गुजरात एटीएस ने एक बड़े आतंकी मॉड्यूल का भंडाफोड़ किया है, जो अलकायदा से जुड़ा हुआ बताया जा रहा है। इस ऑपरेशन में चार संदिग्ध आतंकियों को गिरफ्तार किया गया है। इनमें दिल्ली, नोएडा, अहमदाबाद और मोडासा के रहने वाले युवक शामिल हैं। ये सभी आम परिवारों से आते हैं और पहले रेस्तरां, दुकान या फर्नीचर शॉप में काम कर चुके हैं।
जांच एजेंसियों के मुताबिक, यह मॉड्यूल अब तक के आतंकी नेटवर्क्स से बिल्कुल अलग तरह का था। इस नेटवर्क का कोई साफ टारगेट या हमले की तय तारीख नहीं थी, जिससे इसकी पहचान और मंशा समझना मुश्किल हो गया था। यही वजह थी कि जांच को आगे बढ़ाने में ज्यादा वक्त लगा।
यह आतंकी मॉड्यूल किसी खास जगह या व्यक्ति को निशाना बनाने की बजाय, युवाओं को कट्टरपंथी विचारधारा की ओर मोड़ने में लगा हुआ था। सोशल मीडिया के ज़रिए यह मॉड्यूल भारत में शरिया कानून लागू करने, लोकतंत्र को खत्म करने और जिहाद के नाम पर हिंसा भड़काने की कोशिश कर रहा था।
जांच में सामने आया कि इन आतंकियों ने इंस्टाग्राम पर पांच फेक अकाउंट्स बनाए थे, जिनके ज़रिए भड़काऊ वीडियो और पोस्ट शेयर किए जा रहे थे। इनमें कहा गया था कि जिहाद के लिए बम की नहीं, सिर्फ चाकू की जरूरत है। इन पोस्ट्स के ज़रिए यह बताया जा रहा था कि हिंसा की शुरुआत धारदार हथियारों से भी की जा सकती है।
एक वीडियो में यह भी देखा गया कि जो लोग जिहाद को नहीं मानते, उन्हें ‘काफिर’ कहा गया है। ATS ने सोशल मीडिया मॉनिटरिंग के जरिए इन संदिग्धों की पहचान की और फिर करीब एक महीने तक इन पर निगरानी रखी गई। इसके बाद इन्हें अलग-अलग जगहों से पकड़ा गया।
पूछताछ में यह भी सामने आया है कि दिल्ली का रहने वाला मोहम्मद फैक पाकिस्तान के कुछ संदिग्धों के संपर्क में था। अब जांच की जा रही है कि उसका कनेक्शन पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी या सेना से था या नहीं।
चारों के मोबाइल फोन, सोशल मीडिया अकाउंट्स और डिजिटल डिवाइसेज़ से बड़ी मात्रा में चैट्स, वीडियो और अन्य सबूत मिले हैं। इन सभी की फोरेंसिक जांच की जा रही है। यह कार्रवाई दिखाती है कि आतंकी संगठन अब नई रणनीति अपना रहे हैं – सीधे हमले की बजाय विचारधारा के ज़रिए युवाओं को गुमराह करना।