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वसुन्धरा ने पूछा- जिला या लाल बत्ती, कांठल के लाल ने चुना जिला…जानें कौन थे आदिवासी नेता ‘नंदलाल मीणा’

Rajatan News: प्रदेश भाजपा व आदिवासियों के कद्दावर नेता पूर्व मंत्री नंदलाल मीणा का लम्बी बीमारी के बाद शनिवार को अहमदाबाद के अस्पताल में निधन हो गया।

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Nanadlal Meena and Vasundhara Raje

फोटो- पत्रिका नेटवर्क

Rajatan News: प्रदेश भाजपा व आदिवासियों के कद्दावर नेता पूर्व मंत्री नंदलाल मीणा का लम्बी बीमारी के बाद शनिवार को अहमदाबाद के अस्पताल में निधन हो गया। कांठल के इस लाल के निधन के साथ ही एक युग का अंत हो गया। वे पिछले काफी समय से बीमार चल रहे थे। काफी समय से वे अहमदाबाद के अस्पताल में भर्ती थे। उनके निधन की सूचना मिलते ही भाजपा कार्यकर्ताओं व प्रतापगढ़वासियों में शोक की लहर दौड़ गई।

देर शाम अहमदाबाद से उनके शव को प्रतापगढ़ पैतृक निवास अम्बामाता गांव लाया गया। जहां बड़ी संख्या में शोकाकुल आमजन, भाजपा कार्यकर्ता, पदाधिकारी, जनप्रतिनिधि एकत्र थे। रविवार सुबह अंतिम दर्शनों के बाद अंतिम यात्रा निकालकर उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा। उनके पुत्र वर्तमान में राज्य सरकार में राजस्व मंत्री हेमंत मीणा उन्हे मुखाग्रि देंगे। अंतिम संस्कार में प्रदेश के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा सहित कई मंत्री और बड़े पदाधिकारी सहित बड़ी संख्या में भाजपा कार्यकर्ता शामिल होंगे।

मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने जताया दुख

मंत्री नंदलाल मीणा के निधन पर मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला सहित कई मंत्रियों, जनप्रतिनिधियों व भाजपा के बड़े पदाधिकारियों सहित प्रबुद्धजनों व आमजन ने गहरा दुख जताते हुए इसे अपूरणीय क्षति बताया। कांठल से जुड़े लोगों के सोश्यल मीडिया प्लेटफार्म पर हर दूसरी-तीसरी पोस्ट नंदलाल मीणा के निधन पर दुख व्यक्त करने से जुड़ी थी।

लम्बा राजनीतिक जीवन

1977 में छठी राजस्थान विधान सभा के लिए उदयपुर जिले के उदयपुर ग्रामीण (अ.ज.जा.) निर्वाचन क्षेत्र से जनता पार्टी सेे चुनाव जीतकर विधानसभा में प्रवेश किया। यहीं से एक लम्बे राजनीतिक सफर की शुरुआत हुई। जिसके बाद वे सात बार विधायक, एक बार सांसद व चार बार राजस्थान सरकार में मंत्री भी रहे।

वहीं संगठन में भी कई बड़े पदों को संभाला। उनकी पत्नी सुमित्रा मीणा भी चित्तौडगढ़ की जिला प्रमुख रही। वहीं उनकी पुत्रवधु सारिका मीणा ने भी जिला प्रमुख का पदभार संभाला। वृद्धावस्था के कारण सक्रिय राजनीति से संन्यास लेने के का कारण उनके पुत्र हेमंत मीणा को पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा ने प्रतापगढ़ विधानसभा से उम्मीदवार बनाया। जिसमें हेमंत मीणा ने ना सिर्फ चुनाव जीता बल्कि राजस्व मंत्री भी बनाए गए।

आदिवासियों के लिए संघर्ष

उन्होंने ना केवल विधानसभा और संसद में जनजातीय समाज की आवाज बुलंद की, बल्कि मंत्री पद पर रहते हुए आदिवासी व सर्व समाज के व्यापक हित में निर्णय लिए। प्रतापगढ़, चित्तौडगढ़ और उदयपुर के जनजीवन पर उनके कार्यों की छाप स्पष्ट रूप से दिखाई देती है। भील प्रदेश की मांग व आदिवासियों के लिए संघर्ष के चलते वे राजस्थान की राजनीति में जनजातीय नेतृत्व के एक मजबूत स्तंभ के रूप में याद किए जाते रहेंगे।

