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आसाराम को किस आधार पर मिली 6 माह की अंतरिम जमानत, क्या आजीवन कारावास में भी होगा बदलाव?

Asaram Bail News: यौन उत्पीड़न के गंभीर मामलों में आजीवन कारावास की सजा काट रहा आसाराम 6 माह सलाखों के बाहर रहेगा। जानिए आसाराम को राजस्थान हाईकोर्ट ने किस आधार पर दी जमानत-

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Asaram File Photo. Patrika

Asaram Bail News: यौन उत्पीड़न के गंभीर मामलों में आजीवन कारावास की सजा काट रहे आसाराम को राजस्थान हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश संजय प्रकाश शर्मा और न्यायमूर्ति संगीता शर्मा की खंडपीठ ने 29 अक्टूबर 2025 को सुनवाई के दौरान आसाराम की सजा स्थगन और जमानत की अर्जी पर फैसला सुनाते हुए उन्हें 6 महीने की अंतरिम जमानत प्रदान कर दी।

यह जमानत पूरी तरह से मेडिकल ग्राउंड पर दी गई है, जहां आसाराम की बढ़ती उम्र और गंभीर बीमारियों को मुख्य आधार बनाया गया। कोर्ट ने आदेश दिया कि जमानत की विस्तृत शर्तें लिखित निर्णय में स्पष्ट की जाएंगी। इस फैसले के बाद समर्थकों में खुशी की लहर है, वहीं दूसरी तरफ पीड़ित पक्ष और राज्य सरकार ने इसका कड़ा विरोध किया।

कोर्ट में क्या हुई दलीलें?

सुनवाई के दौरान आसाराम की ओर से सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता देवदत्त कामत ने जोरदार पैरवी की। कामत ने कोर्ट को बताया कि 84 वर्षीय आसाराम लंबे समय से कई गंभीर बीमारियों से जूझ रहे हैं। जेल में उन्हें उचित चिकित्सा सुविधाएं नहीं मिल पा रही हैं, जिससे उनकी स्थिति लगातार बिगड़ रही है। कामत ने दलील दी कि इलाज के लिए आसाराम को हिरासत से बाहर निकालकर बिना किसी बंधन के जमानत दी जानी चाहिए।

उन्होंने आसाराम की मेडिकल रिपोर्ट्स और डॉक्टर्स की ओपिनियन को कोर्ट के सामने पेश किया, जिसमें उनकी स्वास्थ्य स्थिति को गंभीर बताया गया। कामत ने यह भी कहा कि उम्र और बीमारी के आधार पर मानवीय दृष्टिकोण अपनाते हुए जमानत मंजूर की जाए, ताकि वे बेहतर अस्पतालों में इलाज करवा सकें।

सरकार ने कोर्ट में जताया कड़ा विरोध

दूसरी तरफ, राजस्थान सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता (एएजी) दीपक चौधरी ने जमानत याचिका का कड़ा विरोध किया। चौधरी ने कोर्ट को बताया कि आसाराम को पहले भी कई बार स्वास्थ्य आधार पर अंतरिम जमानत मिल चुकी है, लेकिन हर बार वे तय समय पर सरेंडर करने में देरी करते रहे या जमानत का दुरुपयोग करते रहे।

उन्होंने कहा कि जोधपुर सेंट्रल जेल में कैदियों के लिए पर्याप्त मेडिकल सुविधाएं उपलब्ध हैं और आसाराम को नियमित रूप से डॉक्टर्स की देखरेख मिल रही है। चौधरी ने पिछली मेडिकल रिपोर्ट्स का हवाला देते हुए दावा किया कि आसाराम की स्थिति इतनी गंभीर नहीं है कि उन्हें जेल से बाहर इलाज की जरूरत पड़े।

