नागौर नगर परिषद की गुरुवार को हुई साधारण सभा की बैठक हंगामे की भेंट चढ़ गई। सदन में विकास कार्यों की उपेक्षा, पार्षदों के सामूहिक इस्तीफों की अनदेखी और प्रस्तावों में पक्षपात जैसे मुद्दों को लेकर तीखी बहस हुई। इसी दौरान एक पार्षद द्वारा दूसरे पार्षद पर काली स्याही फेंकने की घटना ने माहौल को और तनावपूर्ण बना दिया। बैठक में मूर्ति स्थापना, द्वार निर्माण और भूमि आवंटन जैसे प्रस्तावों पर कई पार्षदों ने आपत्ति जताई और पारदर्शिता की कमी का आरोप लगाया। इस्तीफों को लेकर भी नाराजगी जताई गई कि 24 में से केवल 3 इस्तीफे नामजंूर करने पर संदेह सवाल उठाते हुए पूरा समय हंगामा ही होता रहा। हंगामा बढऩे के बाद सदन समाप्ति करने की घोषणा कर दी गई।
बैठक की शुरुआत सुबह 11 बजे सभापति मीतू बोथरा की अध्यक्षता में हुई। आयुक्त गोविंद सिंह भींचर ने एजेंडे में प्रस्ताव पढऩा शुरू किया—जिसमें तीन पार्कों का नामकरण, श्यामा प्रसाद मुखर्जी की मूर्ति लगाना, मीराबाई पार्क निर्माण, संस्थाओं को भूमि आवंटन जैसे मुद्दे शामिल थे। तभी पार्षद गोविंद कड़वा, भरत टांक, मनीष कच्छावा और अन्य ने हंगामा शुरू कर दिया। इन पार्षदों का कहना था कि परिषद शहर की जर्जर सडक़ों, सीवरेज और टूटी नालियों पर ध्यान देने की बजाय मूर्तियों और द्वारों पर बजट खर्च कर रही है। पार्षदों ने आरोप लगाए कि 24 पार्षदों द्वारा दिए गए सामूहिक इस्तीफों की स्थिति स्पष्ट नहीं की जा रही, और जिन तीन पार्षदों के इस्तीफे कथित रूप से मंजूर नहीं हुए, उन्हें क्यों बैठक में बुलाया गया?
विवाद के मुख्य मुद्दे
-24 पार्षदों के इस्तीफों की स्थिति स्पष्ट नहीं
– विकास कार्यों की उपेक्षा
-प्रस्तावित मूर्तियों पर अनावश्यक खर्च
-16 मामलों में थाने में भृष्टाचार के मामले दर्ज होने के बाद भी जांच आगे नहीं बढ़ रही
हंगामे की मुख्य घटनाए
– काली स्याही फेंकना
– माइक तोड़ा गया
-सभापति मुर्दाबाद के नारे लगे
काली स्याही इसलिए फेंकी
पार्षद भरत टांक ने कहा कि भाजपा की सरकार, सभापति और परिषद में भाजपा के ही बहुमत के बावजूद उनके वार्ड में पांच सालों में एक सडक़ तक नहीं बनी, न ही कोई पार्क। च्च्मैंने सैकड़ों पत्र दिए, लेकिन सभापति ने कोई जवाब नहीं दिया। जब नवरतन बोथरा ने मुझे बोलने से रोका तो मुझे विरोध के लिए यह कदम उठाना पड़ा।
नागौर किला भी दे दो सभापति को
पार्षद मनीष कच्छावा ने एजेंडा पढऩे के दौरान विरोध जताते हुए टेबल पर बैठने तक की स्थिति बना दी। उन्होंने आरोप लगाया कि जब शहर की सडक़ों, नालियों, कचरे की सफाई और जलभराव जैसे गंभीर मुद्दे हैं, तब मूर्तियों के नाम पर लाखों रुपए खर्च किए जा रहे हैं। आयुक्त को सम्बोधित करते हुए उन्होंने तंज कसा, नागौर का किला भी सभापति के नाम कर दो, हम सब चले जाते हैं। यह कहते हुए पार्षद मनीष कच्छावा, पार्षद गोविंद कड़वा, रघु माली, ललित लोमरोड आदि बाहर चले गए। इसके साथ ही उन्होंने वहां पर रखे माइक को भी तोडकऱ सभापति के सामने फेक दिया
“कोई कागज नहीं दिखाया”
पार्षदों ने जब तीन इस्तीफों की स्वीकृति के दस्तावेज मांगे तो सभापति ने कहा, “कॉपी मोबाइल में है, नहीं दिखा सकती।” इस पर विरोध और तेज हो गया। विरोधी पार्षदों के बाहर जाने के बाद सभापति ने बहुमत का हवाला देते हुए प्रस्ताव पारित घोषित कर बैठक समाप्त कर दी। सदन के बाहर पहले से तैनात पुलिस बल ने स्थिति को नियंत्रण में रखा, लेकिन पार्षदों की नाराजगी बैठक के बाद भी जारी रही।
एजेंडा पारित या फिर
एजेंडा पारित करने पर भी हुआ विवाद, पार्षद बोले— बहुमत नहीं था