आदिवासियों के लिए लंबा संघर्ष

जाखम बांध का पानी प्रतापगढ़ लाने में भी नंदलाल मीणा का अहम योगदान था। उन्होंने विभिन्न चरणों में योजनाएं बनवाकर धरियावद में स्थित जाखम बांध का पानी प्रतापगढ़ लाने के लिए अथक प्रयास किए। साथ ही विधायक व मंत्री रहते हुए नंदलाल मीणा ने शिक्षा के क्षेत्र में पिछड़े आदिवासी जिले प्रतापगढ़ में शिक्षा को बढ़ावा दिया। उन्होंने एनसीवीटी की आईटीआई सहित कई स्कूल खोले।

उन्होंने जिले में खेलों का भी विकास किया। उन्होंने कई खेल मैदान और खेल गांव की भी स्थापना करवाई। जहां खेलकर खिलाड़ी देश-प्रदेश में प्रतापगढ़ का नाम रोशन कर रहे हैं।

मंत्री नंदलाल मीणा ने आदिवासी बाहुल्य जिले में सिंचाई के लिए पानी की समस्या को देखते हुए भंवरसेमला, चाचाखेड़ी, हमजाखेड़ी, मचलाना बांध भी बनवाए।

आदिवासी छात्र-छात्राओं के अध्यययन व रहने की परेशानी को देखते हुए जनजाति विकास मंत्री रहते हुए नंदलाल मीणा ने आदिवासी छात्र-छात्राओं के अध्यययन व रहने के लिए कई छात्रावास खोले। जिनमें बड़ी संख्या में आदिवासी छात्र-छात्राएं अध्ययन कर रहे हैं।

प्रतापगढ़ को जिला बनाया

बताते चलें कि, यों तो प्रतापगढ़ को राज्य सरकार की ओर से जिला घोषित किया गया लेकिन इसकी स्थापना में यहां के कद्दावर नेता नंदलाल मीणा का हाथ था। उन्होंने प्रतापगढ़ को जिला बनाने की पुरजोर मांग कर रखी थी। एक तरह से वे इसे जिला बनाने के लिए अड़े हुए थे।

पुराने लोग तो कहते हैं कि मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने नंदलाल से कहा कि लाल बत्ती यानि मंत्री पद और प्रतापगढ़ को जिला बनाने में से क्या चाहिए। जिस पर नंदलाल मीणा ने कहा मुझे लाल बत्ती नहीं प्रतापगढ़ को जिला बनते हुए देखना है। मुख्यमंत्री वसुंधरा ने इसका मान रखा और 26 जनवरी 2008 को प्रतापगढ़ जिला अस्तित्व में आया।

यहां देखे वीडियो-


यहां भी रहे सक्रिय

वे बैडमिंटन और वॉलीबॉल के अच्छे खिलाड़ी रहे हैं।

1996 में जिनेवा (स्विट्जऱलैंड) में आयोजित अंतरराष्ट्रीय श्रम सम्मेलन में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया।

2005-06 में उन्हें ‘विकास रत्न’ सम्मान नई दिल्ली की इंटरनेशनल फ्रेंडशिप सोसायटी द्वारा प्रदान किया गया।

आदिवासी संघ के महामंत्री के रूप में वे लंबे समय तक सक्त्रिस्य रहे और गरीब व पिछड़े वर्ग के उत्थान के लिए प्रयासरत रहे।

संसद में भी मनवाया प्रतिभा का लोहा

1989 में नौंवीं लोकसभा में सलुम्बर (अ.ज.जा.) संसदीय क्षेत्र से भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी के रूप में चुने गए। उन्हें कुल 203888 मत प्राप्त हुए जबकि उनके प्रतिद्वंदी भैरूलाल मीणा को 203010 मत मिले। यह मुकाबला मात्र 878 मतों के अंतर से जीता गया, जो उनके राजनीतिक जीवन की सबसे करीबी जीत मानी जाती है।