पीड़िता की ओर से भी जताया गया विरोध

पीड़ित पक्ष की ओर से अधिवक्ता पी.सी. सोलंकी ने भी याचिका का विरोध किया। सोलंकी ने कोर्ट से अपील की कि आसाराम जैसे अपराधी को बार-बार जमानत देकर समाज में गलत संदेश न जाए। उन्होंने कहा कि पीड़िताओं को अभी भी न्याय की उम्मीद है और आसाराम की सजा को कमजोर करने की कोई कोशिश नहीं होनी चाहिए।

सोलंकी ने आसाराम के पिछले रिकॉर्ड का जिक्र करते हुए बताया कि जमानत मिलने पर वे फरार हो सकते हैं या गवाहों को प्रभावित कर सकते हैं। दोनों पक्षों की लंबी दलीलें सुनने के बाद खंडपीठ ने सभी पहलुओं पर विचार किया और अंततः 6 महीने की अंतरिम जमानत मंजूर कर ली। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यह जमानत केवल मेडिकल कारणों से दी गई है और सजा पर कोई स्थायी प्रभाव नहीं पड़ेगा।

सिर्फ 2 महीने पहले खारिज हो चुकी थी जमानत

बताते चलें कि यह पहली बार नहीं है जब आसाराम ने स्वास्थ्य आधार पर जमानत की मांग की हो। महज दो महीने पहले, 27 अगस्त 2025 को राजस्थान हाईकोर्ट की एक अन्य खंडपीठ न्यायमूर्ति दिनेश मेहता और न्यायमूर्ति विनीत कुमार माथुर ने आसाराम की अंतरिम जमानत बढ़ाने की याचिका को खारिज कर दिया था। उस समय कोर्ट ने अहमदाबाद के सरकारी अस्पताल के मेडिकल बोर्ड की रिपोर्ट पर भरोसा जताया था।

रिपोर्ट में कहा गया था कि आसाराम की स्वास्थ्य स्थिति स्थिर है और उन्हें अस्पताल में भर्ती होने या निरंतर चिकित्सकीय देखभाल की कोई जरूरत नहीं है। कोर्ट ने उस सुनवाई में टिप्पणी की थी कि आसाराम ने पिछले 3-4 महीनों में इलाज के नाम पर कई यात्राएं कीं। वे विभिन्न शहरों जैसे दिल्ली, अहमदाबाद और पुणे के अस्पतालों में गए, लेकिन किसी भी जगह नियमित फॉलो-अप नहीं कराया।

जजों ने इसे जमानत का दुरुपयोग माना और याचिका खारिज कर दी। इसके बाद आसाराम को सरेंडर करना पड़ा और वे जोधपुर जेल वापस लौट गए। अब सवाल उठता है कि सिर्फ दो महीने में क्या बदला जो कोर्ट ने जमानत दे दी? विशेषज्ञों का मानना है कि नई मेडिकल रिपोर्ट्स और आसाराम की बिगड़ती स्थिति ने कोर्ट को सहानुभूति दिखाने पर मजबूर किया। हालांकि, विरोधी पक्ष इसे न्याय प्रक्रिया में असंगति बता रहे है।

आसाराम के अपराधों की काली सच्चाई?

आसाराम का नाम सुनते ही यौन शोषण के घिनौने मामले सामने आते हैं। अगस्त 2013 में राजस्थान के जोधपुर के पास उनके आश्रम में एक 16 वर्षीय नाबालिग लड़की ने आसाराम पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया। पीड़िता के माता-पिता ने शिकायत दर्ज कराई, जिसके आधार पर 31 अगस्त 2013 को आसाराम को गिरफ्तार कर लिया गया। लंबी कानूनी लड़ाई के बाद अप्रैल 2018 में जोधपुर की विशेष अदालत ने आसाराम को दोषी ठहराया।

