
Bedach Ka naka
राजसमंद. कुंभलगढ़ विधानसभा क्षेत्र के चारभुजा तहसील में स्थित बहुप्रतीक्षित ‘बेड़च का नाका पेयजल परियोजना’ आखिरकार दो दशक से अधिक इंतजार के बाद अब अपने वास्तविक स्वरूप की ओर बढ़ती नजर आ रही है। लगभग 24 साल से अटकी इस योजना को आखिरकार तकनीकी स्वीकृति मिल गई है, जिससे काम शुरू होने की उम्मीद फिर से जगी है। राज्य सरकार की ओर से इस परियोजना के लिए 58.23 करोड़ रुपए की स्वीकृति दी गई है, जबकि बीते साल बजट में इसकी घोषणा 60 करोड़ रुपए की गई थी। अब सिंचाई विभाग ने टेंडर प्रक्रिया की तैयारी शुरू कर दी है और उम्मीद है कि इसी सप्ताह निविदाएं जारी कर दी जाएंगी।
साल 2000 में तत्कालीन मुख्यमंत्री हीरा लाल देवपुरा ने इस महत्वाकांक्षी योजना का शिलान्यास किया था। उद्देश्य था कुंभलगढ़ की पहाड़ियों से बहकर व्यर्थ मारवाड़ में जाने वाले पानी को रोककर दो दर्जन से अधिक गांवों को स्थायी पेयजल उपलब्ध कराना। परंतु योजना की फाइलें साल दर साल वन विभाग, जल संसाधन विभाग, और जलदाय विभाग के बीच घूमती रहीं। कभी एनओसी की कमी, कभी वित्तीय स्वीकृति का अभाव, तो कभी सत्ता परिवर्तन की राजनीति ने इस परियोजना को धरातल पर आने ही नहीं दिया।
15 सितंबर 2003 को पहली बार शिलान्यास हुआ।
2018 में 24.29 करोड़ रुपए की प्रशासनिक स्वीकृति भी मिल गई।
डीएमएफटी से भी साढ़े 50 करोड़ का प्रोजेक्ट तैयार हुआ। लेकिन राज्य सरकार के बदलाव के बाद फाइलें ठंडे बस्ते में चली गईं।
जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग और सिंचाई विभाग के बीच जिम्मेदारी को लेकर महीनों तक खींचतान चलती रही। एक-दूसरे पर कार्य टालने के आरोप लगते रहे। अब जाकर सरकार के दखल से यह तय हुआ है कि सिंचाई विभाग बांध निर्माण का कार्य करेगा, जबकि जलदाय विभाग फिल्टर प्लांट, टंकी निर्माण और पाइप लाइन बिछाने की जिम्मेदारी संभालेगा।
बेड़च का नाका योजना के तहत अब बनने वाले कार्यों में शामिल हैं —
इससे रिछेड़, चारभुजा, झीलवाड़ा, मानावतों का गुड़ा, थुरावड़ जैसी पांच पंचायतों के 11 गांव और 48 ढाणियां लाभान्वित होंगी। सिंचाई विभाग की रिपोर्ट के अनुसार यह परियोजना क्षेत्र के जल संकट को स्थायी रूप से समाप्त करेगी और भविष्य में यहां के कृषि और जनजीवन दोनों को नया आधार देगी। आधुनिक फिल्टर प्लांट और पानी की टंकियां बनेंगी। गांवों तक पानी पहुंचाने के लिए नई पाइप लाइन नेटवर्क बिछाया जाएगा।
इस योजना को तीन चरणों में पूरा करने का प्रस्ताव है —
बेड़च का नाका परियोजना सिर्फ तकनीकी चुनौती नहीं रही, बल्कि यह राजनीतिक इच्छाशक्ति की परीक्षा भी बन गई।
योजना का इतिहास बताता है कि हर सत्ता परिवर्तन के साथ इस परियोजना की प्राथमिकता भी बदलती रही। यही कारण है कि यह जन-जीवन से जुड़ी योजना आज तक अधूरी पड़ी रही।
अगर इस बार परियोजना धरातल पर उतरती है, तो इससे न केवल पेयजल संकट खत्म होगा, बल्कि आसपास के ग्रामीण इलाकों में खेती-बाड़ी के लिए भी पानी का बेहतर प्रबंधन संभव हो सकेगा। कुंभलगढ़ की पहाड़ियों से बहने वाला बेड़च नदी का पानी अब मारवाड़ की रेत में नहीं बहेगा, बल्कि इन गांवों की प्यास बुझाएगा और खेतों में हरियाली लाएगा।
अब परियोजना को लेकर तकनीकी स्वीकृति जारी की जा चुकी है। इस सप्ताह में टैण्डर आमंत्रित किए जाएंगे। इस कार्य को सिंचाई विभाग की ओर से किया जाएगा। टेण्डर जयपुर स्तर से आमंत्रित किए जा रहे हैं। इसके तहत 11 गांव और 48 ढाणियों को लाभ मिलेगा।लोकेश सैनी, अधिशासी अभियंता, जलदाय विभाग, राजसमंद
Published on:
29 Oct 2025 10:28 am
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