प्राचीन पदमकुंड को प्रदूषण से बचाने इस बार प्रशासन ने सार्थक पहल करते हुए कृत्रिम कुंडों में विसर्जन की व्यवस्था की थी। निगम की अव्यवस्था और लापरवाही के चलते ये व्यवस्था पूरी तरह से फेल हो गई और देररात गणेश प्रतिमा विसर्जन के लिए आखिरकार प्रशासन को पदम कुंड की अनुमति देना पड़ी। रात 11 बजे से पदमकुंड में विसर्जन का सिलसिला शुरू हुआ।
इस बार प्रशासन की पहल पर निगम ने झीलोद्यान, आइटीआइ के पास और रामेश्वर कुंड के पास विसर्जन के लिए अस्थाई कृत्रिम कुंड बनाए थे। अनंत चतुर्दशी पर छोटी प्रतिमाओं का तो इन कुंडों में दोपहर बाद से विजर्सन शुरू हुआ। दिक्कत बड़ी प्रतिमाओं के पहुंचने पर हुई। यहां शाम 5 बजे पड़ावा सहित अन्य क्षेत्र की बड़ी प्रतिमाएं पहुंची। निगम ने कुंड 15 फीट गहरा बताया था, लेकिन यहां महज 7 फीट ही पानी भरा हुआ था। एक बड़ी प्रतिमा आधी ही विसर्जित हुई। जिसके बाद अन्य बड़ी प्रतिमाओं को गणेश मंडल संचालकों ने विसर्जन करने से मना कर दिया। यहां हिंदू संगठन के पदाधिकारी भी पहुंच गए और निगमायुक्त प्रियंका राजावत से जमकर बहस भी हुइ।
लगी लंबी कतार, रात को मिली अनुमति
बड़ी प्रतिमाओं के गणेश मंडल संचालकों द्वारा पदम कुंड में ही प्रतिमा की मांग की गई और विसर्जन रोक दिया गया। शाम 6 बजे से यहां पहुंची बड़ी प्रतिमाओं की लंबी कतार लगना शुरू हो गई। हिंदू संगठनों के आक्रोश के बाद मामला सांसद ज्ञानेश्वर पाटिल के पास पहुंचा। कलेक्टर ऋषव गुप्ता से सांसद ने बात की और अनुमति देने को कहा। रात 11 बजे बड़ी प्रतिमाओं को विसर्जन की अनुमति दी गई। वहीं, रात 11.30 बजे कलेक्टर ऋषव गुप्ता और एसपी मनोज कुमार राय भी पदम कुंड पहुंचे। उन्होंने बड़ी प्रतिमाओं के विसर्जन के लिए ही कहा और छोटी प्रतिमाओं को कृत्रिम कुंड में विसर्जित कराने के निर्देश दिए।