राजस्थान पत्रिका के रूप में जो पौधा कुलिशजी ने लगाया वह आज वट वृक्ष बन चुका है। कुलिशजी के बनाए नीति व सिद्धांत आज भी कायम है। निष्पक्ष एवं निर्भिक पत्रकारिता और उसके मूल्यों पर हो रहे हमले व किसी भी दबाव की परवाह किए बिना उन्होंने पत्रकारिता धर्म का निर्वाह किया। सच्चाई उजागर करना ही अखबार का धर्म है। पाठक को सर्वोपरि मानकर राष्ट्रधर्म के पथ को अपनाया। पाठकों में पत्रिका की गहरी पैठ है। उसे पत्रकारिता के क्षेत्र में आए विविध दौर भी कम नहीं कर सके।उक्त विचार राजस्थान पत्रिका के संस्थापक कर्पूरचंद कुलिश जी की जयंती पर बुधवार को भारत विकास परिषद, स्वामी विवेकानन्द शाखा की ओर से कॉलेज रोड पर आयोजित संगोष्ठी में महिलाओं ने व्यक्त किए। संगोष्ठी का शुभारम्भ विधिवत पूजा अर्चना के साथ हुआ। इसमें रेखा जैन ने कुलिश जी की जीवनी पर प्रकाश डाला। पत्रिका की अब तक की यात्रा को शब्दों में पिरोया। आज के दौर में पत्रिका की साख व पाठकों में विश्वास को लेकर बिन्दुवार विचार रखे। उन्होंने कहा कि राजस्थान पत्रिका ने शुरुआत से लेकर अब तक पत्रकारिता के सिद्धान्त कायम रखे।
विश्वसनीयता से पहुंचे सच्चाई20 मार्च 1926 को राजस्थान के टोंक जिले के मालपुरा में कर्पूरचंद जी कुलिश का जन्म हुआ। उन्होंने पत्रकारिता से जीवन की शुरूआत की। 7 मार्च 1956 को जयपुर में राजस्थान पत्रिका की नींव रखी । उनका मानना था कि अखबार का असली उद्देश्य जनसामान्य तक अपनी बात विश्वसनीयता के साथ पहुंचाया जाना है। वे पत्रकारिता की पवित्रता के पक्षधर रहे और पत्रकारिता में इसको स्थापित करने का काम भी किया।
-वर्षा तापडि़याबेटियों में निर्णय लेने की क्षमता विकसित करें
बेटियों को आत्मनिर्भर एवं साहसी बनाना चाहिए। उसमें निर्णय लेने की क्षमता विकसित हो, इसको लेकर सदैव उनका मनोबल मजबूत करना चाहिए। बेटियां आज हर क्षेत्र में आगे बढ़ रही है। समय के साथ जो सामाजिक बुराइयां सामने आ रही है, उनका सहज रूप से सामना कर सके, इसको लेकर बेटियों के मन में दृढ इच्छाशक्ति बने।-स्वाति राठी
सकारात्मकता का करें संचार
बेटियों के मन में सकारात्मक भाव बने, इसके लिए सदैव बेटियों को प्रोत्साहित करना चाहिए। बेटियों को आत्मनिर्भर एवं सशक्त बनाने के लिए रूचि के अनुरूप उच्च शिक्षा दिलवानी चाहिए। बेटियां अपने पसंद के क्षेत्र में निपुण बने। उसे मानसिक रूप से मजबूत करना चाहिए।-कविता शर्मा
आगे बढ़ने की पूरी करें इच्छाबेटियों के मन में आगे बढ़ने की जो इच्छा है, उसको पूरा करना चाहिए। बेटियों की आगे बढ़ने की मंशा मारें नहीं, बल्कि उस मंशा को परिवार व समाज का बल मिले, इसको लेकर बेटी के भाव को दोस्त की तरह सहज रूप से सुनना चाहिए।
-रश्मि राठीमनोबल को करें मजबूत
बेटियों के आगे बढ़ने में हमेशा उनका सहयोग करें। बेटियां सशक्त व आत्मनिर्भर बने। इसको लेकर हमेशा सकारात्मक भाव के साथ बेटियों के आगे बढ़ने की राह प्रशस्त करनी चाहिए। बेटियों के मनोबल को इतना मजबूत करें कि उनका वह संघर्ष का समय बीत जाए।-शशि अग्रवाल
फैसला लेने की दें आजादीबेटी पर फैसला नहीं थोपना चाहिए। बेटियों को खुद फैसला लेने की आजादी दें। बेटियों को गलत सही का अंतर समझाएं। उसके सुनहरे भविष्य की मजबूत नींव रखे।
-सुनिता मांधना
रिश्तों की महत्ता समझाएंशिक्षा के साथ बेटियों को रिश्तों की महता भी समझाएं। रिश्तों की मजबूती ही परिवार व समाज को जोड़े रखती है। बाहरी सुंदरता नहीं आंतरिक सुंदरता को निखारें। मन के आंतरिक भाव सुंदर होंगे तभी समाज व राष्ट्र भी अच्छा होगा
-संगीता पगारियासीखने व आगे बढ़ने के अवसर दें
बच्चों को उनका काम उन्हें खुद करने दें। उसका सुपरविजन जरूर करें। सीखने व आगे बढ़ने के अवसर दें।घर के सभी प्रकार के कार्यों के निष्पादन में उनकी सहायता जरूर लें। जिससे उनके हाथ कर्मशील हों।-खुशबु मूंदड़ा
बेटियों को आत्म निर्भर बनाएंबेटियों को आत्म निर्भर एवं सशक्त बनाएं व आगे बढ़ने का अवसर दें। बेटियों को खेल, नृत्य, योग, कराटे व आत्मरक्षा के गुर भी सिखाएं। बेटियां के मन को कभी कमजोर नहीं होने दें।
-राधिका मूंदड़ा