श्रीगंगानगर.गंगानगर के किन्नू की खेती का इतिहास 59 साल पुराना है और अब यहां के किन्नू खास स्वाद, मिठास और गुणवत्ता के लिए पूरे देश में प्रसिद्ध हो रहे हैं। इस वर्ष मौसम के अनुकूल रहने के कारण किन्नू का उत्पादन पिछले वर्ष की तुलना में 20 प्रतिशत बढकऱ लगभग 3.10 लाख मीट्रिक टन होने का अनुमान है। वर्तमान में जिले में किन्नू की फसलावस्था 10,359 हैक्टेयर में फैली हुई है। अब जनवरी महीने के लिए किन्नू के बागों के सौदे हो रहे हैं, जिनमें किसानों को 20 से 25 रुपए प्रति किलो के हिसाब से ठेका मिल रहा है। हालांकि अभी किन्नू में मिठास नहीं आई है, लेकिन सर्दी बढऩे के साथ ही इनमें मिठास बढ़ेगी।
दो दर्जन से अधिक प्लांट
मौसम में ठंडक घुलने के साथ ही किन्नू बाजार में आना शुरू हो जाता है। अबोहर और श्रीगंगानगर की फल-सब्जी मंडी में किन्नू की नवंबर, दिसंबर और जनवरी में अच्छी आवक होती है। रीको में दो दर्जन से अधिक किन्नू वैक्सीन और ग्रेडिंग प्लांट लगे हुए हैं। यहां से प्रोसेसिंग के बाद किन्नू बाहर सप्लाई किया जाता है।
59 वर्ष पुराना हैगंगानगरी किन्नू का सफर
श्रीगंगानगर में किन्नू का इतिहास 59 वर्ष पुराना है। नीबू प्रजाति का यह फल 1935 में कैलिफोर्निया के सिट्रस रिसर्च सेंटर पर विकसित हुआ। वर्ष 1940 में इसे पंजाब एग्रीकल्चर कॉलेज फैसलाबाद (पाकिस्तान) में विकसित किया गया। 1962 में करतार सिंह नरूला श्रीगंगानगर में किन्नू के पौधे अपने लायलपुर फार्म हाउस में लाए। कहा जाता है कि पाकिस्तान के जनरल अय्यूब खान ने पंडित नेहरू को किन्नू के पौधे प्रदान किए थे, जिनका विकास पूसा इंस्टीट्यूट में किया गया। करतार सिंह को तब पांच पौधे दिए गए, जिनसे पहला फल 1966 में लगा।
फैक्ट फाइल
कुल क्षेत्रफल: 12,220 हेक्टेयर
ड्रिप पर क्षेत्रफल: 8818 हेक्टेयर
फलत अवस्था पर क्षेत्रफल: 10,359 हेक्टेयर
अनुमानित उत्पादन: 3,10,000 मीट्रिक टन
किन्नू के हो रहे हैं सौदे
श्रीगंगानगर ही नहीं, इस बार पंजाब के अबोहर क्षेत्र में भी किन्नू की गुणवत्ता और उत्पादन अच्छा होने की उम्मीद है। इस बार उत्पादन लगभग 20 प्रतिशत अधिक होने की संभावना है। जनवरी के किन्नू के सौदे लगभग 20 से 25 रुपए प्रति किलो के हिसाब से हो रहे हैं।
इस वर्ष किन्नू का उत्पादन और गुणवत्ता दोनों ही बेहतर रहने की संभावना है। अनुमान है कि जिले में लगभग 3 लाख 10 हजार मीट्रिक टन उत्पादन होगा। इस बार किन्नू का फाल संतुलित आया है जो औसत क्षमता के अनुरूप है। प्रीतिबाला, उप-निदेशक (उद्यान), श्रीगंगानगर।