रायपुर. आंबेडकर अस्पताल के ठेका कर्मचारियों ने प्रदर्शन कर नई भर्ती का विरोध किया। दरअसल यहां सिक्योरिटी व हाउस कीपिंग के अलावा ज्यादातर कंप्यूटर ऑपरेटर आउटसोर्स वाले हैं। हाल ही में अस्पताल प्रबंधन ने कुछ कर्मचारियों को दैनिक वेतनभोगी तौर पर रखा है। कर्मचारी इसी बात का विरोध कर रहे थे। कर्मचारियों के प्रदर्शन से कुछ देर तक अस्पताल का कामकाज प्रभावित रहा। कर्मचारियों का कहना था कि उन्हें भर्ती में मौका नहीं दिया जा रहा है। इससे उनकी उम्र भी निकलती जा रही है। उनका आरोप है कि दैनिक वेतनभोगी श्रेणी के लिए जिन कर्मचारियों का चयन किया गया है उन्हें अस्पताल में काम करते हुए छह महीने भी नहीं हुए हैं, जबकि यहां कई कर्मचारी कई सालों से अपनी सेवाएं दे रहे हैं, उन्हें दैनिक वेतन कर्मचारियों की श्रेणी में शामिल नहीं किया गया है।
अस्पताल में 200 से ज्यादा ठेका कर्मचारी है, जो लंबे समय से काम कर रहे हैं। ये वेंडर के अंडर में काम कर रहे हैं। कई बार वेतन में जबर्दस्ती कटौती भी की जाती है, जिससे उनमें नाराजगी है। दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों को ठेका कर्मचारियों से ज्यादा वेतन (कलेक्टर दर) मिलता है। अस्पताल अधीक्षक डॉ. एसबीएस नेताम का कहना है कि सिक्योरिटी व हाउस कीपिंग ज्यादातर सरकारी अस्पतालों में ठेके पर चल रहे हैं। कर्मचारियों को वेंडर तय वेतन भी दे रहा है। शिकायत मिलने पर ठेकेदार के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
ठेका कर्मचारी बंटी निर्मलकर ने बताया कि कोरोनाकाल में अपनी जान जोखिम में डालकर कई कर्मचारियों ने अपनी सेवाएं दीं, मगर अस्पताल प्रबंधन ने इस ओर ध्यान नहीं दिया। अस्पताल में कार्यरत ठेका कर्मचारियों ने इस संबंध में कलेक्टर के नाम ज्ञापन सौंपा है, साथ ही आरोप लगाया है कि उन्हें शारीरिक और मानसिक रूप से प्रताडि़त किया जा रहा है। इधर, ठेकाकर्मियों ने कहा हमारी मांगों को ध्यान में रखते हुए उन्हें सीधे नियुक्ति दी जाए। अगर उनकी मांगों पर अस्पताल प्रबंधन ने ध्यान नहीं दिया तो, वे धरना प्रदर्शन करने पर मजबूर होंगे।
Updated on:
17 Mar 2024 08:28 pm
Published on:
17 Mar 2024 08:11 pm