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कलाकंद से मशहूर अलवर शहर, बाजार बना ‘कलाकंद मार्केट’ …. देखें वीडियो…

तीनों बाजार शहर की मुख्य पहचान घंटाघर बाजार शहर का मुख्य बाजार होने के साथ ही पुराने शहर की यादों को भी ताजा करता है। यहां पुरानी दोमंजिला इमारतों के नीचे बनी दुकानों में व्यवस्थित बाजार चलता है। ये सभी इमारतें भी खास शैली की बनी हुई हैं। घंटाघर बाजार में क्लॉक टावर है, जो इस बाजार की पहचान भी है। इसी प्रकार कलाकंद बाजार शहर के आकर्षण का केन्द्र है। यहां की दुकानों से खरीदारी करने जिलेभर से लोग आते हैं। कई लोगों को कलाकंद मार्केट में रोजगार दे रखा है। इसी तरह पंसारी बाजार में भी दिनभर भीड़ रहती है। आजादी के बाद कलाकंद मार्केट की नींव पड़ी पहले यहां फ्रूट मार्केट था लेकिन 1950 के बाद इसे कलाकंद के नाम से पहचान मिली। 9,000-15,000 ग्राहक आते सामान्य दिनों में 20,000-25,000 पहुंचता ग्राहकों का आंकड़ा त्योहारों पर अतिक्रमण, बेतरतीब पार्किंग, सुविधाओं की कमी बदरंग, पूरे बाजार में एकरूपता का अभाव बाजार में शौचालय सिर्फ गिने-चुने हैं वे भी गंदगी से अटे हुए हैं। रोड की चौड़ाई 40 फुट कलाकंद मार्केट में सभी दुकानें नगर निगम की हैं। यहां तीसरी पीढ़ी भी अब दुकानें संभाल रही है। वहीं, बाजार के बीच में सडक़ों की चौड़ाई 40 फीट है। - हरिश चंद्र, नमकीन व्यापारी घंटाघर से पहचान कलाकंद मार्केट अलवर की शान है। घंटाघर व होप सर्कस के बीच में इसकी अलग ही पहचान है। इन्हीं से बाजार में चमक है। - संतोष कुमार अरोड़ा, कलाकंद व्यवसायी विश्वास का बाजार मैं हर माह इस बाजार से बाहर रह रहे रिश्तेदारों के लिए कलाकंद लेकर जाती हूं। यह बाजार विश्वास का बजार है। यहां मिलावट नहीं होती। -काजल खंडेलवाल, ग्राहक हर सामान का उचित दाम पंसारी बाजार में सभी प्रकार की घरेलू सामग्री उचित दाम पर मिलती है। वहीं, यहां सभी सामान एक जगह उपलब्ध हो जाता है। - गगन हजरती, ग्राहक

अलवर

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kailash Sharma

Oct 13, 2025

कैलाश तिवारी अलवर
अलवर के कलाकंद मार्केट की स्थापना आजादी के साथ ही हुई थी। बंटवारे के समय पाकिस्तान के डेरा इस्माइल खां से विस्थापित हुए लोगों को यह जगह किराए पर दी गई थी। विस्थापित लोगों ने यहां कलाकंद बनाना व बेचना शुरू कर दिया। देशभर में जिले की पहचान बन चुके कलाकंद की यहां कई दुकानें हैं। इस मार्केट में नमकीन सहित अन्य आइटम की भी दुकानें हैं।
इसी तरह शहर का घंटाघर बाजार भी अपने अंदर इतिहास समेटे हुए है। यह बाजार काफी पुराना और प्रसिद्ध है। इसी से सटे पंसारी बाजार में किराने का सामान, डिस्पोजल आइटम, बर्तन और इलेक्ट्रॉनिक सामान आदि की दुकानें हैं। ये तीनों बाजार शहर के सबसे लोकप्रिय बाजारों में भी शामिल हैं। वैसे तो यहां सालभर ही खरीदारों की भीड़ रहती है, लेकिन त्योहारी सीजन में ज्यादा भीड़ उमड़ती है।
यहां मिलता है जरूरत का सभी सामान
सुबह 9 से लेकर रात 10 बजे तक कलाकंद मार्केट, घंटाघर व पंसारी बाजार में ग्राहकों की भीड़ रहती है। पंसारी बाजार में किराने की दुकानों की कतार लगी है। इसके साथ ही डिस्पोजल आइटम, बर्तन और इलेक्ट्रॉनिक आइटम आदि की करीब 70 होलसेल की दुकान हैं। किराने का सारा सामान उपलब्ध होने के कारण इस बाजार की पहचान भी पंसारी बाजार के रूप में है। यहां शहर ही नहीं, बल्कि तीनों जिलों से लोग किराने का सामान खरीदने आते हैं।
तीनों बाजार शहर की मुख्य पहचान