राजधानी जयपुर की सड़कों की हालत प्रदेश में सबसे बदतर हो गई है। चाहे बात पुरानी बस्तियों की हो या नई कॉलोनियों की, ज्यादातर इलाकों में सड़कों की स्थिति बेहद खराब है।
चौपड़ की गलियों, सांगानेर, सीकर रोड, मंगलम सिटी, रॉयल सिटी, जगतपुरा सहित शहर के 50 से ज्यादा इलाकों में गड्ढों से भरी सड़कें लोगों के लिए जानलेवा साबित हो रही हैं।
जर्जर सड़कों पर हर दिन छोटे-बड़े हादसे होते हैं, मगर जिम्मेदार विभागों को कोई फर्क नहीं पड़ता है। नगर निगम, परिषद, पालिका और पीडब्ल्यूडी जैसे विभाग एक-दूसरे पर जिम्मेदारी डालते रहते हैं। ऐसे में आमजन को खामियाजा भुगतना पड़ रहा है।
जयपुर शहर में हर साल सीवर, बिजली और पानी की पाइप लाइन बिछाने या मरम्मत के लिए करीब 5000 किलोमीटर सड़कों की खुदाई होती है। लेकिन इसमें से केवल 2500 किलोमीटर सड़कों की ही मरम्मत की जाती है, जबकि बाकी आधी सड़कें वर्षों तक गड्ढों और मलबे से भरी पड़ी रहती हैं।
बारिश के मौसम में हालात और भी बदतर हो जाते हैं, जब पानी भरने से गड्ढे दिखाई नहीं देते और हादसे होना आम बात हो जाती है।ये सड़कों का खराब हाल सिर्फ हादसों का नहीं, बल्कि सेहत का भी दुश्मन बन गया है।