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Nagaur patrika…शिवबाड़ी के शानेश्वर महादेव का हर सावन इंद्रदेव भी करते हैं जलाभिषेक…VIDEO

नागौर. शहर की ढलान वाले शिवबाड़ी क्षेत्र में स्थित श्री शानेश्वर महादेव मंदिर न सिर्फ आस्था का केंद्र है, बल्कि परंपराओं से जुड़ी ऐतिहासिक धरोहर भी है। यह मंदिर कितना पुराना है, इसका कोई प्रमाण नहीं, लेकिन मान्यता है कि नागौर की स्थापना के साथ ही यह मंदिर अस्तित्व में आया। इसी मंदिर की नियमित […]

नागौर. शहर की ढलान वाले शिवबाड़ी क्षेत्र में स्थित श्री शानेश्वर महादेव मंदिर न सिर्फ आस्था का केंद्र है, बल्कि परंपराओं से जुड़ी ऐतिहासिक धरोहर भी है। यह मंदिर कितना पुराना है, इसका कोई प्रमाण नहीं, लेकिन मान्यता है कि नागौर की स्थापना के साथ ही यह मंदिर अस्तित्व में आया। इसी मंदिर की नियमित पूजा-अर्चना और श्रद्धालुओं की आस्था के कारण इस क्षेत्र को ‘शिवबाड़ी’ कहा जाता है।

इंद्रदेव करते हैं जलाभिषेक!
पुजारी दिनेश श्रीमाली बताते हैं कि इस मंदिर की सबसे खास बात यह मानी जाती है कि चातुर्मास के दौरान स्वयं इंद्रदेवता मंदिर में प्रवेश कर शिवलिंग पर जल चढ़ाते हैं। ऐसा कहा जाता है कि जिस वर्ष बारिश का पानी मंदिर में नहीं भरता, उस साल अकाल की स्थिति पैदा हो जाती है। ढलान में बसे इस मंदिर में अब तक ट्रस्ट की तमाम कोशिशों के बावजूद पानी आने से नहीं रोका जा सका है।
कहानी उस शिवलिंग की, जिसे कोई हिला नहीं सका
शिवलिंग को ऊंचाई पर ले जाने की कई बार कोशिश हुई, लेकिन कोई इसे हटाने की हिम्मत नहीं जुटा सका। आस्था इतनी प्रबल है कि ट्रस्ट ने पास की जमीन पर नया मंदिर बनवाने का निर्णय लिया, जहां से बारिश के दिनों में भी पुराने मंदिर तक पहुंचने का रास्ता तय हो गया। पुराने मंदिर में प्रवेश करते ही दाहिने हाथ की तरफ धुणॉ बना हुआ है। जिसमें जंगम बाबा तपस्या किया करते थे। इसके आगे समाधी बनी हुई है। परिसर में हनुमानजी का छोटा मंदिर भी है। निज मंदिर में स्थापित शिवलिंग और माता पार्वती की मूर्तिया हैं।

नया मंदिर – शिवलिंग जैसा आकार, आधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित
2015 में प्राण प्रतिष्ठा के साथ नये शिवमंदिर का उद्घाटन हुआ। नर्मदा से लाया गया नर्मदेश्वर शिवलिंग और मकराना की मूर्तियों से सजे इस धाम को ड्रोन कैमरे से देखने पर इसका आकार शिवलिंग जैसा नजर आता है। यहां कूलर, फ्रिज, जनरेटर, फ्रीज फूलों के लिए, पंखे और बैठने की व्यवस्था तक है।

सावन में गूंजता है ‘बम बम भोले’
सावन सोमवार को यहां विशेष पूजा, अभिषेक और मेले का आयोजन होता है। मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है। पिछले तीन साल से लोकेश टॉक के संयोजन में कांवड़ यात्रा निकाली जाती है। यह कांवड़ यात्रा शक्कर तालाब से शुरू होकर शिवबाड़ी मंदिर पहुंचती है। हजारों भोले के भक्त “हर-हर महादेव” की गूंज के साथ शिवलिंग पर जलाभिषेक कर मनोकामना पूर्ति की प्रार्थना करते हैं।

50 साल पुराना ट्रस्ट, सेवा में समर्पित
ट्रस्ट के मंत्री दिलीप पित्ती बताते हैं कि 1969 में बने ट्रस्ट का संचालन वर्तमान में अध्यक्ष चंद्रप्रकाश अग्रवाल के साथ 21 सदस्यीय टीम करती है। हर रोज सुबह 4 बजे से 11 बजे तक मंदिर खुला रहता है और सुबह-शाम नियमित अभिषेक व आरती होती है।