सिरोही. महाराव सुरतान देवड़ा.
सिरोही । सिरोही राज्य के शूरवीर शासक महाराव सुरतान देवड़ा ने दत्तानी के युद्ध में मुगल बादशाह अकबर की सेना को पराजित कर छक्के छुड़ाए थे, जो सिरोही राज्य के ऐतिहासिक विजय दिवस के रूप में जाना जाता है।
इतिहास संकलन समिति के प्रांत उपाध्यक्ष डॉ. उदयसिंह डिंगार ने बताया कि स्वातंत्र्यवीर महाराव सुरतान देवड़ा ने महाराणा प्रताप एवं राव चंद्रसेन की सहायता कर मां भारती की आजादी की ज्योति को प्रज्ज्वलित रखने में ऐतिहासिक भूमिका निभाई थी।
वहीं मुगल सत्ता को चुनौती देने का कार्य किया था। उनके अपने 51 वर्ष के जीवन काल में 52 युद्ध में विजय श्री हासिल करने को लेकर उक्ति प्रसिद्ध रही है।
देशकाल एवं परिस्थितियों के फलस्वरूप बादशाह अकबर ने मुगल सेनापति के रूप में रायसिंह मारवाड़ एवं राणा जगमाल मेवाड़ के नेतृत्व में मुगल सेना को सिरोही पर आक्रमण करने का आदेश दिया।
17 अक्टूबर 1583 ई को दत्तानी तहसील रेवदर जिला सिरोही ग्राम के निकट बादशाह अकबर की सेना एवं सिरोही के शासक महाराव सुरतान देवड़ा की सेना के बीच भयंकर युद्ध हुआ, जिसमें मुगल सेना की करारी हार हुई।
इस युद्ध में मुगल सेना के सेनापति रायसिंह मारवाड़, राणा जगमाल समेत कई योद्धा मारे गए। वहीं सिरोही राज्य के सेनापति समरसिंह डूंगरावत समेत मातृभूमि के कई रखवाले लहूलुहान शहादत को प्राप्त कर कीर्तिमान स्थापित कर गए। महाराव सुरतान देवड़ा के सेनापति समरसिंह डूंगरावत के पराक्रम, शौर्य एवं बलिदान को लेकर राष्ट्रकवि दुर्शाजी आढा की पंक्तियां प्रसिद्ध रही है।
डॉ. डिंगार ने बताया कि सिरोही के इस ऐतिहासिक विजय दत्तानी महायुद्ध में मुग़ल सेना पर सिरोही की ऐतिहासिक विजय के फलस्वरुप 17 अक्टूबर का दिवस सिरोही के लिए विजय दिवस कहा जाए तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी।
लेकिन इस महान विजय के वर्णन को इतिहास में उचित स्थान नहीं मिला। आज दत्तानी के युद्ध स्थल पर पैनोरमा बनाया जाकर शौर्य, पराक्रम, शहादत एवं विजय को ऐतिहासिक धरोहर के रूप में संरक्षित किया जाना चाहिए। ताकि युवा पीढ़ी को इतिहास की जानकारी मिले।
Updated on:
18 Oct 2025 02:48 pm
Published on:
18 Oct 2025 02:43 pm
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