सीकर. खरीफ सीजन में बारिश की मार झेल चुके किसानों की दुविधा अब और बढ़ गई है। वजह खरीफ की फसलें की इस समय कटाई नहीं हो पाना है। इससे किसानों को प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में बीमित होने के बावजूद किसानों को खड़ी फसल में हुए नुकसान का क्लेम नहीं मिलेगा। योजना में बीमा कंपनियों की गाइड-लाइन के अनुसार किसानों को फसल बीमा का भुगतान केवल फसल कटाई प्रयोग (क्रॉप कटिंग एक्सपेरिमेंट) के आधार पर ही होगा। जब तक फसल की कटाई नहीं होगी, नुकसान का आकलन संभव नहीं है। बीमित किसानों के अनुसार सरकार को प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के नियम बदलकर खड़ी फसल के नुकसान पर भी मुआवजा देने का प्रावधान करना चाहिए । पिछले दिनों कृषि विभाग ने प्रारंभिक आकलन में माना है कि जिले में अगस्त माह के अंतिम सप्ताह और सितबर माह की शुरूआत में हुई भारी बारिश से जिले के कई हिस्सों में ग्वार, मूंग, बाजरा की फसलें बर्बाद हो गईं। खेतों में खड़ी फसलें पानी में डूब गईं, जिससे किसानों को लाखों रुपए का नुकसान हुआ। लेकिन यह नुकसान फिलहाल बीमा दावे में शामिल नहीं होगा।
जिले में इस बार खरीफ सीजन के दौरान एक लाख 26 हजार से ज्यादा किसानों ने बीमा करवाया। बीमा की एवज में 17 करोड़ आठ लाख 33 हजार रुपए का प्रीमियम लिया गया है। किसानों के अनुसार समय पर बीमा कराया, अब खड़ी फसल नष्ट हो गई है तो कोई सुनवाई नहीं। यह बीमा किसानों के काम का नहीं है। सरकार ऐसे समय में मदद नहीं करेगी तो कर्ज चुकाना मुश्किल हो जाएगा। मौजूदा समय में हो रहे मौसम के बदलाव के हालात में फसल कटाई प्रयोग की पुरानी पद्धति अप्रभावी हो रही है। किसानों को तत्काल राहत देने के लिए सैटेलाइट इमेजिंग और डिजिटल सर्वेक्षण जैसी तकनीक से आकलन कर क्लेम देना चाहिए। जिससे किसानों को फायदा हो सके।
खेती - किसानी को बचाने के लिए जरूरी है कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में बदलाव किया जाए। बदलाव के तहत फसल बोने से लेकर कटाई तक स्थिति बीमा के दायरे में लानी जरूरी है। फसल कटाई प्रयोग के लिए समय तय नहीं किया जा सकता है। जिले में अगेती फसल कटाई के लिए तैयार है। जब किसान फसल काटता है उसी समय जिमेदारों को फसल कटाई प्रयोग करने चाहिए, जिससे फसल उत्पादन वास्तविकता सामने आ सके।
सागर खाचरिया, जिला महासचिव अखिल भारतीय किसान सभा
मुयमंत्री को किसानों की पीड़ा के बारे में पूरी जानकारी है। सरकार की ओर से जल्द किसानों को मुआवजा देने की तैयारी है। कंपनियों से बीमा कराने वाले किसानों के लिए भी सरकार स्तर पर कमेटी गठन का फैसला होने की पूरी आस है।
मनोज बाटड़, जिलाध्यक्ष, भाजपा
भाजपा सरकार ने हमेशा किसानों को ठगने और परेशान करने का काम किया है। पूरे प्रदेश के किसान बारिश की मार से परेशान है। अब ज्यादा बारिश ने किसानों की उमीदों पर पानी फेर दिया है। इधर सरकार महज थोथी घोषणाएं करने में लगी हुई है। किसानों को यदि सरकार ने मुआवजा नहीं दिया तो जिलेभर में आंदोलन किया जाएगा।
सुनीता गिठाला, जिलाध्यक्ष, कांग्रेस
जिले में फसल कटाई प्रयोग आवंटित किए गए है। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना प्रावधानों के अनुसार खड़ी फसल में नुकसान होने पर व्यक्तिगत सर्वे कर मुआवजा देने का प्रावधान नहीं है। फसल कटाई के बाद बारिश से नुकसान होने पर व्यक्तिगत सर्वे कर मुआवजा देने का प्रावधान है। इसलिए अब क्रॉप कटिंग के आधार पर ही किसानों को खरीफ सीजन का मुआवजा मिलेगा।
शिवजीराम कटारिया, अतिरिक्त निदेशक कृषि खंड सीकर
Updated on:
15 Sept 2025 11:52 am
Published on:
15 Sept 2025 11:51 am
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