प्राकृतिक आपदा से बरबाद हो चुकी सोयाबीन फसल के बाद अब किसानों की बची फसलों पर भी मौसम की मार पड़ रही है। मंगलवार को अचानक मौसम बिगड़ा और जिले के कई ब्लॉक में तेज बारिश हुई। खेतों में सूख रही किसानों की सोयाबीन और मक्का की फसल भी बारिश से खराब हुई है। किसान बची हुई फसलों को बारिश से बचाने का जतन करते रहे।
जिला कृषि मौसम इकाई प्रभारी डॉ. सौरव गुप्ता ने बताया कि प्रदेश में 20 प्रतिशत बारिश उत्तर पूर्व मानसून से होती है। हिंद महासागर और बंगाल की खाड़ी में बने कम दबाव के क्षेत्र के चलते उत्तर पूर्व मानसून का असर जिले में भी देखने को मिला। जिले के हरसूद, बलड़ी, खालवा और पंधाना ब्लॉक के कई गांवों में तेज बारिश हुई है। खंडवा में भी आसमान पर बादल छाए और बूंदाबांदी भी हुई। इस दौरान 20 से 25 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से कुछ देर तेज हवाएं भी चली। बारिश की चेतावनी एक घंटा पूर्व ही दे दी थी। डॉ. गुप्ता ने बताया कि बुधवार को भी बादल और उमस के चलते उत्तर पूर्व मानसून के साथ लोकल सिस्टम से बारिश की संभावना है। किसान अपना कृषि कार्य संभलकर करें।
खेत में सूख रही फसलों को बचाते रहे किसान
जिले में 80 प्रतिशत रकबे में सोयाबीन की फसल खराब हो चुकी है। फसलों का सर्वे भी कृषि विभाग द्वारा राजस्व अमले के साथ किया जा रहा है। जो फसल बची है, उसे किसान सुखाने में लगे है। मंगलवार को पंधाना ब्लॉक के सिलोदा, बावडिय़ा काजी, बोरगांव खुर्द सहित आसपास के क्षेत्रों में बादल छाते ही किसान खेतों में सूख रही सोयाबीन और मक्का को तिरपाल से ढककर बचाने का जतन करते रहे। वहीं, खालवा और हरसूद क्षेत्र में फसलों को नुकसान होने के समाचार है।