
भारत-चीन के बीच चलेगी सीधी फ्लाइट। (फोटो- IANS)
चीन जाने के लिए अब भारत से सीधी फ्लाइट मिलेगी। यह सेवा 5 साल बाद फिर से शुरू हो रही है, जो 2020 में कोविड-19 महामारी के कारण बंद कर दी गई थी।
डायरेक्ट फ्लाइट सेवा बंद होने से काफी लोगों को परेशानी झेलनी पड़ी। वरुण केडिया नाम के एक शख्स पहले गुजरात में स्थित अपनी प्लास्टिक कंपनी के लिए मोल्डिंग मशीनें खरीदने के लिए साल भर में चार बार चीन जाते थे।
वरुण बताते हैं कि महामारी और जून 2020 में, भारत-चीन की सेनाओं के बीच झड़प ने सबकुछ बदल दिया। दोनों देशों के बीच कमर्शियल उड़ानें निलंबित कर दी गईं।
यहां तक कि दोनों देशों ने वीजा देने से भी मना कर दिया। जिसकी वजह से अब वरुण को भारत से ही महंगी मशीनें खरीदनी पड़ रही हैं।
अब चीन और भारत के बीच हालात थोड़े ठीक हुए हैं। वीजा वार्ता भी धीरे-धीरे आगे बढ़ रही है, तो इससे व्यवसायी को गति मिलने की उम्मीद है।
केडिया अब मार्च में चीन जाने की योजना बना रहे हैं। उन्होंने कहा कि चीन पर निर्भरता कुछ हद तक बढ़ने की संभावना है। हमें एक तरह से दो भाई कहा जाना चाहिए, लेकिन यह केवल आदर्शवाद के रूप में संभव है।
अगस्त में, भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सीमा संघर्ष के बाद पहली बार चीन गए। जिसके दो महीने बाद, उड़ानें फिर से शुरू हुईं। इससे कई लोगों को उम्मीद है कि इस तनावपूर्ण रिश्ते में एक नया अध्याय शुरू होगा।
भारतीय मीडिया के अनुसार, 26 अक्टूबर की शाम को लगभग 176 यात्री कोलकाता से ग्वांगझू जाने वाली इंडिगो की फ्लाइट में सवार हुए।
दोनों देशों के बीच संचालित होने वाली कंपनियों के लिए काम करने वाले एक भारतीय वकील संतोष पई ने कहा कि सीधी उड़ानों का बड़ा प्रभाव होता है। यह लोगों के बीच बेहतर संबंधों की नींव है।
पई ने कहा कि अब हम 2019 में कभी वापस नहीं जा रहे हैं। आर्थिक संबंध चाहे जैसे भी हों, चीन के प्रति भारत का प्राथमिक रुख राष्ट्रीय सुरक्षा से तय होगा।
बता दें कि भारत-चीन संबंधों में खटास आने से पहले, हवाई यातायात फल-फूल रहा था। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, 2019 में लगभग 8,90,000 यात्रियों ने दोनों देशों के बीच सीधे यात्रा की। वहीं, 12 लाख लोगों ने यात्रा के लिए इनडायरेक्ट फ्लाइट का सहारा लिया।
हालांकि, 2020 में हुई झड़प ने सीमा पार आवाजाही को पूरी तरह से नहीं रोका। आंकड़ों के अनुसार, 2024 में लगभग 5,70,000 यात्रियों ने इनडायरेक्ट फ्लाइट से चीन का सफर तय किया। लेकिन चीनी नागरिकों के लिए वीजा पर भारत सरकार द्वारा की गई सख्ती के बाद, अधिकांश यात्री भारतीय ही थे।
हिंदुस्तान टाइम्स के अनुसार, 2019 में लगभग 2,00,000 चीनी नागरिकों को वीजा मिले, 2024 में यह आंकड़ा सिर्फ 2,000 था। इस रोक का कभी कोई जवाब नहीं दिया गया। वहीं, सितंबर में, भारत में चीन के राजदूत ने कहा कि 2025 में भारतीय नागरिकों को 2,65,000 वीजा दिए जाएंगे।
सोलर मॉड्यूल निर्माण कंपनी नवितास के संस्थापक विनीत मित्तल ने चीनी इंजीनियरों को काम पर रखकर वीजा संबंधी समस्याओं का समाधान किया। मित्तल, अक्सर चीन आते-जाते रहते हैं। उन्होंने कहा कि हम आने वाले कुछ दिनों में तकनीक के लिए चीन पर अत्यधिक निर्भर रहेंगे।
विशेषज्ञों का कहना है कि अभी दोनों देशों के बीच संबंधों को और बेहतर बनाने के लिए समय की आवश्यकता होगी। इस बीच, भारत में कुछ लोगों को इस बात की भी चिंता है कि संबंधों में नरमी आने पर भारत चीन पर अधिक निर्भर हो जाएगा और देश में निर्मित चीजों पर कम ध्यम देगा।
गुरप्रीत सिंह, जो 2008 में एक छात्र के रूप में चीन गए थे। अब वे बीजिंग में टेक कंपनी 'श्याओमी' के लिए काम करते हैं। उन्होंने कहा कि हमें दोनों देशों के बीच टकराव को रोकने के लिए संस्कृति को समझना होगा। यह आसान नहीं है, लेकिन जैसा कि चीन में एक कहावत है- समस्या से ज्यादा समाधान हमेशा मौजूद होते हैं।
विकास यादव, जो एक बिजनेसमैन हैं। वह इस बात से निराश हैं कि भारत में कुछ लोग अभी भी यह कहानी फैला रहे हैं कि चीन एक खतरा है। उन्होंने कहा कि वे यह गलतफहमी पाल रहे हैं कि वे (चीन) हमें आगे बढ़ने से रोक रहे हैं।
यादव ने पिछले दो सालों में ऑटोमेशन उपकरण खरीदने के लिए छह बार अप्रत्यक्ष रूप से चीन की यात्रा की है। वे चाहते हैं कि ज्यादा से ज्यादा भारतीय यह समझें कि चीन को एक आर्थिक साझेदार के रूप में देखने से उन्हें कितना फायदा हो सकता है।
उदाहरण के लिए, कार निर्माता कंपनी BYD भारत में अपने परिचालन का विस्तार कर सकती थी। लेकिन उसे बाधाओं का सामना करना पड़ा और उसने पाकिस्तान की ओर रुख कर लिया। उन्होंने कहा कि इससे दूसरे जीतेंगे और हम हारेंगे।
(वाशिंगटन पोस्ट का यह आलेख पत्रिका.कॉम पर दोनों समूहों के बीच विशेष अनुबंध के तहत पोस्ट किया गया है)
Published on:
04 Nov 2025 06:00 am
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