वैज्ञानिक लंबे समय से बहस कर रहे हैं कि क्या भोजन भी ड्रग्स या शराब की तरह नशे की लत डाल सकता है। इस अध्ययन ने इस विचार को और मजबूत किया है। अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड दिमाग के रिवार्ड सिस्टम को तेजी से प्रभावित करता है और इसकी आदत छूटना मुश्किल बना देता है।
शोध में पाया गया कि 50 से 64 साल की उम्र की 21% महिलाएं और 10% पुरुष अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड की लत के शिकार हैं। वहीं, 65 से 80 साल की उम्र वालों में यह संख्या काफी कम रही – सिर्फ 12% महिलाएं और 4% पुरुष। ये आंकड़े मिशिगन विश्वविद्यालय के एक राष्ट्रीय सर्वे (National Poll on Healthy Aging) से आए हैं, जिसमें “Modified Yale Food Addiction Scale 2.0” का इस्तेमाल किया गया। सर्वे में लालसा, खाने से रोकने की नाकाम कोशिशें और सामाजिक कार्यक्रमों से बचना जैसे लक्षण शामिल थे – ठीक वैसे ही जैसे शराब या ड्रग्स की लत में देखे जाते हैं।
1960–70 के दशक में पैदा हुई पीढ़ी के युवा होते-होते बाजार में फास्ट फूड और तैयार पैक्ड भोजन की बाढ़ आ गई। सुपरमार्केट “लो-फैट” कुकीज़ और फ्रोजन मील से भर गए। सोडा, कैंडी और चिप्स रोजमर्रा का हिस्सा बन गए। शोधकर्ताओं का कहना है कि यह बदलाव गंभीर है क्योंकि इन्हीं सालों में यह पीढ़ी विकसित हो रही थी। इन फूड्स का सीधा संबंध मोटापा, बीमारियों और समय से पहले मौत से भी जोड़ा गया है।
अध्ययन के अनुसार 50–60 की उम्र की महिलाएं पुरुषों की तुलना में ज्यादा लत की शिकार पाई गईं। यह अन्य नशों (जैसे शराब या निकोटीन) से उल्टा है, जो पुरुषों में ज्यादा पाए जाते हैं।
एक कारण 1980–90 के दशक की “डाइट फूड मार्केटिंग” भी हो सकती है, जब महिलाओं के लिए लो-फैट, लो-कैलोरी और फैट-फ्री प्रोडक्ट बड़े पैमाने पर बेचे गए। लेकिन असल में ये भी ज्यादा प्रोसेस्ड और कार्बोहाइड्रेट व कृत्रिम पदार्थों से भरे हुए थे।
शोध में पाया गया कि जिन महिलाओं ने खुद को ज्यादा वजन वाला बताया, उनमें लत की संभावना 11 गुना अधिक थी। पुरुषों में यह 19 गुना ज्यादा रही। मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य भी बड़ा कारण है। मानसिक रूप से कमजोर स्थिति वाले पुरुषों में यह जोखिम 4 गुना और महिलाओं में 3 गुना ज्यादा पाया गया। इसी तरह शारीरिक रूप से कमजोर लोगों में भी यह खतरा दोगुना से तीन गुना तक बढ़ा। सामाजिक अकेलापन भी अहम है। जो लोग खुद को अक्सर अकेला महसूस करते हैं, उनमें लत का खतरा तीन गुना से ज्यादा रहा।
शोधकर्ताओं का कहना है कि आज के युवा पहले से कहीं ज्यादा प्रोसेस्ड फूड खा रहे हैं। अगर यह प्रवृत्ति जारी रही तो भविष्य में फूड एडिक्शन और ज्यादा बढ़ सकता है। वैज्ञानिकों का मानना है कि जैसे अन्य नशों के लिए जल्दी हस्तक्षेप (early intervention) जरूरी होता है, वैसे ही प्रोसेस्ड फूड की लत को रोकने के लिए भी शुरुआती कदम बहुत अहम हैं। यह अध्ययन “Addiction” नामक जर्नल में प्रकाशित हुआ है।
Published on:
01 Oct 2025 05:43 pm
बड़ी खबरें
View Allखास खबर
ट्रेंडिंग