मंत्री पद की जिम्मेदारियां

नंदलाल मीणा ने चार बार राजस्थान सरकार में मंत्री पद की जिम्मेदारी निभाई

1978-1980: राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) - जनजाति क्षेत्रीय विकास, भेड़ व ऊन, उद्योग, राजकीय उपक्रम विभाग

1993-1998: राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) - नियोजन, श्रम, स्टेट मोटर गैराज, जनजाति क्षेत्रीय विकास विभाग

2007-2008: मंत्री - जनजाति क्षेत्रीय विकास विभाग

2013-2018: मंत्री - जनजाति क्षेत्रीय विकास विभाग

प्रारम्भिक जीवन परिचय

नन्दलाल मीणा का जन्म 25 जनवरी 1946 को राजस्थान के प्रतापगढ़ जिले के अम्बामाता का खेड़ा गांव में हुआ। उनके पिता का नाम किशनलाल और माता का नाम देवी बाई था। प्रारंभिक जीवन में ही वे सामाजिक और राजनीतिक चेतना से जुड़ गए। उदयपुर के मोहनलाल सुखाडिय़ा विश्वविद्यालय से उन्होंने बीए और एलएलबी की डिग्री प्राप्त की। जीवनसाथी सुमित्रा देवी के साथ उनका विवाह 20 जून 1968 को हुआ। उनके एक पुत्र वर्तमान सरकार में राजस्व मंत्री हेमंत मीणा और 5 पुत्रियां हैं। वे पेशे से कृषक थे, लेकिन समाज सेवा और राजनीति में उनकी गहरी पैठ रही।

राजनीति में संगठनात्मक पद

भाजपा राजस्थान की प्रदेश कार्यसमिति के सदस्य

जनजाति मोर्चा के सदस्य

1977 में जनता पार्टी की प्रदेश कार्यसमिति के सदस्य

1977-80 तक जनता युवा मोर्चा के प्रदेश उपाध्यक्ष

2003-2007 तक भाजपा राजस्थान के प्रदेश उपाध्यक्ष रहे।

राजस्थान विधानसभा की लगातार सदस्यता

नन्दलाल मीणा ने कुल 7 बार राजस्थान विधान सभा के सदस्य के रूप में कार्य किया

1977-1980: छठी विधानसभा - उदयपुर ग्रामीण (अ.ज.जा.), जनता पार्टी

1980-1985: सातवीं विधानसभा - प्रतापगढ़ (अ.ज.जा.), भारतीय जनता पार्टी - 19665 मतों से विजय, निकटतम प्रतिद्वंदी हरलाल को 15955 मत

1989-91: सदस्य नौंवी लोकसभा

1993-1998: दसवीं विधानसभा - प्रतापगढ़, 40714 मत मिले, निकटतम प्रतिद्वंदी धनराज मीणा को 26983 मत, अंतर - 13731

1998-2003: ग्यारहवीं विधानसभा - प्रतापगढ़, 39887 मत, निकटतम प्रतिद्वंदी केसर सिंह को 35517 मत, अंतर - 4370

2003-2008: बारहवीं विधानसभा - प्रतापगढ़, 60257 मत, निकटतम प्रतिद्वंदी विमलेश मीण को 48129 मत, अंतर - 12128

2008-2013: तेरहवीं विधानसभा - प्रतापगढ़, 65103 मत, निकटतम प्रतिद्वंदी बहादुर लाल को 51284 मत, अंतर - 13819

संबंधित खबरें

2013-2018: चौदहवीं विधानसभा - प्रतापगढ़, 82452 मत, निकटतम प्रतिद्वंदी वेलू राम को 50514 मत, अंतर - 31938

समिति सदस्यता

अनुसूचित जनजाति कल्याण समिति के विभिन्न कार्यकालों में सदस्य और सभापति रहे।

संसदीय परामर्शदात्री समिति (1982-85), विशेषाधिकार समिति, और अन्य महत्वपूर्ण समितियों में भी सक्रिय भूमिका निभाई।