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शिक्षक नहीं तो कक्षाएं बंद: बारिश में भी छतरी ताने सड़क पर उतरीं छात्राएं, घंटों चक्काजाम के बाद प्रशासन ने भेजे शिक्षक

राजस्थान की सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की भारी कमी एक बार फिर सुर्खियों में है।

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Studens Agitaton

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रेलमगरा. राजस्थान की सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की भारी कमी एक बार फिर सुर्खियों में है। राजसमंद जिले के रेलमगरा उपखंड के पछमता गांव की छात्राओं ने सोमवार को उस नाराजगी को आवाज दी, जो महीनों से मन में सुलग रही थी। स्कूल में गणित, भूगोल, संस्कृत, सामाजिक विज्ञान और हिन्दी जैसे मुख्य विषयों के शिक्षक नहीं होने से तंग आ चुकी इन बालिकाओं ने आखिरकार सड़क पर उतरकर आंदोलन का रास्ता चुना।

छतरी ताने सड़क पर बैठीं छात्राएं, बारिश भी नहीं रोक सकी हिम्मत

सुबह साढ़े नौ बजे, जैसे ही विद्यालय खुलने का समय हुआ, छात्राओं ने गेट पर ताला जड़ दिया। इसके बाद वे नारेबाजी करती हुई रेलमगरा–गिलूण्ड मार्ग की मुख्य सड़क पर पहुंचीं। तभी अचानक बारिश शुरू हो गई, लेकिन लड़कियों ने पीछे हटने के बजाय छाते खोल लिए और बारिश में भी मानव श्रंखला बनाकर चक्काजाम कर दिया। सड़क के दोनों ओर वाहनों की लंबी कतारें लग गईं। ट्रक, बसें और दुपहिया वाहन सब रुके रहे, जबकि छात्राएं हाथों में तख्तियां लिए नारे लगा रही थीं शिक्षक दो, शिक्षा दो!, बिना अध्यापक कैसे पढ़ाई होगी?

विद्यालय में सिर्फ नाम के शिक्षक, गणित पढ़ाते हैं संस्कृत शिक्षक

पिछले वर्ष ही इस विद्यालय को माध्यमिक से उच्च माध्यमिक का दर्जा मिला था। परंतु उच्च माध्यमिक स्तर के कई विषयों के शिक्षक अब तक नहीं पहुंचे। विद्यालय के एकमात्र स्थायी शिक्षक बसंतीलाल चौधरी अन्य विषयों के शिक्षक न होने पर स्वयं गणित पढ़ा रहे हैं। लेकिन शेष विषयों की कक्षाएं खाली रहती हैं। कक्षा 11वीं और 12वीं की छात्राएं बताती हैं कि कई दिन तो ऐसे गुजर जाते हैं जब कोई अध्यापक कक्षा में नहीं आता। हमें खुद ही किताबें देखकर पढ़ना पड़ता है।

राजनेताओं से भी की थी गुहार, पर आश्वासन तक सीमित रहा सबकुछ

गांव में पहले भी कई बार जनप्रतिनिधि पहुंचे, तब भी छात्राओं ने उन्हें ज्ञापन सौंपा, लेकिन हर बार जवाब मिला कि जल्द शिक्षक भेज दिए जाएंगे। महीनों बीत गए, पर हालात जस के तस रहे। यही कारण रहा कि सोमवार को छात्राओं ने आंदोलन की रूपरेखा बनाकर खुद ही मोर्चा संभाल लिया।

पुलिस और प्रशासन मौके पर पहुंचा, छात्राओं ने कहा अबकी बार हल चाहिए

मामले की सूचना मिलते ही रेलमगरा थाना प्रभारी सोनाली शर्मा जाप्ते सहित मौके पर पहुंचीं। उन्होंने छात्राओं को समझाने की कोशिश की कि सड़क जाम करने से जनता को परेशानी होगी। लेकिन छात्राओं ने एक स्वर में कहा, जब तक शिक्षक नहीं भेजे जाएंगे, हम सड़क से नहीं हटेंगे। स्थिति बिगड़ती देख ब्लॉक शिक्षा अधिकारी सुषमा भानावत, अतिरिक्त बीईईओ यशवंत जोशी और अधिकारी शंकरलाल मौके पर पहुंचे। तीनों ने बातचीत की, लेकिन छात्राएं अड़ी रहीं।

तीन घंटे तक जाम, फिर अधिकारियों ने दिए तात्कालिक नियुक्ति आदेश

लगभग तीन घंटे तक जाम लगा रहा। अंततः माध्यमिक शिक्षा के अतिरिक्त जिला शिक्षा अधिकारी बिहारीलाल भी मौके पर पहुंचे। उन्होंने तत्काल निर्णय लेते हुए आसपास के विद्यालयों से शिक्षकों की अस्थायी नियुक्ति के आदेश जारी किए। इनमें राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय पछमता से चार शिक्षक, जबकि सोनियाणा, लक्ष्मीपुरा और पनोतिया भील बस्ती से एक-एक शिक्षक भेजे गए।जैसे ही यह सूचना छात्राओं तक पहुंची, उनके चेहरों पर संतोष झलक उठा। दोपहर 12 बजे के करीब आंदोलन समाप्त हुआ और सड़क यातायात बहाल हो गया।

‘हम शिक्षा से समझौता नहीं करेंगे’

आंदोलन में शामिल 12वीं कक्षा की छात्रा कविता चौधरी ने कहा,हम किसी राजनीतिक वजह से नहीं आए थे। हमें बस पढ़ना है। जब तक शिक्षक नहीं मिलते, हम आवाज उठाते रहेंगे। एक अन्य छात्रा नेहा मीणा बोली, सरकारी घोषणाएं कागजों पर हैं। असली स्कूलों की हालत तो अधिकारी कभी देखने नहीं आते। जाम की खबर सुनकर कई अभिभावक और ग्रामीण भी पहुंच गए। उन्होंने छात्राओं का समर्थन करते हुए कहा कि बेटियों की पढ़ाई रुकना बर्दाश्त नहीं किया जा सकता।

शिक्षा विभाग ने दी सफाई: स्थायी नियुक्ति जल्द

अतिरिक्त जिला शिक्षा अधिकारी बिहारीलाल ने बताया कि अस्थायी व्यवस्था तत्काल की गई है। स्थायी शिक्षक नियुक्त करने की प्रक्रिया जारी है। उन्होंने कहा, राज्य स्तर से पद स्वीकृत हो चुके हैं। रिक्तियों की पूर्ति जल्द की जाएगी ताकि शिक्षण कार्य सुचारु रूप से चल सके।

बारिश के बीच बालिकाओं के जज्बे को सलाम

पछमता की इन छात्राओं ने यह साबित कर दिया कि शिक्षा केवल अधिकार नहीं, बल्कि आत्मसम्मान का सवाल भी है। बारिश में भी छाते थामे सड़क पर खड़ी इन बेटियों की तस्वीरें अब पूरे क्षेत्र में चर्चा का विषय हैं। उनकी इस जिद ने न केवल प्रशासन को झकझोरा, बल्कि एक संदेश भी दिया कि शिक्षा से समझौता नहीं, अब कार्रवाई चाहिए।