Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

बेटा पूछ रहा, पापा कब आएंगे…मां समझ नहीं रही क्या जवाब दे, हादसे में जिंदा जले टोंक के रामराज का परिवार सदमे में

टोंक के राजकोट निवासी ड्राइवर रामराज मीणा दिवाली पर बच्चों के लिए तोहफे लाने का वादा कर गया था, पर लौटे तो लाश बनकर। जयपुर-अजमेर हाइवे हादसे में जिंदा जलने से परिवार बेसहारा हो गया। मां-बच्चे अभी तक सदमे में हैं।

2 min read
Google source verification

टोंक

image

Arvind Rao

Oct 23, 2025

Tonk Ramraj Meena burned alive

दिवाली की शाम मायूस रामराज की पत्नी और बच्चे (फोटो- पत्रिका)

आवां (टोंक): कहावत है कि जब घनघोर अंधेरा छाता है तो कुछ भी नजर नहीं आता है। कुछ ऐसा ही घनघोर अंधेरा इस दिवाली टोंक जिले के राजकोट निवासी रामराज मीणा के घर और परिजनों की जिंदगी में छा गया।


बता दें कि जयपुर-अजमेर हाइवे पर गत 7 अक्टूबर की रात केमिकल से भरे टैंकर की टक्कर के बाद सिलेंडर में ब्लास्ट में जिंदा जले टोंक निवासी रामराज का परिवार सदमे में है। ड्राइवर रामराज ने अपने बच्चों से वादा किया था कि इस बार दीपावली पर वो सबके लिए गिफ्ट लेकर आएगा।


पोटली में बांधकर आया था शव


हालांकि, घर पर उनकी लाश ही पहुंची। वो भी टुकड़ों की शक्ल में पोटली में बंधकर। पांच साल का मासूम छोटा बेटा हनी बार-बार मां से बस एक ही बात पूछता है मां, पापा कब आएंगे और दर्द में डूबी मां को समझ नहीं आता कि वो क्या जवाब दे।


पति को याद कर पत्नी हो जाती है बेहोश


पत्नी चैना देवी अब भी पति की मौत को याद कर कई बार बेहोश हो जाती है। बुजुर्ग मां रोती हुई कहती हैं कि उसे रोका था, त्योहार पर मत जा, लेकिन नहीं माना। जब घर का चिराग ही बुझ गया तो दिवाली पर चिराग कैसे जलाएं।


रामराज के भाई ने क्या बताया


रामराज के चचेरे भाई धर्मराज मीणा ने बताया कि हादसे की सूचना उन्हें उसी रूट पर चलने वाले देवली के एक ट्रक ड्राइवर ने दी थी। हाइवे के किनारे खड़ा गैस टैंकर देखकर वो पहचान गए कि ये रामराज की गाड़ी है। लोगों ने बताया कि अपने बच्चों का वास्ता देकर उसने जान बचाने की गुहार लगाई।


केमिकल से भरा टैंकर और एलपीजी गैस सिलेंडरों के रिसाव से हम में से किसी की भी हिम्मत उस तक पहुंचने की नहीं हुई। रामराज के बड़े भाई बाबूलाल ने बताया कि वह साल के 300 दिन ड्राइवरी ही करता था। बीते एक महीने से घर नहीं आया था। परिवार में कमाने वाला वही था।


सरकारी सहायता भी नहीं मिलती


रामराज की बहन बिमला ने बताया कि परिवार के किसी भी सदस्य को न तो सरकारी राशन मिलता है और न ही पीएम किसान निधि का एक भी रुपया। पीएम आवास योजना में भी कोई मकान नहीं मिला। एक कमरे के घर की छत पर खपरैल और घास से बनी हुई है, जो बारिश में टपकती है।