श्रीगंगानगर.हाल ही में झालावाड़ में स्कूल भवन गिरने से बच्चों की मौत ने पूरे प्रदेश को हिला दिया था। इस घटना के बाद प्रदेशभर के स्कूल भवनों की जांच और सुरक्षा पर सवाल उठे, लेकिन हकीकत यह है कि श्रीगंगानगर जिले के करणपुर तहसील के बॉर्डर गांव अरायण का राजकीय एससी-एसटी बालिका उच्च प्राथमिक विद्यालय अब तक अफसरों की नजरों से ओझल है।
विद्यालय के नाम पर मात्र एक ही कमरा और बरामदा है, जिसमें आठ कक्षाएं संचालित की जा रही हैं। यहां पढ़ाने वाले पांच शिक्षक हैं। कमरे में ही कुर्सियां, अलमारी, पोषण सामग्री का स्टॉक रखा हुआ है। यहां की स्थिति सरकारी दावों की पोल खोल रही है और शिक्षा विभाग की निगरानी पर गंभीर सवाल खड़े कर रही है।
भवन काफी पुराना था, दो कमरे जर्जर
राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय के पीईईओ रोशन लाल ने बताया कि पहले यह स्कूल सीएचसी के पास बने भवन में संचालित किया जाता था। बाद में जब पीईईओ विद्यालय परिसर में बने प्राइमरी स्कूल को मर्ज किया गया तो इस स्कूल को वहां शिफ्ट कर दिया गया। विद्यालय का भवन काफी पुराना है। बरसात के कारण दो कक्षों की स्थिति खराब होने पर इनको जर्जर घोषित कर दिया गया। वर्तमान में विद्यालय एक कमरे और बरामदे में संचालित किया जा रहा है।
नए भवन के लिए बजट का इंतजार
पूर्व प्रधान ओम सोलंकी का कहना है कि बजट की कमी के कारण स्कूल का नया भवन नहीं बन पाया है। जब तक उचित राशि उपलब्ध नहीं होगी,तब तक शिक्षा की गुणवत्ता और बच्चों का भविष्य खतरे में रहेगा। वहीं अभिभावक देशराज भाटी और कर्मसिंह ने बताया कि विद्यालय भवन बहुत पुराना हो चुका है और बरसात के मौसम में उसकी स्थिति और भी खराब हो जाती है। जल्द से जल्द विद्यालय का नया भवन बनाया जाए।
पढ़ाई अच्छी तरह से हो रही
विद्यालय को 2022 में स्थानांतरित किया गया था, लेकिन सुविधाओं की कमी है। हालांकि कम संसाधनों में पढ़ाई अच्छी तरह से हो रही है।