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पशुओं से सम्पर्क बढ़ा रहा बीमारियों का खतरा

मौजूदा दौर में मानव व पशु के मध्य बढ़ते संपर्क के चलते जूनोटिक(जानवरों से इंसानों में फैलने वाली बीमारियां) संक्रामक रोगों का खतरा बढ़ गया है। वजह एक दशक से घरों में पशु पालते हैं और ज्यादातर समय उनके बीच गुजारते हैं। चिंताजनक बात है कि ज्यादातर जुनोटिक बीमारी पशुओं से ही मानव में आई है।

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मौजूदा दौर में मानव व पशु के मध्य बढ़ते संपर्क के चलते जूनोटिक(जानवरों से इंसानों में फैलने वाली बीमारियां) संक्रामक रोगों का खतरा बढ़ गया है। वजह एक दशक से घरों में पशु पालते हैं और ज्यादातर समय उनके बीच गुजारते हैं। चिंताजनक बात है कि ज्यादातर जुनोटिक बीमारी पशुओं से ही मानव में आई है। ये बीमारियां बारिश के समय सबसे अधिक ख़तरनाक होती है और सही समय पर इलाज नहीं मिले तो संक्रमित मरीज़ की जान तक जा सकती है। ऐसे में जूनोटिक रोगों की रोकथाम के लिए सतर्कता जरूरी है। हालांकि रेबीज रोग पूर्णतया घातक होते हुए भी सतर्कता और समय पर टीकाकरण से इसे शत-प्रतिशत रोका जा सकता है।

वायरल जैसे लक्षण

लेप्टोस्पायरोसिस बीमारी आमतौर पर चूहों से मनुष्य में फैलती है, जबकि ब्रुसेलोसिस अन्य जानवरो के संपर्क में आने से मनुष्य में फैलती है। आम तौर पर इन बीमारियों का खतरा उन लोगों को सबसे ज़्यादा ख़तरा रहता है जो आमतौर पर पालतू जानवरों या फिर मवेशियों के संपर्क में रहते हैं। इन बीमारियों के लक्षण आमतौर पर सामान्य बुखार की तरह होते हैं। जिनमें अचानक वजन कम होना, ब्लड प्रेशर बढ़ना लंबे समय तक बीमारी बनी रहना प्रमुख है। यही कारण है कि ये बीमारी जल्द पकड़ में नहीं आती है।

बरतें सावधानी

कच्चे दूध का सेवन न करें। उबालकर ही दूध पीएं। पालतू पशुओं का टीकाकरण समय-समय पर अवश्य जरूर करवाएं। पशुपालन या सफाई कार्यों के बाद मिट्टी से हाथ धोने की बजाए साबुन एवं डिटर्जेंट से हाथ धोएं। पशुजन्य मल, मूत्र एवं स्राव के सीधे संपर्क से बचें। कार्य के दौरान दस्ताने, मास्क आदि सुरक्षा साधनों का प्रयोग करें।

इनका कहना है पालतू या जंगली किसी भी पशु के काटने, खरोंचने या संदिग्ध व्यवहार की स्थिति में तत्काल चिकित्सकीय परामर्श लें। साथ ही संबंधित विभाग को सूचना दें जिससे समय रहते ही जूनोटिक रोग को फैलने से रोका जा सके।

डॉ. वीरेन्द्र शर्मा, प्रभारी जिला रोग निदान केन्द्र