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Rajasthan: शराब तस्करी का नया खेल, ट्रक बॉर्डर पार कराओ, 50,000 बोनस पाओ!

Liquor Smuggling: त्योहारी सीजन में गुजरात में बहुतायत मात्रा में हरियाणा निर्मित अंग्रेजी शराब की डिमांड होने पर तस्कर उदयपुर व सिरोही मार्ग से रोजाना 10 से 12 ट्रक पार करवा रहे हैं।

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आबकारी विभाग ने पकड़ा तस्करी का ट्रक। फोटो: पत्रिका

उदयपुर। 'दिवाली ऑफर… एक ट्रक पार कराओ और 50,000 बोनस पाओ।' त्योहारी सीजन में गुजरात में बहुतायत मात्रा में हरियाणा निर्मित अंग्रेजी शराब की डिमांड होने पर तस्कर उदयपुर व सिरोही मार्ग से रोजाना 10 से 12 ट्रक पार करवा रहे हैं। ड्राइवर को इस एवज में 25 से 50 हजार तक का अतिरिक्त बोनस मिल रहा है।

इस खेल में बॉर्डर से लगती लाइसेंसी दुकानों से भी राजस्थान की शराब जा रही है। तस्करी, बंधी और राजस्व के इस गडज़ोड़ में सबकुछ खुला खेल चल रहा है। आबकारी व पुलिस विभाग जानकार भी अनजान बना हुआ है।

शराब कारोबारियों का कहना है कि हरियाणा से निकलने वाला शराब का ट्रक दिल्ली, जयपुर, उदयपुर और फिर बिछीवाड़ा होते हुए गुजरात पहुंचता है। करीब 750 किलोमीटर का यह मार्ग अब तस्करों के लिए कारोबार का जरिया बन गया है। हर स्टेट बॉर्डर पर ड्राइवर बदला जाता है, ताकि कोई एक व्यक्ति पूरी रूट की जानकारी न रख सके। इस रूट के लिए हरियाणा से दिल्ली, दिल्ली से जयपुर और यहां उदयपुर के लिए चालक बदलते हैं। उदयपुर में धरपकड़ के आधार पर चालक स्थानीय या बाहरी तय किया जाता है। इसी चालक को ट्रक पार कराने पर अतिरिक्त बोनस दिया जाता है। बाकी ड्राइवरों को 10 से 15 हजार रुपए मिलते हैं।

एस्कॉर्ट में गुजरात नंबर की लग्जरी गाड़ियां

हर ट्रक के साथ गुजरात नंबर की लग्जरी गाडिय़ां चलती हैं जो आगे-पीछे पुलिस की मूवमेंट की जानकारी देती रहती है। जांच में सामने आया है कि इनमें से कई गाडिय़ां चोरी की हैं, जिन्हें तस्करों को सस्ते दामों पर बेचा गया। पुलिस जब पकड़ती है तो गाड़ी के मालिक गुजरात के ही निकलते हैं। जिनके नाम पर चोरी या इंश्योरेंस क्लेम पहले से दर्ज होते हैं।

बॉर्डर के गांवों में बने अस्थायी गोदाम

धरपकड़ होने पर बिछीवाड़ा, रानी-छाणी और आस-पास के गांवों में शराब से भरे ट्रक रात के अंधेरे में खाली किए जाते हैं। वहां बने कच्चे झोपड़ों या अस्थायी गोदामों में शराब छिपाई जाती है, फिर कटिंग कर लग्जरी गाडिय़ों में लोड करके टुकड़ों-टुकड़ों में गुजरात की सीमा पार कराई जाती है।

कार्रवाई ठप, विभाग मौन

करीब 15 दिन पहले आबकारी विभाग ने छोटे वाहनों में शराब पकड़ी थी, लेकिन उसके बाद कोई बड़ी धरपकड़ नहीं हुई। स्थानीय कारोबारी दावा कर रहे हैं कि इस वक्त उदयपुर मार्ग तस्करों के लिए सबसे सुरक्षित माना जा रहा है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या विभाग ने कार्रवाई बंद कर रखी है या फिर कुछ और चल रहा है।

त्योहार की मांग से जुड़ा अरबों का खेल

तस्करों के अनुसार, दिवाली के मौके पर गुजरात में शराब की खपत ज्यादा होती है। इसी कारण इस वक्त सबसे ज्यादा ट्रक बॉर्डर पार होते हैं। तस्करी के इस खेल की गणित लगाए तो मद्य निषेध क्षेत्र गुजरात में हर साल अवैध शराब का 25 से 30 हजार करोड़ का कारोबार है, जबकि राजस्थान में आबकारी रेवन्यू ही अभी 19 हजार करोड़ है।