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राजस्थान में आएंगे 5 नए बाघ-बाघिन, इनब्रीडिंग की समस्याओं से जूझ रहा रणथम्भौर में जंगल के राजा का कुनबा

राजस्थान के जंगलों में बाघों का कुनबा मौजूदा समय में समस्या से जूझ रहा है। वनक्षेत्र नहीं बदलने से टाइगर की नई पीढ़ी मुश्किल में पड़ गई है। इनब्रीडिंग में समस्या आने लगी है।

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Ranthambore tiger Reserve

रणथम्भौर टाइगर रिजर्व में शावक के साथ बाघिन (फाइल फोटो-पत्रिका)

सवाईमाधोपुर। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनाने वाले रणथम्भौर राष्ट्रीय उद्यान में प्रदेश में सबसे अधिक बाघ-बाघिन हैं। यहां करीब 78 बाघ-बाघिन और शावक विचरण कर रहे हैं। साथ ही यहां जन्में बाघ-बाघिनों ने प्रदेश के सरिस्का, कोटा के मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व, बूंदी के रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व और करौली-धौलपुर टाइगर रिजर्व को आबाद किया है।

मौजूदा समय में रणथम्भौर बाघ-बाघिनों में इनब्रीडिंग की समस्या से जूझ रहा है। पहले भी इनब्रीडिंग के कारण कई बाघ-बाघिनों को एक जैसी बीमारियों का सामना करना पड़ा है, इसके बाद भी वन विभाग और सरकार यहां ध्यान नहीं दे रही है। इसका खामियाजा बाघ-बाघिनों को भुगतना पड़ रहा है।

प्रदेश में आएंगे 5 बाघ, 7 बाघों का होगा स्थानान्तरण

जानकारी के अनुसार कोटा के मुकंदरा हिल्स और बूंदी के रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व में 7 बाघ-बाघिनों का स्थानान्तरण होगा, जिसमें से 5 बाघ-बाघिनों को दूसरे राज्य से स्थानान्तरण किया जाएगा। इनमें से दो रणथम्भौर और 5 अन्य राज्य से होंगे। इस संबंध में सरकार और नेशनल टाइगर कन्जर्वेशन अथॉरिटी (एनटीसीए) की ओर से अनुमति भी दे दी गई है।

क्या होती है इनब्रीडिंग ?

समान जीन पूल के बाघ और बाघिनों के बीच मेटिंग होने से पैदा होने वाले शावकों को इनब्रीडिंग की प्रक्रिया कहा जा सकता है। एक अध्ययन में भी इस बात का उल्लेख किया गया था कि समान जीन पूल के बाघ-बाघिनों में असमान जीन पूल से पैदा हुए बाघ-बाघिनों की तुलना में शारीरिक क्षमताएं कम होती हैं।

प्रदेश में बाघ-बाघिन और शावकों की संख्या

प्रदेश के अभयारण्यों में बाघ-बाघिन और शावकों की बात करें तो साल 2025 के मुताबिक, रणथम्भौर में इनकी संख्या 78 है। वहीं सरिस्का टाइगर रिजर्व में 48, करौली-धौलपुर अभ्यारण्य में 11, रामगढ़ विषधारी राष्ट्रीय उद्यान में बाघों की संख्या 07 है। इसके अलावा मुकुंदरा टाइगर रिजर्व में बाघों की कुल संख्या 06 है।

ट्रांसलोकेशन का प्रयास

प्रदेश में पहली बार इंटरस्टेट प्रस्तावित है। हालांकि अभी रणथम्भौर में इंटरस्टेट ट्रांस लोकेशन नहीं हो रहा है। लेकिन भविष्य में रणथम्भौर में भी इंटर स्टेट ट्रांसलोकेशन का प्रयास किया जाएगा। -रामानंद भाकर, उपवन संरक्षक, रणथम्भौर बाघ परियोजना, सवाईमाधोपुर