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नया रायपुर की हरियाली और संस्कृति ने छू लिया असरानी का दिल, प्लॉट लेने की जताई थी इच्छा… जानें उन्होंने क्या कहा था?

Asrani: असरानी ने अपने प्रसिद्ध डायलॉग, अंग्रेजों के जमाने के जेलर को चार-पांच बार दोहराया था। वे बहुत सहज और विनम्र थे। उन्होंने रायपुर को इतना पसंद किया कि नया रायपुर में प्लॉट खरीदने की इच्छा जताई और इसकी प्रक्रिया के बारे में जानकारी ली।

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नया रायपुर की हरियाली और संस्कृति ने छू लिया असरानी का दिल (फोटो सोर्स- पत्रिका)

नया रायपुर की हरियाली और संस्कृति ने छू लिया असरानी का दिल (फोटो सोर्स- पत्रिका)

@ ताबीर हुसैन। Actor Asrani: प्रसिद्ध अभिनेता असरानी अब हमारे बीच नहीं रहे। असरानी 2015 और 2016 में रायपुर में आयोजित होजमालो कार्यक्रम में शामिल हुए थे। इस दौरान असरानी ने अपने प्रसिद्ध डायलॉग, अंग्रेजों के जमाने के जेलर को चार-पांच बार दोहराया था। वे बहुत सहज और विनम्र थे। उन्होंने रायपुर को इतना पसंद किया कि नया रायपुर में प्लॉट खरीदने की इच्छा जताई और इसकी प्रक्रिया के बारे में जानकारी ली।

2015 में असरानी ने एक मॉल में शॉपिंग का आनंद लिया। वे मॉल के आधुनिक माहौल को देखकर बहुत खुश हुए और बोले कि रायपुर में भी मेट्रो सिटी जैसा कल्चर आ गया है। वे बहुत सामान्य और जमीन से जुड़े इंसान थे। असरानी ने बताया था कि 70 साल के बाद वह केवल दो घंटे का शूटिंग स्लॉट लेते थे क्योंकि उनका मानना था कि इतने वर्षों के काम के बाद अब उन्हें ज्यादा काम करने की जरूरत नहीं है। उनका दैनिक जीवन पूरी तरह व्यवस्थित था।

Actor Asrani: नई पीढ़ी को संस्कृति से जोड़ने पर जताई थी खुशी

होजमालो के मंच पर असरानी का उत्साह देखते ही बनता था। वह मंच पर बैठकर दर्शकों की भीड़ को देखकर उत्साहित हो रहे थे। उन्होंने कहा कि सिंधी समुदाय की एकजुटता और रीति-रिवाजों को बनाए रखने का प्रयास सराहनीय है। वह इस बात से खुश थे कि हम नई पीढ़ी को अपनी संस्कृति से जोड़े रख रहे हैं। वे एक महान कलाकार और सादगी भरा इंसान थे। उनकी यादें हमारे दिलों में हमेशा जिंदा रहेंगी।

हथकड़ी में सतीश जैन ने ‘शोले’ के जेलर जैसा रोल ऑफर किया तो कहा था- ‘वो किरदार अब अमर हो चुका है, उसे दोबारा मत छेड़ो’

फिल्मकार सतीश जैन ने दिवंगत अभिनेता असरानी से जुड़ा एक दिलचस्प किस्सा साझा किया। वे बताते हैं हथकड़ी फिल्म में गोविंदा हीरो थे और मैं डायलॉग राइटर था। कहानी में एक हवलदार का किरदार था, जो थोड़ा हास्यप्रधान था। हमें लगा कि अगर इस रोल में ‘शोले’ वाले असरानीजी का अंदाज लाया जाए तो दर्शकों को बहुत आनंद आएगा।

डायरेक्टर टी. रामाराव से चर्चा कर मैं असरानीजी से मिलने उनके घर गया। असरानीजी का घर गोविंदा जी के घर के पास ही। उनकी पत्नी मंजू असरानी से मेरा परिचय पहले से था। हम एक धारावाहिक पर साथ काम कर चुके थे, जो दुर्भाग्यवश पूरा नहीं बन पाया।

मंजूजी से बातचीत के बाद असरानीजी से मिला और उन्हें कहानी सुनाई। जब मैंने बताया कि किरदार ‘शोले’ के जेलर जैसे ही है, तो असरानी जी मुस्कराए और बोले ‘वो किरदार अब अमर हो चुका है, उसे दोबारा मत छेड़ो’। अगर दोबारा वही किरदार बनाया तो उसकी कीमत खत्म हो जाएगी। मैं यह रोल नहीं करूंगा और मेरा सुझाव है कि अगर आप किसी और को भी लें, तो उसे भी ऐसा रोल मत देना। यह जवाब मुढे बहुत प्रभावित कर गया।

उन्होंने जिस तरह अपने बनाए किरदार की गरिमा को बनाए रखने की बात कही, वह एक सच्चे कलाकार की सोच थी। उन्होंने मना जरूर किया, लेकिन बड़े प्यार और समान के साथ। उस दिन मैंने महसूस किया कि असरानी सिर्फ एक बेहतरीन कॉमेडियन ही नहीं, बल्कि किरदार की आत्मा को समझने वाले संवेदनशील कलाकार भी हैं।