Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

सोने की स्थिति से सीधे जुड़ा है दिल और पेट का स्वास्थ्य

शरीर की स्थिति से भोजन नली में एसिड का रास्ता बदलता है, फेफड़ों और डायाफ्राम की गति प्रभावित होती है और तंत्रिका तंत्र का संतुलन भी प्रभावित हो सकता है। यानी सोने के ढंग में छोटे-छोटे बदलाव आराम और स्वास्थ्य, दोनों में सुधार ला सकते हैं।

2 min read

जयपुर। अक्सर हम नींद की गुणवत्ता को सिर्फ़ घंटों के आधार पर आंकते हैं। लेकिन शोध बताते हैं कि आप किस करवट सोते हैं, यह भी आपके स्वास्थ्य के लिए बेहद अहम है, खासकर दिल और पेट के लिए। शरीर की स्थिति से भोजन नली में एसिड का रास्ता बदलता है, फेफड़ों और डायाफ्राम की गति प्रभावित होती है और तंत्रिका तंत्र का संतुलन भी प्रभावित हो सकता है। यानी सोने के ढंग में छोटे-छोटे बदलाव आराम और स्वास्थ्य, दोनों में सुधार ला सकते हैं।

पाचन और सोने की स्थिति

गैस्ट्रोएसोफेगल रिफ्लक्स डिजीज (GERD) तब बढ़ती है जब पेट का एसिड ऊपर भोजन नली में पहुंच जाता है। शोध बताते हैं कि बाईं करवट सोना एसिड को ऊपर जाने से रोकता है, जिससे रात में एसिडिटी की आशंका कम होती है। वर्ष 2023 की एक स्टडी में पाया गया कि बाईं करवट सोने से एसिड का असर 2% तक घटा और पेट साफ़ होने का समय 75–82 सेकंड तेज हुआ। इससे रात में मरीजों को राहत महसूस हुई।

पहनने योग्य डिवाइस का असर

एक ट्रायल में शोधकर्ताओं ने ऐसा छोटा डिवाइस इस्तेमाल किया जो कंपन देकर लोगों को दाईं करवट सोने से रोकता था और बाईं करवट बनाए रखता था। दो हफ़्ते बाद, 44% लोगों में रात की एसिडिटी के लक्षण आधे से भी कम हो गए। इस तरह के डिवाइस दवाइयों के साइड इफेक्ट से बचाते हैं और केवल सोने की स्थिति बदलने में मदद करते हैं।

पेट और आंतों पर असर

दाईं करवट सोने से एसिड भोजन नली और पेट के जंक्शन पर जमा हो सकता है, जिससे लक्षण बढ़ते हैं। वहीं, पीठ के बल सोना दाईं करवट से बेहतर नहीं माना गया। अगर रात में एसिडिटी से नींद टूटे तो बाईं करवट सो जाना राहत दे सकता है। स्लीप क्वालिटी का असर आंतों के माइक्रोबायोम पर भी पड़ता है। बेहतर नींद से शरीर में अच्छे बैक्टीरिया की मात्रा बढ़ती है, जबकि नींद की कमी से हानिकारक बैक्टीरिया बढ़ सकते हैं।

अल्सर और नाइट शिफ्ट

रात की ड्यूटी करने वाले कर्मचारियों में पाचन तंत्र की गड़बड़ियां और अल्सर का खतरा ज्यादा पाया गया है। शोधकर्ताओं ने नियमित शेड्यूल और सही समय पर भोजन लेने जैसी आदतों को जरूरी बताया है।

दिल और सोने की स्थिति

दिल के रोगियों में बाईं करवट सोना कभी-कभी असहज हो सकता है। एक अध्ययन में पाया गया कि दिल की समस्या वाले मरीज दाईं करवट पर ज़्यादा समय बिताते हैं क्योंकि यह तंत्रिका तंत्र पर संतुलन लाता है। पीठ के बल सोना खर्राटों और स्लीप एपनिया को बढ़ा सकता है, जिससे दिल पर दबाव बढ़ता है। इसलिए अधिकतर लोगों के लिए करवट लेकर सोना ही सुरक्षित है।

बेहतर नींद के व्यावहारिक तरीके

  • अगर रात में एसिडिटी परेशान करे, तो बाईं करवट सोएं और सोने से कम से कम 3 घंटे पहले खाना खा लें।
  • तकिए का ऐसा सेटअप रखें जो रीढ़ को सीधा और आरामदायक बनाए।
  • दिल की समस्या में अगर बाईं करवट असहज लगे तो दाईं करवट एक विकल्प है।
  • कमरे को ठंडा, अंधेरा और शांत रखें और सोने-जागने का समय नियमित रखें।