” विषय की जानकारी देते हुए बताया कि आचार्य जीतमल म.सा. का सम्पूर्ण जीवन सरलता, मृदुता और गंभीरता से ओतप्रोत था। वह न केवल धार्मिक अनुशासन में निपुण थे, बल्कि बौद्धिक क्षेत्र में भी अद्वितीय प्रतिभा के धनी थे। उस काल में उन्होंने दर्शन शास्त्र, व्याकरण शास्त्र, न्याय शास्त्र, अंग्रेज़ी, उर्दू, संस्कृत, प्राकृत जैसी भाषाओं में दक्षता प्राप्त करने के साथ ही साहित्य का भी अध्ययन किया। इसके साथ ही प्राचीन जैन आगमों का गहन अध्ययन करते हुए नंदी सूत्र, दशवैकालिक सूत्र, उत्तराध्ययन सूत्र आदि ग्रंथों को कंठस्थ किया। जैन समणी सुगमनिधि ने कहा कि प्रभु महावीर स्वयं तिर गए, और प्राणियों को तारने का मार्ग बताया है। बड़ी साधु वंदना की 23वीं कड़ी में राजा बलभद्र एवं रानी मृगावती का पुत्र मृगापुत्र का वर्णन करते हुए कहा कि मृगापुत्र ने राजपथ से विहार करते श्रमण को देख सोचा कि मैंने पहले भी कही देखा है। जाति स्मरण ज्ञान से पूर्वभव को जानकर विरक्ति के भाव जगे। नरक आदि गति का दु:ख अपने माता पिता के समक्ष व्यक्त करते। नरक यानि जहां सूर्य का प्रकाश न हो। जीव अपने अशुभ कर्म के कारण जहां दण्ड भुगतता है, उसका नाम है नरक। इसमें तीन प्रकार से वेदना होती है। यहां परमाधामिक देव से, क्षेत्र कृत और परस्पर एक दूसरे से लड़ते रहने के कारण वेदना का अनुभव करते हैं। इन सभी दु:खों का अंत संयम अंगीकार करने से होने पर विस्तार से प्रकाश डाला।
सामूहिक एकासन तप किया
जयगच्छीय 9वें पट्टधर आचार्य श्री जीतमल म.सा. के जन्मदिवस के अवसर पर सामूहिक एकासन तप में अनेक श्रद्धालु श्रावक-श्राविकाओं ने भाग लेकर संयममय आराधना की। इस दौरान प्रवचन के दौरान पूछे गए प्रश्नो के उत्तर श्रीमती रीटा ललवाणी, जतन बाघमार ने दिया। जिनको सुरेशचन्द्र महेश कुमार कोठारी ने रजत मेडल से सम्मानित किया। प्रवचन की प्रभावना का लाभ जोधपुर के गौतमचंद को मिला। सामुहिक एकासणा का आयोजन जतन कुमार दिलीप कुमार आयुष कुमार बाघमार की तरफ से किया गया। संचालन संजय पींचा ने किया। इस दौरान संघमंत्री हरकचंद ललवाणी, गौतमचंद, महावीरचंद भूरट, नरपतचंद ललवाणी, नरेंद्र चौरडिय़ा, मूलचंद ललवाणी, जितेन्द्र चौरडिय़ा, पुनमचंद बैद, राजेन्द्र ललवाणी आदि मौजूद थे।