दिवाली की शाम मायूस रामराज की पत्नी और बच्चे (फोटो- पत्रिका)
आवां (टोंक): कहावत है कि जब घनघोर अंधेरा छाता है तो कुछ भी नजर नहीं आता है। कुछ ऐसा ही घनघोर अंधेरा इस दिवाली टोंक जिले के राजकोट निवासी रामराज मीणा के घर और परिजनों की जिंदगी में छा गया।
बता दें कि जयपुर-अजमेर हाइवे पर गत 7 अक्टूबर की रात केमिकल से भरे टैंकर की टक्कर के बाद सिलेंडर में ब्लास्ट में जिंदा जले टोंक निवासी रामराज का परिवार सदमे में है। ड्राइवर रामराज ने अपने बच्चों से वादा किया था कि इस बार दीपावली पर वो सबके लिए गिफ्ट लेकर आएगा।
हालांकि, घर पर उनकी लाश ही पहुंची। वो भी टुकड़ों की शक्ल में पोटली में बंधकर। पांच साल का मासूम छोटा बेटा हनी बार-बार मां से बस एक ही बात पूछता है मां, पापा कब आएंगे और दर्द में डूबी मां को समझ नहीं आता कि वो क्या जवाब दे।
पत्नी चैना देवी अब भी पति की मौत को याद कर कई बार बेहोश हो जाती है। बुजुर्ग मां रोती हुई कहती हैं कि उसे रोका था, त्योहार पर मत जा, लेकिन नहीं माना। जब घर का चिराग ही बुझ गया तो दिवाली पर चिराग कैसे जलाएं।
रामराज के चचेरे भाई धर्मराज मीणा ने बताया कि हादसे की सूचना उन्हें उसी रूट पर चलने वाले देवली के एक ट्रक ड्राइवर ने दी थी। हाइवे के किनारे खड़ा गैस टैंकर देखकर वो पहचान गए कि ये रामराज की गाड़ी है। लोगों ने बताया कि अपने बच्चों का वास्ता देकर उसने जान बचाने की गुहार लगाई।
केमिकल से भरा टैंकर और एलपीजी गैस सिलेंडरों के रिसाव से हम में से किसी की भी हिम्मत उस तक पहुंचने की नहीं हुई। रामराज के बड़े भाई बाबूलाल ने बताया कि वह साल के 300 दिन ड्राइवरी ही करता था। बीते एक महीने से घर नहीं आया था। परिवार में कमाने वाला वही था।
रामराज की बहन बिमला ने बताया कि परिवार के किसी भी सदस्य को न तो सरकारी राशन मिलता है और न ही पीएम किसान निधि का एक भी रुपया। पीएम आवास योजना में भी कोई मकान नहीं मिला। एक कमरे के घर की छत पर खपरैल और घास से बनी हुई है, जो बारिश में टपकती है।
Updated on:
23 Oct 2025 02:51 pm
Published on:
23 Oct 2025 02:48 pm
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