
निगम मुख्यालय में कंट्रोल रूम और डिपो में सौंपी थी जिम्मेदारी
इन उदाहरणों से समझें लापरवाही को
केस एक: सीकर से बीकानेर जा रहे यात्री कमल कुमार (परिवर्तित नाम ) 17 अक्टूबर को दोपहर में सीकर से रोडवेज बस बैठे। बकौल यात्री जयपुर से लगातार एक शस बस में उनके साथ अभद्र व्यवहार कर रहा था। बुजुर्ग होने के नाते उन्होंने डर के मारे शिकायत की तो कंडक्टर बोला सर पैनिक बटन तो काफी समय से काम ही नहीं करते। पूरी यात्रा डर और बेचैनी में गुज़री।
केस दो: सीकर की सोनिया चौधरी (परिवर्तित नाम ) ने बताया वह 10 अक्टूबर की रात जयपुर से नागौर जा रही थी। जयपुर से सीकर के बीच रींगस के पास यात्रियों की भीड़ के दौरान पीछे की सीट पर बैठे एक युवक ने उसके साथ छेडछाड़ का प्रयास किया। इस पर बस में लगा पैनिक बटन दबाया लेकिन कोई कार्रवाई तो दूर बस स्टॉफ तक को पता नहीं चला। जोर से चिल्लाने के बाद कंडक्टर पास आया और उसने युवक को अगले स्टैंड पर बस से उतार दिया।
सीकर. रोडवेज बसों में महिलाओं की सुरक्षा के बड़े-बड़े दावों के बीच लगाए गए पैनिक बटन अब सिर्फ दिखावे की चीज बनकर रह गए हैं। दो साल पहले निगम ने महिला यात्रियों को सुरक्षित माहौल देने के लिए सभी बसों में ये सिस्टम लगाया था। हालत यह है कि इनमें से 80 फीसदी से ज्यादा बटन खराब हैं या निष्क्रिय पड़े हैं। आश्चर्य की बात है कि हाल में रोडवेज के बेडे में शामिल हुई बसों में भी पैनिक बटन काम नहीं कर रहा है, इधर बसों में महिलाओं से छेड़छाड़ और बदमाशी की घटनाएं लगातार हो रही हैं। इसके बाद भी इस तरफ जिमेदार ध्यान नहीं दे रहे हैं।
गौरतलब है कि राजस्थान पथ पविहन निगम की ओर से महिलाओं की सुरक्षा के लिए 2023 में रोडवेज की करीब 3500 बसों में जीपीएस आधारित पैनिक बटन लगाए गए थे। इसमें बटन दबाने पर सीधा सिग्नल निगम मुयालय स्थित कंट्रोल रूम और संबंधित डिपो तक पहुंचना था, जिससे पुलिस को तुरंत अलर्ट भेजा जा सके। अब हाल यह है कि कई बसों में बटन दबाने पर कोई प्रतिक्रिया नहीं होती। रोडवेज अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि सिस्टम की मॉनिटरिंग ही बंद है। बजट और मेंटेनेंस की कमी के कारण ये काम नहीं कर रहे हैं। हालांकि इस संबंध में उच्चाधिकारियों को कई बार अवगत कराया जा चुका है।
सीकर, नागौर, बीकानेर, गंगानगर डिपो के परिचालकों के अनुसार रोडवेज बसों में एक साल में महिलाओं से छेड़छाड़ और चोरी की चार दर्जन से ज्यादा घटनाएं हुई है। पुलिस जांच के दौरान पीड़ितों ने बताया कि घटनाक होने के दौरान पैनिक बटन ही बंद मिले तो किसे शिकायत करते। स्थिति यह है कि प्रदेश के 52 डिपो में करीब आधा दर्जन डिपो ही पैनिक बटन की मॉनिटरिंग कर रहे हैं वहीं मुयालय पर बने कंट्रोल रूम में स्टाफ की 40 फीसदी पद खाली है। इससे यह सिस्टम बसों में धूल खा रहा है। लोगों ने बताया कि पैनिक बटन और कंट्रोल रूम सही तरह से काम करते, तो कई घटनाएं रोकी जा सकती थीं। वहीं महिला यात्रियों का कहना है कि रोडवेज में महिलाओं की सुरक्षा का दावा सिर्फ पोस्टर तक सीमित है।
सुरक्षित सफर करने के प्रशासन ने लाखों रुपए खर्च करके रोडवेज की बसों में पैनिक बटन लगाए थे। यह बड़े शर्म की बात है कि अधिकारियों की लापरवाही और देखरेख के अभाव में ये बटन अब शोपीस बन गए है। पैनिक बटन के खराब होने से बस के स्टॉफ को समय पर यात्रियों की पीड़ा की सूचना नहीं लग पाती है। सरकार को चाहिए कि यात्रियों की सुरक्षा को लेकर इस प्रकार की लापरवाही नहीं बरते। सरकार पैनिक बटन व्यवस्था की नियमित मॉनिटरिंग करे, जिससे यात्रियों को फायदा मिल सके।
महावीर पारीक, सेवानिवृत्त कर्मचारी, राजसथान रोडवेज
मॉनिटरिंग मुख्यालय स्तर पर की जाती है। पैनिक बटन खराब होने की सूचना पर कार्रवाई की जाती है। डिपो की सभी रोडवेज बस में लगे पैनिक बटन काम कर रहे हैं। अगर कहीं से किसी बटन खराब होने की सूचना व शिकायत मिलने पर खराब पैनिक बटन को ठीक करवा दिया जाएगा।
दीपक कुमावत, मुख्यप्रबंधक सीकर आगार
Published on:
24 Oct 2025 11:41 am
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