Govind Sharan Ji Maharaj On Akal Mrityu: धार्मिक ग्रंथों की मानें तो धरती पर पैदा होने वाले हर व्यक्ति की मृत्यु का अलग-अलग समय तय है। लेकिन आम तौर पर भारत में लोग 60 वर्ष से अधिक ही जीते हैं।
हालांकि इनमें से कई लोग अल्पायु में ही देह छोड़ देते हैं, इसका उनके परिवार पर बुरा असर पड़ता है। कई बार पीछे रह गए लोगों को इसकी बड़ी पीड़ा झेलनी पड़ती है। इधर, प्रेमानंद महाराज (Premanand Ji Maharaj) का एक वीडियो वायरल हो रहा है जिसमें वो सत्संग के माध्यम से इसका कारण और बचने का उपाय बताते दिख रहे हैं। आइये प्रेमानंद महाराज से जानें अकाल मृत्यु से बचने के लिए क्या करें ..
बता दें प्रेमानंद महाराज का वृंदावन में श्री हित राधा केलि कुंज नाम का आश्रम है। यहां संत प्रेमानंद आराध्य राधा रानी की उपासना करते हैं। इसके अलावा रोजाना एकांतिक वार्तालाप में भक्तों से मिलकर उनके सवालों के जवाब के माध्यम से उनका मार्गदर्शन करते हैं, ताकि वह धर्म के मार्ग पर रहे। साथ ही भक्ति मार्ग यानी शरणागति की ओर उन्मुख हो।
एकांतिक वार्तालाप में एक भक्त ने प्रेमानंद महाराज से पूछा कि मनुष्य की अकाल मृत्यु क्यों होती है। इस पर प्रेमानंद महाराज ने कहा कि वैसे तो हर व्यक्ति की धरती पर जन्म और मृत्यु का समय तय होता है। प्रायः लोग वृद्धावस्था पार कर शरीर जर्जर होने के बाद पूरा जीवन जीकर मृत्यु को प्राप्त करते हैं।
लेकिन आपने देखा होगा, बहुत से लोगों की वृद्धावस्था से पहले ही, जवानी में ही मौत हो जाती है यानी उसकी अकाल मृत्यु हो जाती है। इसकी वजह है अत्यधिक या कोई बड़ा पाप, जो आयु को क्षीण कर शरीर का नाश कर देता है। इससे व्यक्ति की अकाल मौत हो जाती है।
प्रेमानंद महाराज के अनुसार अकाल मृत्यु का बुरा योग जीवन में न आए। इसके लिए व्यक्ति को रोज भगवान का चरणामृत पीना चाहिए। महाराज जी ने कहा कि अकाल मृत्यु हरणं, सर्वं व्याधि विनाशनम्, श्रीकृष्णपादोदकं पीत्वा पुनर्जन्म न विद्यते। महाराज जी के अनुसार भगवान के चरणामृत का प्रभाव रामबाण के समान है।
इसके लिए व्यक्ति को रोज शालिग्राम, राधा वल्लभ आदि का चरणामृत पीता है, उसे न तो कोई रोग सताता है और न उसकी अकाल मृत्यु होती है। क्योंकि इसमें सभी रोगों के शमन करने की सामर्थ्य होती है। साथ ही चरणामृत व्यक्ति में भगवान की प्राप्ति की उमंग को प्रकट करता है। इसलिए भक्तों को रोज एक ढक्कन चरणामृत पीना चाहिए, इससे उसकी अकाल मृत्यु नहीं होगी और रोग हो भी गया तो बहुत परेशान नहीं करेगा, उससे पीड़ा नहीं होगी।
प्रेमानंद महाराज के अनुसार प्राणी का संसार में एकमात्र लक्ष्य जन्म मरण चक्र से मुक्ति होता है और रोज भगवान का चरणामृत पीने से उसका लक्ष्य पूरा हो जाएगा। जब उसका शरीर छूटेगा तो पुनर्जन्म नहीं होगा। क्योंकि अंतिम समय में भगवान की याद जरूर आ जाएगी।
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Updated on:
13 Jun 2025 03:50 pm
Published on:
11 Jun 2025 04:28 pm