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<strong>विवरण</strong> <strong>&nbsp;</strong><strong>बटेश्वर आगरा से 70 किलोमीटर दूर यमुना के किनारे बसा गांव है। यहां यमुना के किनारे 108 शिवालय हैं । मुख्य मंदिर को बटेश्वरनाथ या बृह्मलाल महाराज का मंदिर बोला जाता है। जिसमें एक शिवलिंग स्थापित है। दूसरा प्रमुख मंदिर मोटेश्वर महादेव का मंदिर है। इस मदिर में शिव और पार्वती की विशालकाय मूर्ति स्थापित है। कहा जाता है कि इन मूर्तियों की बहुत गहराई है, आज तक गहराई के बारे में पता नहीं चल सका है। बटेश्वर उत्तर भारत का प्रसिद्ध तीर्थ स्थान है। बटेश्वर को सभी तीर्थों का भांजा कहा जाता है। महाराज भदावर ने इन मंदिरों का निर्माण किया था। भदौरिया वंश के पतन के पश्चात बटेश्वर में 17वीं शती में मराठों का आधिपत्य&nbsp; हुआ। इस काल में संस्कृत विद्या का यहाँ पर अधिक प्रचलन था। जिसके कारण बटेश्वर को छोटी काशी भी कहा जाता है। पानीपत के तृतीय युद्ध (1761 ई.) के पश्चात वीरगति पाने वाले मराठों को नारूशंकर नामक सरदार ने इसी स्थान पर श्रद्धांजलि दी थी और उनकी स्मृति में एक विशाल मन्दिर भी बनवाया था, जो कि आज भी विद्यमान है। शौरीपुर के सिद्धि क्षेत्र की खुदाई में अनेक वैष्णव और जैन मन्दिरों के ध्वंसावशेष तथा मूर्तियाँ प्राप्त हुई हैं।</strong>

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