नगर परिषद की बैठक में आयुक्त ने एजेंडा पढ़ा और सभापति ने उसे पारित घोषित कर दिया, जबकि पार्षदों ने आपत्ति जताई कि बैठक में उस समय बहुमत नहीं था, क्योंकि वे बाहर चले गए थे। पार्षदों ने कहा कि जब बहुमत नहीं था तो प्रस्ताव पारित नहीं माना जा सकता, वहीं सभापति ने इसे बहुमत से पारित बताया। एजेंडे में अहिछत्रपुर कॉलोनी के तीन पार्कों के नामकरण पं. दीनदयाल उपाध्याय पार्क, सुंदर सिंह भंडारी पार्क और मीरा बाई पार्क, इंदास रोड पर बीजेपी कार्यालय के सामने डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी की मूर्ति स्थापना और पार्क निर्माण, मंगलमय सेवा संस्थान को भूमि आवंटन का प्रस्ताव, तेजा पार्क के लिए भूमि चिन्हित करने का प्रस्ताव व जेएलएन अस्पताल के पास श्री जैन श्वेतांबर तपागच्छ श्री संघ को 5000-6000 वर्गमीटर भूमि आवंटन कर बहुउपयोगी भवन निर्माण की अनुमति का प्रस्ताव।
“एजेंडा बहुमत से पारित हुआ है। लेकिन जो पार्षद सदन की गरिमा भंग कर रहे हैं, उनके खिलाफ नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।”
मीतू बोथरा, सभापति
“मूर्ति, द्वार और नामकरण में करोड़ों खर्च हो रहे हैं, लेकिन जनता मूलभूत सुविधाओं को तरस रही है। ये जनादेश का अपमान है।” जबकि दो साल पूर्व नगरपरिषद की ओर से तोड़ा गया तेजा सर्किल को आज तक नहीं बनाया गया। इसको बनाया जाना चाहिए।
गोविंद कड़वा, पार्षद
डीएलबी बताएगी सभा की कार्रवाई वैध या अवैध
नगरपरिषद बोर्ड सदस्यों की संख्या वर्तमान में केवल 36 रह गई है। बोर्ड के बहुमत के लिए प्रावधान के अनुसार 40 पार्षद होने चाहिए। अब ऐसे में बहुमत कम होने की स्थिति में पार्षदों ने भी बोर्ड के भंग करने की मांग की थी। स्थिति की गंभीरता को ध्यान में रखते हुए आयुक्त गोविंद सिंह भींचर की ओर से जीसी होने की डेट जारी होने के बाद डीएलबी को पत्र भेजकर मार्गदर्शन मांगा गया था, लेकिन अभी तक मार्गदर्शन नहीं आया। विधि विशेषज्ञों की माने तो मार्गदर्शन आने पर ही पता चलेगा कि 31 जुलाई को हुई जीसी व इसके एजेंडे पारित माने जाएंगे या फिर खारिज हो जाएंगे। इसको लेकर चर्चाओं का बाजार भी गर्म है।
हाईकोर्ट में होगी सुनवाई
नगरपालिका अधिनियम के तहत बोर्ड में धारा 332 के तहत निर्धारित बहुमत से कम होने की स्थिति में साधारण सभा के आयोजन को लेकर पार्षद मुजाहिद की ओर से भी जोधपुर उच्च न्यायालय में याचिका भी लगाई गई है। इस पर भी सुनवाई होनी है। सुनवाई होने के बाद ही असमंजस की स्थित साफ हो पाएगी। पार्षद गोविंद कड़वा ने इसकी लिखित प्रति आयुक्त गोविंद सिंह भींचर को देते हुए बैठक को स्थगित करने का अनुरोध किया, लेकिन आयुक्त गोविंद सिंह भींचर का कहना था कि इस पर कोई आदेश नहीं है न्यायालय का। इसलिए बैठक होगी। हालांकि पार्षद कड़वा ने न्यायालय का लंबित प्रकरण बताते हुए विधिक दृष्टि से विचार करने का अनुरोध किया, लेकिन अनसुना कर दिया गया।
नगरपरिषद बना छावनी
गुरुवार को साधारण सभा में पार्षद शामिल होने के लिए पहुंचे तो वहां सभागार में भारी संख्या में पुलिस बल नजर आया। इसे देखते ही पार्षद मनीष कच्छावा सहित अन्य पार्षद भडक़ गए। बताते हैं कि साधारण सभा में अप्रिय स्थिति को लेकर आशंका थी। इसको ध्यान में रखते हुए आरएसी एवं पुलिस बल के जवान तैनात किए गए थे। पार्षदों के प्रबल विरोध के बाद पुलिस बल बाहर जाकर खड़ा हो गया। स्थिति यह रही सदन के समाप्त होने के दो घंटे के बाद भी पुलिस बल एहतियातन नगरपरिषद में इधर, उधर स्थिति पर नजर रखता नजर आया।