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सरसों की बुवाई में गुणवत्ता पर जोर, प्रमाणित बीज से मिलेगा फायदा

-श्रीगंगानगर खंड में सरसों की नकदी खेती -प्रमाणित बीज और उचित बुवाई समय से बढ़ेगी पैदावार, किसानों को मिलेगा बेहतर रिटर्न

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  • श्रीगंगानगर.खंड में सरसों की खेती नकदी फसल है। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पिछली बार रबी सीजन में खंड में 4 लाख 18 हजार 270 हैक्टेयर में थीं। वर्तमान में बाजार में हाइब्रिड सरसों के बीज के नाम पर किसानों की काफी महंगा दिया जा रहा है। ये बीज किसानों को बाजार में 800 से 1100 रुपए प्रति किलो तक मिल रहा है। राजस्थान स्टेट सीड्स कॉर्पोरेशन लिमिटेड के श्रीगंगानगर संयंत्र प्रबंधक प्रणयक कुमार महला ने बताया कि रबी 2025-26 के लिए प्रमाणित बीज उपलब्ध है। आरएच-1706 और आरएच-1425 किस्म का बीज 110 रुपए प्रति किलो किसानों को उपलब्ध करवाया जा रहा है। एक हजार क्विंटल सरसों का उन्नत और प्रमाणीत बीज तैयार किया गया है। इससे किसानों को बेहतर गुणवत्ता का बीज और अच्छी फसल की उम्मीद जगी है।

सरसों की अनुमोदित किस्में

सिंचित क्षेत्र में-आरएच-1706, आरएच-1975,आरएच-0749, आरजीएन-73, आरजीएन-13. आरएच-8812 (लक्ष्मी). पूसा बोल्ड व वरुण।

असिंचित क्षेत्र में—आरएच-1424, आरएच-725,आरएच-761,आरजीएन-298, आरजीएन-229, आरजीएन-48

सिंचित और असिंचित क्षेत्र में—आरएच -1424 आरजीएन-236, आरजीएन-145, आरएच-725 व आरएच-761 दोनों वर्षा पोषित किस्में है, सिंचित क्षेत्र में इन किस्मों की बुवाई करने 45-50 दिन पर केवल एक पानी की आवश्यकता होती है, बिजाई समय पर की जाए तो अनुकूल परिस्थितियों में यह है किस्म आठ क्विंटल प्रति बीघा तक उत्पादन दे सकती है।

बुवाई का समय

  • श्रीगंगानगर के कृषि अनुसंधान अधिकारी जगजीत सिंह संधू ने बताया कि सरसों की बुवाई इस क्षेत्र में अक्टूबर में की जा सकती है। बुवाई का उचित समय 5 से 20 अक्टूबर है। पछेती बुवाई 20 अक्टूबर से 10 नवम्बर तक कर सकते हैं।
  • बीज दर—सरसों का 600 से 700 ग्राम प्रमाणित बीज प्रति बीघा प्रयोग करें।

पिछले वर्ष सरसों बुवाई का गणित

  • श्रीगंगानगर खंड में बुवाई- 4,18,270 हैक्टेयर
  • श्रीगंगानगर जिले में बुवाई-2,50,860,हैक्टेयर
  • हनुमानगढ़ जिले में बुवाई- 1,67,410 हैक्टेयर

एक्सपर्ट व्यू---एक विशेष किस्म के बीज की बुवाई नहीं करें

  • कृषि विभाग के सेवानिवृत्त उप निदेशक मिलिंद सिंह ने बताया कि निजी बीज उत्पादक कंपनियों की किसी एक विशेष किस्म को सरसों की बुवाई के लिए वरीयता नहीं दी जानी चाहिए। अर्थात किसी एक किस्म की सम्पूर्ण क्षेत्रफल में बुवाई कदापि नहीं करनी चाहिए। वैज्ञानिक दृष्टिकोण से यदि मौसम की प्रतिकूल दशाओं, किसी कीट या रोग का आक्रमण होने पर उस विशेष किस्म का फसल पर प्रभाव अधिक हो, तो उस किस्म की बुवाई करना जोखिमपूर्ण हो सकता है। इसलिए क्षेत्र में विभिन्न किस्मों का प्रयोग बेहतर होता है ताकि जोखिम कम किया जा सके।

इनका कहना है

  • कृषि विभाग की ओर से श्रीगंगानगर खंड में अनुमोदित सरसों की किस्मों की किसानों को बुवाई करनी चाहिए। सरसों की दो नई किस्में भी आई है। इनका बीज प्राप्त कर किसान इनकी बुवाई कर अधिक उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं।
  • डॉ. सतीश कुमार शर्मा, अतिरिक्त निदेशक, कृषि खंड, श्रीगंगानगर।