
Raipur News: प्रदेश में चलने वाली स्लीपर और एसी बसों में सीटें बढ़ाने का खेल चलता है। परिवहन विभाग में रजिस्ट्रेशन के दौरान जितनी सीटों की जानकारी दी जाती हैं, उससे ज्यादा सीटें बसों में लगवाई जाती हैं। इससे बस के भीतर काफी कम जगह बचती है। इमरजेंसी में यात्रियों को बचाव के लिए भागने का मौका तक नहीं मिल पाता। सीट बढ़ाने के कारण सुरक्षा के कई मापदंडों का पालन नहीं किया जाता। कई बसों में वीएलटीडी, पैनिक बटन, फायर-स्मोक डिटेक्टर आदि नहीं लगाए गए हैं।
पैनिक बटन के अभाव में एक महिला की यात्री बस में मौत भी हो चुकी है। बसों को मॉडीफाई करके ओवरहैंग बनाते हैं। साथ ही सीटों और केबिन में हल्के प्लॉस्टिक, फाइबर, फोम, कपड़े आदि ऐसी चीजों का इस्तेमाल करते हैं, जिनमें थोड़ी चिंगारी लग जाए, तो तत्काल बड़ी आगजनी हो जाती है। स्लीपर और एसी बसों के इन अतिरिक्त सीटों की जांच नहीं की जाती है। ऐसे बस संचालकों पर भी एक्शन नहीं लिया जाता है।
रायपुर से चलने या गुजरने वाली अधिकांश यात्री बसें अपनी टाइमिंग के चलते कई सुरक्षा मापदंडों का पालन नहीं करती। तेज रफ्तार के अलावा फायर फाइटिंग सिस्टम, इमरजेंसी डोर आदि की जांच भी नहीं करते हैं। टाइमिंग मेंटेन करने के चक्कर में यात्रियों की सुरक्षा से खिलवाड़ करते हैं।
कई स्लीपर और एसी बसों में इमरजेंसी मदद की सुविधा नहीं है। 21 मार्च 2025 को भोपाल से रायपुर आ रही यू लता की यात्रीबस में मौत हो गई थी। हार्टअटैक से उनकी मौत हुई थी। यात्रा के दौरान उन्हें बेचैनी महसूस हुई, लेकिन कोई मदद नहीं मिल पाई थी। दरअसल उस यात्रीबस में पैनिक बटन नहीं था। इस कारण वह किसी से मदद नहीं मांग पाई। सीट पर ही उनकी मौत हो गई थी।
Published on:
27 Oct 2025 02:52 pm
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