दो साल तक चले खून-खराबे और तबाही के बाद, आखिर गाज़ा युद्ध में नई शांति की उम्मीद लौटी है। अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के शांति प्रस्ताव से यह सब संभव हो पाया है। इस ऐतिहासिक समझौते के तहत, हमास ने अपने कब्जे में बचे आखिरी 20 इज़रायली बंधकों को सोमवार को रिहा कर दिया। ये रिहाई रेड क्रॉस की मदद से हुई, जिसके बाद इज़रायली सेना ने पुष्टि करते हुए कहा कि सभी जीवित बंधक सुरक्षित उनके पास पहुंच गए हैं। तेल अवीव के ‘होस्टेज स्क्वायर’ में हजारों लोग इस पल का इंतज़ार कर रहे थे। जैसे ही खबर आई, लोगों की आंखों में आंसू थे, वो एक-दूसरे से लिपटकर रोने लगे, गले मिले और ताली बजाई।
इस समझौते के तहत सिर्फ इज़रायली बंधक ही नहीं, बल्कि लगभग 2,000 फिलिस्तीनी कैदियों को भी इज़राइली जेलों से छोड़ा गया है। इनमें से कई युद्ध के दौरान गिरफ्तार किए गए थे, जबकि कुछ पर जानलेवा हमलों में शामिल होने के आरोप थे। गाज़ा में इन कैदियों का स्वागत जश्न के साथ किया गया। इस पूरे शांति समझौते की मध्यस्थता अमरीकी राष्ट्रपति ट्रंप ने की थी। ट्रंप इस समय इज़राइल में हैं, जहां उनका शानदार स्वागत किया। इज़राइली संसद ‘क्नेसेट’ में उन्होंने कहा, “यह एक नया आरंभ है।” ट्रंप ने कहा कि गाज़ा युद्ध अब खत्म हो चुका है। इजरायल ने ट्रंप के इस योगदान के लिए उन्हें नोबेल पीस प्राइज के लिए फिर से नोमिनेट किया है इसके साथ ही इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने ट्रंप को इजरायल का सर्वोच्च सम्मान देने का ऐलान भी किया है। नेतन्याहू ने कहा कि उन्होंने आज तक ऐसा अमरीकी राष्ट्रपति नहीं देखा।
इस बीच, हमास की ओर से सोमवार को गाज़ा सिटी में एक अस्पताल पर हथियारबंद लड़ाकों की मौजूदगी ने ये जता दिया है कि ये सब इतना आसान नहीं होने वाला। इज़राइल के लिए हमास की सत्ता में मौजूदगी एक गंभीर चिंता का विषय है। गाज़ा के हालात बेहद खराब हैं। दो साल की लड़ाई में 67,000 से ज्यादा फिलिस्तीनी मारे जा चुके हैं, जिनमें बड़ी संख्या में बच्चे और महिलाएं भी शामिल हैं। लगभग पूरी गाज़ा पट्टी तबाह हो चुकी है। 2.2 मिलियन की आबादी में से ज़्यादातर अब बेघर हो चुके हैं। बंधकों की वापसी के बाद, कुछ मृत बंधकों के शव भी लौटाए जा रहे हैं। इसके लिए एक कमेटी बनाई गई है जो अब भी लापता लोगों की तलाश कर रही है। इज़राइल के हमलों और हमास के रॉकेट्स ने सिर्फ गाज़ा और इज़राइल ही नहीं, बल्कि पूरे मिडिल ईस्ट को हिला कर रख दिया है। ईरान, हिज़्बुल्लाह और यमन के हूती जैसे संगठनों के साथ भी इज़राइल के टकराव बढ़े हैं। वहीं अब शांति समझौते के बाद, संयुक्त राष्ट्र ने बताया कि इज़राइल ने अब आपातकालीन राहत सामग्री भेजने की इजाज़त दे दी है। यूएन की एजेंसी UNRWA ने इज़राइल से मांग की है कि उसे गाज़ा में बिना रोक-टोक काम करने दिया जाए।
ट्रंप अब मिस्र जा रहे हैं, जहां शर्म अल-शेख में एक बड़ी अंतरराष्ट्रीय शांति बैठक होगी। इस समिट में 20 से ज्यादा देशों के नेता शामिल होंगे। इस बैठक का मकसद गाज़ा में स्थायी शांति की रूपरेखा तैयार करना है। इस बैठक में ट्रंप के 20 बिंदुओं वाले प्लान पर चर्चा की जाएगी। इस प्लान में एक “बोर्ड ऑफ पीस” यानी अंतरराष्ट्रीय निगरानी संस्था की भी बात कही गई है, जिसे ट्रंप लीड करेंगे। हालांकि समझौता हो जाने के बावजूद चुनौतियां अभी बाकी हैं। सबसे बड़ी चुनौती है – गाज़ा का भविष्य। वहां कौन शासन करेगा? क्या हमास पूरी तरह से हथियार डालेगा? क्या इज़राइल पूरी तरह गाज़ा से पीछे हटेगा? और क्या एक स्वतंत्र फिलिस्तीनी राज्य की नींव रखी जाएगी? सवाल बहुत सारे हैं, जिनका जवाब ट्रंप की बैठक के बाद ही साफ होगा।