Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

60 करोड़ की बेड़च नाका परियोजना: दो दशक की प्यास, अब भी मूर्त रूप लेने का इंतजार

कुंभलगढ़ विधानसभा क्षेत्र के चारभुजा तहसील में स्थित बहुप्रतीक्षित ‘बेड़च का नाका पेयजल परियोजना’ आखिरकार दो दशक से अधिक इंतजार के बाद अब अपने वास्तविक स्वरूप की ओर बढ़ती नजर आ रही है।

3 min read
Google source verification
Bedach Ka naka

Bedach Ka naka

राजसमंद. कुंभलगढ़ विधानसभा क्षेत्र के चारभुजा तहसील में स्थित बहुप्रतीक्षित ‘बेड़च का नाका पेयजल परियोजना’ आखिरकार दो दशक से अधिक इंतजार के बाद अब अपने वास्तविक स्वरूप की ओर बढ़ती नजर आ रही है। लगभग 24 साल से अटकी इस योजना को आखिरकार तकनीकी स्वीकृति मिल गई है, जिससे काम शुरू होने की उम्मीद फिर से जगी है। राज्य सरकार की ओर से इस परियोजना के लिए 58.23 करोड़ रुपए की स्वीकृति दी गई है, जबकि बीते साल बजट में इसकी घोषणा 60 करोड़ रुपए की गई थी। अब सिंचाई विभाग ने टेंडर प्रक्रिया की तैयारी शुरू कर दी है और उम्मीद है कि इसी सप्ताह निविदाएं जारी कर दी जाएंगी।

बेड़च का नाका: 24 साल का अधूरा सपना

साल 2000 में तत्कालीन मुख्यमंत्री हीरा लाल देवपुरा ने इस महत्वाकांक्षी योजना का शिलान्यास किया था। उद्देश्य था कुंभलगढ़ की पहाड़ियों से बहकर व्यर्थ मारवाड़ में जाने वाले पानी को रोककर दो दर्जन से अधिक गांवों को स्थायी पेयजल उपलब्ध कराना। परंतु योजना की फाइलें साल दर साल वन विभाग, जल संसाधन विभाग, और जलदाय विभाग के बीच घूमती रहीं। कभी एनओसी की कमी, कभी वित्तीय स्वीकृति का अभाव, तो कभी सत्ता परिवर्तन की राजनीति ने इस परियोजना को धरातल पर आने ही नहीं दिया।

उलझी रही योजना की फाइलें

15 सितंबर 2003 को पहली बार शिलान्यास हुआ।

2018 में 24.29 करोड़ रुपए की प्रशासनिक स्वीकृति भी मिल गई।

डीएमएफटी से भी साढ़े 50 करोड़ का प्रोजेक्ट तैयार हुआ। लेकिन राज्य सरकार के बदलाव के बाद फाइलें ठंडे बस्ते में चली गईं।

टालमटोल: एक दूसरे पर टालते रहे

जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग और सिंचाई विभाग के बीच जिम्मेदारी को लेकर महीनों तक खींचतान चलती रही। एक-दूसरे पर कार्य टालने के आरोप लगते रहे। अब जाकर सरकार के दखल से यह तय हुआ है कि सिंचाई विभाग बांध निर्माण का कार्य करेगा, जबकि जलदाय विभाग फिल्टर प्लांट, टंकी निर्माण और पाइप लाइन बिछाने की जिम्मेदारी संभालेगा।

क्या-क्या बनेगा परियोजना के तहत

बेड़च का नाका योजना के तहत अब बनने वाले कार्यों में शामिल हैं —

  • 22.63 एमसीएफटी क्षमता वाला डेम85 मीटर होगी नाके की लम्बाई
  • 14 मीटर ग्राउण्ड फ्लोर से ऊंचाई
  • 11 गांव 48 ढाणी होगी लाभान्वित

3156 परिवार होंगे इससे लाभान्वित

इससे रिछेड़, चारभुजा, झीलवाड़ा, मानावतों का गुड़ा, थुरावड़ जैसी पांच पंचायतों के 11 गांव और 48 ढाणियां लाभान्वित होंगी। सिंचाई विभाग की रिपोर्ट के अनुसार यह परियोजना क्षेत्र के जल संकट को स्थायी रूप से समाप्त करेगी और भविष्य में यहां के कृषि और जनजीवन दोनों को नया आधार देगी। आधुनिक फिल्टर प्लांट और पानी की टंकियां बनेंगी। गांवों तक पानी पहुंचाने के लिए नई पाइप लाइन नेटवर्क बिछाया जाएगा।

तीन चरणों में पूरा होगा निर्माण

इस योजना को तीन चरणों में पूरा करने का प्रस्ताव है —

  • प्रथम चरण: बांध निर्माण एवं हेडवर्क्स की चारदीवारी।
  • द्वितीय चरण: फिल्टर प्लांट की स्थापना।
  • तृतीय चरण: पेयजल टंकियों का निर्माण और पाइपलाइन बिछाना।

राजनीति और परियोजना: साथ-साथ चलती कहानी

बेड़च का नाका परियोजना सिर्फ तकनीकी चुनौती नहीं रही, बल्कि यह राजनीतिक इच्छाशक्ति की परीक्षा भी बन गई।

  • 2000: कांग्रेस के हीरा लाल देवपुरा ने शिलान्यास किया।
  • 2003: भाजपा के सुरेंद्र सिंह राठौड़ विधायक बने, योजना फिर ठप।
  • 2008: कांग्रेस के गणेश सिंह परमार ने एनओसी प्रक्रिया शुरू कराई।
  • 2013: भाजपा की सरकार बनी तो परियोजना फिर फाइलों में गुम।
  • 2018: चुनावी साल में डीएमएफटी से प्रशासनिक स्वीकृति मिली, पर वित्तीय स्वीकृति नहीं।

योजना का इतिहास बताता है कि हर सत्ता परिवर्तन के साथ इस परियोजना की प्राथमिकता भी बदलती रही। यही कारण है कि यह जन-जीवन से जुड़ी योजना आज तक अधूरी पड़ी रही।

स्थायी जल समाधान की उम्मीद

अगर इस बार परियोजना धरातल पर उतरती है, तो इससे न केवल पेयजल संकट खत्म होगा, बल्कि आसपास के ग्रामीण इलाकों में खेती-बाड़ी के लिए भी पानी का बेहतर प्रबंधन संभव हो सकेगा। कुंभलगढ़ की पहाड़ियों से बहने वाला बेड़च नदी का पानी अब मारवाड़ की रेत में नहीं बहेगा, बल्कि इन गांवों की प्यास बुझाएगा और खेतों में हरियाली लाएगा।

क्या कहते हैं अधिकारी

अब परियोजना को लेकर तकनीकी स्वीकृति जारी की जा चुकी है। इस सप्ताह में टैण्डर आमंत्रित किए जाएंगे। इस कार्य को सिंचाई विभाग की ओर से किया जाएगा। टेण्डर जयपुर स्तर से आमंत्रित किए जा रहे हैं। इसके तहत 11 गांव और 48 ढाणियों को लाभ मिलेगा।लोकेश सैनी, अधिशासी अभियंता, जलदाय विभाग, राजसमंद