उन्हें भारतीय दंड संहिता (IPC), पॉक्सो एक्ट (POCSO) और किशोर न्याय अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई। यह सजा जोधपुर मामले में उनकी पहली बड़ी सजा थी। इसके अलावा, अक्टूबर 2013 में गुजरात के सूरत की एक पूर्व शिष्या ने आसाराम पर 2001 से 2006 के बीच अहमदाबाद के मोटेरा आश्रम में बार-बार यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया।

यह मामला कोर्ट में पहुंचने पर जनवरी 2023 में गांधीनगर की अदालत ने आसाराम को बलात्कार के लिए दोषी ठहराया। यह उनकी दूसरी आजीवन कारावास की सजा थी। आसाराम का बेटा नारायण साईं भी इन मामलों से अछूता नहीं रहा। वर्ष 2013 में सूरत की दो बहनों ने आरोप लगाया कि 2000 के दशक के मध्य में आसाराम और नारायण साईं ने उनका यौन शोषण किया। बड़ी बहन ने आसाराम पर और छोटी बहन ने नारायण साईं पर 2002 से 2005 के बीच सूरत आश्रम में यौन शोषण और हमलों का आरोप लगाया। नारायण साईं को भी अलग से सजा हुई।

लाखों अनुयायी होने के बावजूद, आसाराम पर सैकड़ों शिकायतें दर्ज हुईं, जिनमें ज्यादातर यौन शोषण और धोखाधड़ी से जुड़ी थीं। जेल जाने के बाद भी उनके समर्थक उन्हें निर्दोष बताते रहे, लेकिन कोर्ट के फैसले ने उनके अपराधों पर मुहर लगा दी।

क्या आजीवन कारावास में होगा बदलाव?

यह अंतरिम जमानत आसाराम की सजा को स्थायी रूप से प्रभावित नहीं करेगी। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यह केवल 6 महीने के लिए है और मेडिकल आधार पर दी गई है। सजा स्थगन की अर्जी अभी लंबित है, जिस पर आगे सुनवाई होगी। आसाराम की कानूनी टीम सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी कर रही है, जहां वे सजा को चुनौती दे सकते हैं। हालांकि, कानून के जानकारों का कहना है कि मेडिकल जमानत से सजा में बदलाव की संभावना कम है, क्योंकि अपराध गंभीर श्रेणी के हैं। पीड़िताओं के वकील सोलंकी ने कहा कि वे इस फैसले के खिलाफ अपील करेंगे।

राजस्थान हाईकोर्ट के अधिवक्ता यशपाल खिलेरी से सवाल-जवाब


  1. सवाल: राजस्थान हाईकोर्ट से आसाराम को कैसे मिली 6 महीने की अंतरिम जमानत?

जवाब: असाराम की 86 वर्षीय उम्र और कुल 12 साल, 11 माह, 27 दिन की भुगती सजा एवं विचाराधीन अपील की जल्द सुनवाई नहीं होने के तथ्यों को दृष्टिगत रखते हुए तथा कैदी को भी स्वास्थ्य के अधिकार व अच्छे इलाज पाने के मौलिक अधिकार इत्यादि कारणों के आधार पर 6 माह की अस्थाई जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया है।

2. सवाल: क्या आजीवन कारावास की सजा में हो सकता है बदलाव?

जवाब:29 अक्टूबर 2025 के जमानत आदेश से आजीवन कारावास की मूल सजा में कोई बदलाव नही किया गया है।।

3. सवाल: कोर्ट में सरकार और पीड़ित पक्ष के विरोध के बावजूद भी कैसे मिली जमानत?

जवाब: अपराधी की 86 साल की उम्र और अपील के अन्तिम निस्तारण में हो रही देरी और अपराधी की दिनों दिन गिरते स्वास्थ्य कारणों, जेल में आवश्यक इलाज सुविधा उपलब्ध नहीं होने और कानूनन अपराधी को भी अच्छे इलाज/उपचार का मौलिक अधिकार, इत्यादि कारणों को देखते हुए जमानत आवेदन स्वीकार किया गया।