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खाटूश्यामजी। धन की देवी मां लक्ष्मी का राजस्थान में एक अनूठा मंदिर है। ऐसी मान्यता है कि यहां खुद मां लक्ष्मी के कदम छपे मिले थे। मंदिर की दीवारों पर साज-सज्जा के लिए फूलों के बजाय नोट ही नोट लगे हैं। धरतेरस पर लक्ष्मी मंदिर में दर्शनों के लिए देशभर से श्रद्धालु पहुंचते है।
बाबा श्याम नगरी से मात्र आठ किमी दूर स्थित डूकिया गांव में मनोकामनापूर्ण मां लक्ष्मी का मंदिर आस्था के साथ अर्थ व आत्मनिर्भरता का अनूठा संगम बन गया है। मंदिर ट्रस्ट अध्यक्ष नरेश डागर ने बताया कि मंदिर को धार्मिक पर्यटन के रूप में विकसित करने के लिए 70 फीट ऊंची भगवान विष्णु की प्रतिमा के साथ भगवान अग्रसेन मंदिर का भी निर्माण किया जा रहा है।
दुकानदार लालचंद ने बताया, दिवाली पर मां लक्ष्मी के दर्शन को उमड़ी भीड़ के बीच बाजारों में दीपक, मिठाइयां, फूलमालाएं, प्रसाद और सजावटी सामान की बिक्री चरम पर है। श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए खाटूश्यामजी से डूकिया मार्ग तक काफी होटल, रेस्टोरेंट, फूडकोर्ट व दुकानें भी खुल गई है।
मंदिर में मां लक्ष्मी के खुद आने की मान्यता भी है। मंदिर पुजारी ने बताया कि 2018 में दिवाली पर मां के दर्शनों के लिए उन्होंने रात को मंदिर के पट खुले छोड़ दिए थे। लेकिन, देर रात पट अंदर से बंद हो गए। खोलने की कोशिश की तो भी नहीं खुले। चर्चा फैली तो गांववासी मंदिर पहुंचे। बाद में दरवाजा तुड़वाया गया। अंदर देखा तो प्रतिमा के सामने मेहंदी और चंदन लगे पांव उभरे हुए थे।
मंदिर का निर्माण नजफगढ़ दिल्ली के श्याम भक्त नरेश डागर ने करवाया है। डागर ने यहां खाटूश्यामजी दर्शनों के आने की परंपरा के बीच 150 बीघा जमीन खरीदी थी। निर्माण के लिए जब नींव खोदी तो मिट्टी से 18 भुजाधारी देवी की छोटी प्रतिमा मिली, जिसे उन्होंने त्रिवेणी धाम के महंत नारायण दास महाराज को दिखाया था। उन्होंने मूर्ति महालक्ष्मी की बताते हुए उसी जमीन पर मंदिर बनाने की बात कही। इस पर करीब दो करोड़ की लागत से मंदिर बनवाकर 17 अक्टूबर 2018 शारदीय नवरात्रों में महालक्ष्मी की मूर्ति को प्रतिष्ठित करवाया गया।
Published on:
18 Oct 2025 04:15 pm
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