सहकारी केंद्रों पर डिमांड की आधी खाद भी नहीं मिली, सामान्य किसानों को दूर रेगुलर को भी नहीं मिल रही खाद, अधिकारी मक्का का रकबा बढ़ना बता रहे हैं।
जिले में खाद को लेकर यूं ही मारामारी नहीं मची है। दरअसल, अभी तक विक्रय की गई खाद बीते वर्ष की तुलना में पांच हजार टन यूरिया और तीन हजार टन डीएपी का अंतर है। खरीफ सीजन 2024-25 में यूरिया का विक्रय एक सितंबर की स्थिति में 33 हजार 756 टन हुआ था और इस वर्ष-2025-26 में अभी तक 31 हजार 072 टन ही विक्रय हुई है। दोनों वर्ष के बीच सप्लाई कम होने के कारण किसानों को खाद नहीं मिल रही है। ये हम नहीं बल्कि विभाग की ओर से जिला प्रशासन को भेजी गई रिपोर्ट खुद ब खुद बता रही है।
हैरानी की बात तो यह कि अफसर किसानों को मक्का का रकबा बढ़ने का तर्क दे रहे हैं। लेकिन, हकीकत यह कि खंडवा में 109 सोसायटियों में रेगुलर किसानों की संया 60 हजार से अधिक है। इसमें डिफाल्टर किसान शामिल नहीं हैं। जबकि डेढ़ लाख किसान सोसायटियों से बाहर हैं। अधिकतर सोसायटियों में डिमांड के आधार पर आधी भी खाद नहीं पहुंची हैं। सोसायटी में खाद नहीं मिलने मार्कफेड पर किसान पहुंचने लगे।
किसानों की रिपोर्ट के अनुसार खार कला सोसायटी को डेढ़ माह बाद सिर्फ डीएपी 25 टन और 27 टन एनपीके मिली है। बरुडभोजाखेडी में 650 किसान रेगुलर किसान हैं। इस सोसायटी में अभी तक 400 बोरी खाद मिली है। जबकि डिमांड तीन गुना है। ये कहानी अकेले यहां की नहीं अधिकतर सोसायटी की है।
रामपाल सिंह, किसान, रोहिणी : 5 एकड़ सोयाबीन फसल की बोवनी की है। यूरिया खाद नहीं मिली। पूरी फसल पीली पड़ गई है। फसलों के अनुसार खाद नहीं मिल रही है।
प्राथमिक कृषि साख सहकारी सोसायटी ( बी-पैक्स ) मर्यादित बडग़ांव गुर्जर में डिमांड की एक चौथाई हिस्सा खाद नहीं मिली है। यहां पर यूरिया 50 टन, डीएपी 25 टन, 123216 सिर्फ 25 टन और पोटाश 25 टन मिली है। जबकि डिमांड तीन गुना है।
सोसायटी शाखा रोशनी ने यूरिया 400 टन की डिमांड की मिली सिर्फ 50 टन। अभी 349 टन की डिमांड बाकी है। डीएपी की 300 की जगह सिर्फ 13 टन आपूर्ति की गई। एनपीके 50 की जगह मात्र 30 टन मिली।
कोठा सोसायटी में यूरिया की डिमांड 200 टन की है। अभी तक सिर्फ 98 टन मिली है। खरीफ सीजन की फसलें तैयार हो गईं। अभी तक डिमांड के तहत खाद नहीं पहुंची।
भारतीय किसान संघ के जिला महामंत्री सुभाष पटेल कहते हैं कि किसानों को खाद नहीं मिल रही है। यहां तक सोसायटी में रेगुलर सदस्य भी परेशान हैं। सोसाइटियों की डिमांड तक पूरी नहीं हो रही। मार्कफेड भी पर्याप्त नहीं मिली। खाद की रैक आ रही है। जब सोसायटी में नहीं है तो कहां जा रही है। जवाब नहीं मिला तो आंदोलन करेंगे।
खाद वर्ष-2024-25 वर्ष-2025-26
यूरिया 33756 31072
डीएपी 10298 6957
एमओपी 1934 2157
एनपीके 10978 10533
एसएसपी 16888 16520
कुल 73854 67209
श्याम लाल पटेल, किसान, बरूड : 11 एकड़ भूमि है। इसमें 3 एकड़ मक्का है। शेष में अन्य फसलों लगी हैं। यूरिया की जरूरत कम से कम 20 बोरी की थी। लेकिन सिर्फ आठ बोरी मिली हैै। मक्का के लिए तो मिली ही नहीं।
खाद नहीं मिली तो लगाएंगे ताले
संयुक्त कृषक संघ के जिला अध्यक्ष नरेंद्र पटेल कहते हैं कि सहकारी केंद्रों पर किसानों पर्याप्त खाद नहीं मिल रही है। सोसायटियों में खाद नहीं आ रही है। यही हाल रहा तो संगठन सोसायटियों में ताला लगाने का का काम करेगा।
Published on:
06 Sept 2025 01:07 pm