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आसान नहीं था तोलोलिंग और टाइगर हिल पर तिरंगा फहराना

- करगिल विजय दिवस: करगिल युद्ध के साक्षी कर्नल वाईएस तोमर की जुबानी आसान नहीं था तोलोलिंग और टाइगर हिल पर तिरंगा फहराना

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श्रीगंगानगर. विश्व के सबसे कठिन युद्धों में से एक माने गए करगिल युद्ध को जीतने के लिए तोलोलिंग और टाइगर हिल पर तिरंगा फहराना जरूरी था। लगभग 18 हजार फीट से ऊंची इन चोटियों पर पाकिस्तानी सैनिकों का कब्जा था। भारतीय सेना के सामने लक्ष्य था, इतनी ऊंचाई पर बैठे पाकिस्तानी सैनिकों को खदेड़ना आसान नहीं था। हथियारों के साथ 18 हजार फीट ऊंची चोटी तक चढ़ना और फिर दुश्मन का काम तमाम करना बड़ा ही मुश्किल था। गोलियों की बौछार कर रहे दुश्मन की नजर से बच कर भारतीय सेना के रणबांकुरे न केवल तोलोलिंग और टाइगर हिल तक पहुंचे बल्कि वहां दुबके बैठे पाकिस्तानी सैनिकों को जहन्नुम पहुंचाकर भारतीय तिरंगा फहराने में कामयाब हुए। तोलोलिंग और टाइगर हिल जैसी कठिन लड़ाई में 18 ग्रेनेडियर की महत्वपूर्ण भूमिका रही। इस लड़ाई में 18 ग्रेनेडियर के कई जांबाज अधिकारी और सैनिक शहीद हुए। वर्तमान में सूरतगढ़ मिलेट्री स्टेशन में तैनात कर्नल वाईएस तोमर भी इस युद्ध में अपनी टुकड़ी का नेतृत्व करते हुए करगिल विजय के साक्षी बने। कर्नल तोमर उस समय मेजर थे और उनकी बटालियन जबलपुर में तैनात थी। आदेश होने पर बटालियन जम्मू कश्मीर पहुंच कर युद्ध में शामिल हुई। कर्नल तोमर ने बताया कि जबलपुर से जम्मू कश्मीर तक रेलगाड़ी के सफर में उन्हें देश भक्ति का जो जज्बा देखने को मिला वह अविस्मरणीय है।

सच्चे साहस के आगे दुश्मन पराजित

कर्नल तोमर कहते हैं परिस्थितियां कैसी भी हो, सच्चे साहस के आगे बड़े से बड़ा दुश्मन पराजित हो जाता है। करगिल युद्ध में भारतीय सेना के सामने विषम परिस्थितियां थी। ऊंचाई पर बैठा दुश्मन मजबूत स्थिति में था। हमारे युवा जांबाज अधिकारी और सैनिक शहीद हो रहे थे। ऐसे में तोलोलिंग और टाइगर हिल पर पुन: कब्जा करना जरूरी था। कर्नल तोमर ने बताया कि इस युद्ध से जुड़े किस्से बहादुरी और शौर्य की मिसाल हैं। दुश्मन की गोलियों की परवाह नहीं करते हुए भारतीय सेना के जवानों ने करगिल की पहाड़ियों को दुश्मन से मुक्त कर यह साबित कर दिया कि युद्ध कौशल में वह किसी से कम नहीं।


तब मनाया विजय का जश्न

कर्नल तोमर ने बताया कि तोलोलिंग और टाइगर हिल पर भारतीय सेना का कब्जा होने के बाद तत्कालीन प्रधान मंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने करगिल विजय की घोषणा की तो करगिल में जश्न का माहौल था। भारतीय सेना की जिन बटालियन ने युद्ध में भाग लिया था उन्हें अपने अधिकारियों और जवानों की शहादत का गम भी था। करगिल युद्ध की सिल्वर जुबली पर भारतीय सेना उन सभी शहीदों को सलाम कर रही है।