Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

शराब की बिक्री पर भारी महामाई की भक्ति

- शारदीय नवरात्र में ​पियक्कड़ों ने शराब से बनाई दूरी, एकाएक घटी शराब बिक्री

2 min read
Google source verification

श्रीगंगानगर. इलाके में सूर्य अस्त और श्रीगंगानगर मस्त का जुमला बाहरी लोगों की जुबान पर हो लेकिन इन दिनों शारदीय नवरात्र पर दुर्गा महामाई और सालासर धाम बालाजी की भक्ति पियक्कड़ों पर हावी हो गई है। शराब की लाइसेंसी दुकानों पर ऐसे शौकीन अब सांझ ढलते पीने और पिलाने के लिए उत्साहित नजर नहीं आ रहे है। लाइसेंसी दुकानदारों की माने तो हर साल शारदीय नवरात्र में शराब की बिक्री करीब चालीस से पचास प्रतिशत घट जाती है। ज्यादातर लोग नवरात्र पर घरों में घट स्थापना होने के कारण घर में शराब से परहेज करते है। वहीं काफी लोग ऐसे भी है जो बालाजी के उपासक भी है, वे अपना कारोबार छोड़करसालासर धाम पहुंचने के लिए पैदल यात्री जत्थे के साथ रवाना हुए है। शरद पूर्णिमा पर लगने वाले मेले में धोक लगाने की होड़ ने अकेले जिले से करीब एक सौ धार्मिक संगठन के जत्थे के साथ श्रद्धालु पैदल के लिए रवाना हो चुके है। पिछले दिनों श्राद्ध पक्ष में भी कई लोगों ने शराब पीने से भी परहेज किया था, तब दुकानों पर करीब दस से बारह प्रतिशत बिक्री पर असर आया।

अन्य जिलों में बढी जबकि हमारे जिले में घटी बिक्री
शराब लाइसेंसी विक्रेता यूनियन के अध्यक्ष संदीप चांडक ने बताया कि पंजाबी बाहुल्य इस इलाके में नवरात्र में वैष्णो देवी के उपासक अधिक है। इस वजह से नवरात्र में घट स्थापना होने पर शराब के सेवन का निषेध है। इसका असर शराब की बिक्री महज पचास फीसदी रह गई है। जबकि हनुमानगढ़, नागौर, बीकानेर, पाली जिलों में इन दिनों यह बिक्री बंपर हो जाती है, वहां भद्रकाली, काली माता के उपासक है, जहां शराब को प्रसाद के रूप में चढाया जाता है। हमारे जिले में बिक्री घटने के बावजूद आबकारी विभाग लाइसेंसी दुकानदारेां को कोई छूट नहीं देता है। सरकार ने दुकानों का समय रात दस बजे तक करने का आश्वासन दिया था लेकिन हकीकत में बिक्री समय में बदलाव नहीं आया है।
राजस्व में कोई छूट नहीं
श्रीगंगानगर शहर की आबकारी निरीक्षक सरिता भार्गव का मानना है कि नवरात्र में दुकानों पर शराब की बिक्री पर असर आता है। लेकिन राजस्व संबंधित बाध्यता लागू है, ऐसे में आबकारी विभाग के राजस्व में कोई बदलाव नहीं आता।
यूं तो हर साल बढ़ रही सरकार की झोली
अकेले श्रीगंगानगर में जिले में हर साल शराब पीने के शौकीनों की वजह से राज्य सरकार की झोली भर रही है। लाइसेंसी दुकानों पर शराब की बिक्री हर साल राजस्व का आंकड़ा भी बढ़ रहा है। वित्तीय वर्ष 2022-2023 में जिला आबकारी विभाग को 480 करोड़ का टारगेट मिला था, इसके एवज में 362.80 करोड़ रुपए का राजस्व प्राप्त किया। इसी प्रकार वित्तीय वर्ष 2023-2024 में जिले का टारगेट 500 करोड़ रुपए का दिया गया, इसके विपरीत 398.03 करोड़ रुपए का राजस्व मिला। वित्तीय वर्ष 2024-2025 में यह टारगेट 525.65 करोड़ तक पहुंच गया, ऐसे में करीब चार सौ करोड़ रुपए का राजस्व प्राप्तियां का आंकड़ा छू लिया।