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राजसमंद में ग्रीन दिवाली की तैयारी: पर्यावरण की लाइट में जगमगाएगा फेस्टिव सीजन

दीपावली का त्यौहार आते ही बाजारों में रौनक लौट आई है। मिठाइयों की खुशबू, सजावट की चमक और कपड़ों की दुकानों पर बढ़ती भीड़ के बीच इस बार सबसे ज्यादा चर्चा का विषय हैं ग्रीन पटाखे।

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Rajsamand news

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राजसमंद. दीपावली का त्यौहार आते ही बाजारों में रौनक लौट आई है। मिठाइयों की खुशबू, सजावट की चमक और कपड़ों की दुकानों पर बढ़ती भीड़ के बीच इस बार सबसे ज्यादा चर्चा का विषय हैं ग्रीन पटाखे। प्रदूषण और सुरक्षा दोनों को ध्यान में रखते हुए प्रशासन ने इस बार फिर से ग्रीन पटाखों को ही बिक्री की अनुमति दी है। जिले में इस बार जिले में राजसमंद में 86, देवगढ़ में16, नाथद्वारा में 34, भीम में 10 और रेलमगरा में 11 दुकानदारों ने विस्फोटक अधिनियम के तहत लाइसेंस के लिए आवेदन किए हैं। कुल 157 आवेदनों की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है और अब पुलिस की रिपोर्ट के बाद प्रशासन अस्थायी दुकानों का आवंटन करेगा। उम्मीद की जा रही है कि दीपावली तक बाजार में रंग-बिरंगे ग्रीन पटाखों की चमक दिखाई देने लगेगी।

ग्रीन पटाखे: नया रंग, नई सोच

राज्य सरकार की गाइडलाइंस के अनुसार इस बार बाजार में केवल ग्रीन पटाखे ही बिक्री के लिए पहुंचेंगे। इन पटाखों की खासियत यह है कि इनमें बारूद और भारी धातुओं की मात्रा बेहद कम होती है, जिससे प्रदूषण घटता है और हवा में जहरीले तत्वों का स्तर नहीं बढ़ता।

इस प्रकार हैं ग्रीन पटाखे

  • जमीन चक्कर
  • फुलझड़ियां
  • अनार और सतरंगी रोशनीतीन रंगों वाली पेंसिल
  • टिकियारॉकेट और सुतली बम
  • 200 से 5000 तक की पटाखा लड़ियां।

प्रत्येक पैकेट पर होगा क्यूआर कोड

प्रत्येक पैकेट पर क्यूआर कोड होगा, जिसे मोबाइल से स्कैन करके खरीदार यह देख सकेगा कि पटाखा वाकई “ग्रीन” है या नहीं। कोड स्कैन करने पर नीरी (NEERI) द्वारा प्रमाणित विवरण सामने आएगा।

कैसे हुई तैयारी

जिला प्रशासन ने नौ सितंबर से 29 सितंबर तक पटाखा बिक्री के लिए आवेदन आमंत्रित किए थे।आवेदन के साथ दुकानदारों को शपथ पत्र, साइट प्लान, अग्निशमन यंत्र की रसीद जैसी दस्तावेज़ी प्रक्रिया पूरी करनी पड़ी। अब इन सभी आवेदनों की जांच के बाद ही अस्थायी दुकानों का आवंटन होगा। प्रशासन ने साफ कहा है कि केवल उन्हीं दुकानदारों को अनुमति मिलेगी, जो सुरक्षा मानकों का पालन करेंगे।

सुरक्षा नियमों पर प्रशासन सख्त

  • इस बार पटाखा बाजारों में सुरक्षा को लेकर पहले से ज्यादा सतर्कता बरती जा रही है।
  • नियमों के अनुसार- हर दुकान के बीच कम से कम 15 मीटर की दूरी रखनी होगी।
  • - हर दुकान में अग्निशमन यंत्र होना अनिवार्य होगा।- ग्रीन पटाखों की बिक्री सिर्फ अस्थायी लाइसेंसधारकों को ही मिलेगी।ये रहेगा पटाखे चलाने का समय
  • - दीपावली पर रात 8 से 10 बजे तक,- छठ पर्व पर सुबह 6 से 8 बजे तक,
  • - क्रिसमस और नए साल पर रात 11:55 से 12:30 बजे तक।

प्रदूषण पर नियंत्रण की चुनौती

हर साल दीपावली के बाद हवा में बारूद और कचरे की गंध घुल जाती है। एनजीटी की रिपोर्टों के अनुसार पटाखों से निकलने वाले घातक धुएं की मात्रा 100 से 120 प्रतिशत तक बढ़ जाती है। हालांकि 2021 में कोरोना महामारी के चलते पटाखों पर लगी रोक के कारण प्रदूषण का स्तर सबसे कम दर्ज हुआ था।इस बार ग्रीन पटाखों के चलते उम्मीद है कि हवा में जहर नहीं, खुशबू घुलेगी।

व्यापारियों की उम्मीदे

शहर के पटाखा व्यापारियों ने पहले से ही ग्रीन पटाखों का स्टॉक मंगवाना शुरू कर दिया है। कई दुकानदारों ने पुराने स्टॉक को प्रशासनिक कार्रवाई के डर से बाहर नहीं निकाला है। उनका कहना है कि दिवाली पर बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक सभी की पहली पसंद फुलझड़ी और अनार ही रहते हैं। ग्रीन पटाखे दिखने में भी आकर्षक हैं और प्रदूषण भी नहीं फैलाते, इसलिए बिक्री अच्छी होने की उम्मीद है। इस बार बिक्री का दायरा न केवल शहर बल्कि आस-पास के ग्रामीण इलाकों तक फैलेगा।

धोखाधड़ी से सावधान रहें

बाजार में नकली या प्रतिबंधित पटाखों के नाम पर ग्रीन लेबल वाले पटाखे बेचने की कोशिशें भी होती रही हैं।

इसलिए प्रशासन ने उपभोक्ताओं से अपील की है कि :-

  • -पटाखे खरीदते समय क्यूआर कोड स्कैन करें,- नीरी का लोगो और सर्टिफिकेट नंबर अवश्य देखें,
  • - बिना लाइसेंस वाली दुकानों से सामान न खरीदें।

राज्य सरकार की भूमिका

  • - राज्य सरकार ने ग्रीन पटाखों को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठाए हैं।- NEERI प्रमाणित उत्पादों को ही बाजार में लाने की अनुमति दी गई है।
  • - जिला प्रशासन को सख्त निगरानी और समयबद्ध अनुमति प्रक्रिया का निर्देश दिया गया है।- पर्यावरण विभाग ने भी पटाखों से निकलने वाले धुएं के आंकड़े जुटाने के लिए स्पेशल एयर मॉनिटरिंग टीम तैनात की है।
  • - सरकार का मकसद है कि त्योहार की खुशी बनी रहे लेकिन प्रकृति की सांसें न थमें।

ग्रीन दिवाली– क्लीन दिवाली की ओर कदम

इस बार की दीपावली का संदेश स्पष्ट है कि खुशियां मनाएं, लेकिन प्रकृति को नुकसान नहीं पहुंचाएं।बच्चों के लिए यह सीखने का भी समय है कि कैसे वैज्ञानिक सोच और पर्यावरणीय जिम्मेदारी के साथ त्यौहार मनाया जा सकता है। राजसमंद के बाजारों में फुलझड़ियों की चमक, सतरंगी आसमान और उत्साह की लहर तो होगी ही, लेकिन इस बार वह सांस लेने लायक हवा और हरा-भरा माहौल भी साथ लेकर आएगी।