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मुख्यमंत्री कार्यालय (सीएमओ) ने कोटा सीएडी और जल संसाधन विभाग से राजस्थान और मध्यप्रदेश के बीच चम्बल जल बंटवारे और जल विवाद को लेकर तथ्यात्मक रिपोर्ट मांगी है। पिछले साल रबी सीजन में मध्यप्रदेश की कितनी डिमांड थी, कितना पानी दिया था और जल समझौते के अनुरूप पानी क्यों नहीं दे पाए, इन बिन्दुओं की भी जानकारी मांगी है। कोटा सीएडी प्रशासन ने सीएमओ को रिपोर्ट भेज दी है।
सूत्रों के अनुसार सीएमओ को भेजी रिपोर्ट में बताया कि चम्बल जल बंटवारे के तहत मध्यप्रदेश को दाईं मुख्य नहर के पार्वती एक्वाडक्ट से 3900 क्यूसेक पानी दिया जाना होता है। इस नहर की पूर्ण जल प्रवाह क्षमता 6225 क्यूसेक है। मध्यप्रदेश को वर्ष 2024-25 में मांग के अनुसार पानी दिया था। रबी सीजन में दोनों राज्यों में एक साथ मांग होने की स्थिति में ही मध्यप्रदेश को कम पानी मिलता है।
नहर संचालन के दौरान सुरक्षा के अनुसार जल संचालन किया था, क्योंकि नहर का काम अधूरा था। वीड (कंजी) काफी मात्रा में थी, इस कारण मुख्य नहर में पानी का प्रवाह उल्टा आता है। इससे नहर की क्षमता कम हो जाती है। इस वर्ष चंबल के बांधों में काफी पानी है। नहर का काम भी काफी पूर्ण हो चुका है। अत: मध्यप्रदेश को मांग के अनुसार पानी दिया जाना संभव हो सकेगा।
मप्र ने 2000 क्यूसेक पानी मांगा
रिपोर्ट के अनुसार मध्यप्रदेश ने वर्ष 2025-26 में 3900 क्यूसेक की एवज में मात्र 2000 क्यूसेक पानी की मांग 28 अक्टूबर से की है। इस समय राजस्थान पानी देने की स्थिति में है। मंगलवार से पार्वती एक्वाडक्ट से मध्यप्रदेश को 2000 क्यूसेक पानी दिया जाएगा। इसके लिए दाईं मुख्य नहर में जल प्रवाह बढ़ा दिया है। राजस्थान में बारिश होने से रेलना के लिए पानी की मांग नहीं है।
जल बंटवारे को लेकर बैठक आज
रबी सीजन के लिए चंबल जल बंटवारे को लेकर राजस्थान और मध्यप्रदेश के बीच अंतरराज्यीय नियंत्रण बोर्ड की 29वीं तकनीकी समिति की बैठक मंगलवार को वर्चुअली होगी। इसकी अध्यक्षता मध्यप्रदेश के मुख्य अभियंता करेंगे। इसमें चम्बल के बांधों में उपलब्ध पानी के आधार पर जल बंटवारा तय किया जाएगा। साथ ही, नहरों में कब तक जल प्रवाह जारी रखा जाएगा और निर्माण कार्य पर भी बात होगी।
Updated on:
28 Oct 2025 12:03 am
Published on:
28 Oct 2025 12:02 am
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