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शांतिवन में वैश्विक शिखर सम्मेलन, ब्रह्माकुमारीज ने गुलाब कोठारी को दिया ‘राष्ट्र चेतना पुरस्कार’

उद्घाटन सत्र में ब्रह्माकुमारीज संस्थान की ओर से पत्रिका समूह के प्रधान संपादक गुलाब कोठारी को ‘राष्ट्र चेतना पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया।

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पत्रिका समूह के प्रधान संपादक गुलाब कोठारी का राष्ट्र चेतना पुरस्कार उनकी पुत्रवधु दीप्ति कोठारी को प्रदान करते ब्रह्माकुमारीज संस्थान के बीके डॉ. मृत्युंजय भाई और राजयोगिनी चक्रधारी दीदी (फोटो: पत्रिका)

एकता और विश्वास पर आधारित आदर्श भविष्य की प्रेरणा के संदेश के साथ ब्रह्माकुमारीज संस्थान के अंतरराष्ट्रीय मुख्यालय शांतिवन में शुक्रवार से वैश्विक शिखर सम्मेलन का शुभारंभ हुआ। चार दिन (13 अक्टूबर तक) चलने वाले इस सम्मेलन में भारत सहित चीन, जर्मनी, नेपाल, थाईलैंड और मलेशिया से आए करीब छह हजार प्रतिनिधि शामिल हुए हैं।

कार्यक्रम में धर्म, अध्यात्म, राजनीति, शिक्षा, समाजसेवा, प्रशासन, व्यापार और मीडिया जगत से जुड़े विद्वान छह सत्रों में विचार-मंथन करेंगे। उद्घाटन सत्र में ब्रह्माकुमारीज संस्थान की ओर से पत्रिका समूह के प्रधान संपादक गुलाब कोठारी को ‘राष्ट्र चेतना पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया। यह सम्मान उनके प्रतिनिधि के रूप में पुत्रवधु दीप्ति कोठारी ने ग्रहण किया।

संस्थान ने कोठारी के सामाजिक सरोकारों से जुड़ी पत्रकारिता, जन-जागरण और मानवता केंद्रित लेखन को भारतीय चिंतन परंपरा की आत्मा से जोड़ा। कर्नाटक के शिमोगा से सांसद बीवाई राघवेंद्र मुख्य अतिथि थे। उद्घाटन सत्र में संयुक्त मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी बीके सुदेश दीदी, नई दिल्ली शक्तिनगर की निदेशिका बीके चक्रधारी दीदी और नेपाल के प्रख्यात गायक आनंद कार्की ने भी संबोधन दिया।

'उनकी आवाज हमेशा गहराई और सच्चाई की तलाश करती है'

पुरस्कार ग्रहण करते हुए दीप्ति कोठारी ने कहा, 'मैं अपने पिता गुलाब कोठारी की ओर से यहां उपस्थित होने पर हृदय से आभारी हूं। इस पवित्र आश्रम में आने की मेरी लंबे समय से इच्छा थी। यहां का कंपन शब्दों से परे है।' उन्होंने बताया कि पिछले 11 वर्षों से वे बच्चों के लिए संवेदनशील और मूल्यनिष्ठ समाचार सामग्री तैयार कर रही हैं ताकि भविष्य की सहृदय और सुवक्ता पीढ़ी तैयार हो सके।

उन्होंने कहा, 'गुलाब कोठारी का योगदान केवल मुद्दों को उठाने तक सीमित नहीं है। वे आत्मनिरीक्षण और चिंतन की भूमि तक ले जाते हैं। चाहे उनकी पत्रकारिता हो, वेदों पर शोध हो या हालिया कृति ‘स्त्री: देह से आगे’- हर रचना में उनकी आवाज गहराई और सच्चाई की तलाश करती है।' उन्होंने आगे कहा, 'शास्त्र कहते हैं- स्त्री देश की संस्कृति की वाहक है, जबकि पुरुष सभ्यता का प्रतीक। वर्तमान शिक्षा ने दोनों को अपूर्ण बना दिया है। देवता भी जब असुरों से हारते हैं तो देवी से ही शक्ति मांगते हैं, क्योंकि स्त्री स्वयं शक्ति है।'


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