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कौन था सिग्मा गैंग का रंजन पाठक? बिहार का मोस्ट वांटेड गैंगस्टर जो दिल्ली एनकाउंटर में मारा गया

दिल्ली के रोहिणी में पुलिस एनकाउंटर में बिहार का मोस्ट वांटेड रंजन पाठक मारा गया। इसके साथ ही उसके तीन अन्य साथी को भी पुलिस ने मार गिराया। ये सभी सिग्मा गैंग के सदस्य थे और इनके खिलाफ कई आपराधिक मामले दर्ज थे। 

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पटना

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Anand Shekhar

Oct 23, 2025

रंजन पाठक एनकाउंटर

रंजन पाठक एनकाउंटर

बिहार के सीतामढ़ी जिले से निकलकर अपराध की दुनिया में खौफ का दूसरा नाम बन चुका रंजन पाठक उर्फ रंजन बाबा आखिरकार पुलिस की गोलियों का शिकार हो गया। दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने बुधवार की देर रात एनकाउंटर में रंजन पाठक को ढेर कर दिया। उसके साथ उसके तीन शूटर भी मारे गए, जिनके पास से एके-47 और दो विदेशी पिस्टल बरामद हुई हैं।

यह एनकाउंटर दिल्ली के रोहिणी इलाके में हुआ, जहां दिल्ली पुलिस के क्राइम ब्रांच को गुप्त सूचना मिली थी कि सिग्मा गैंग का सरगना रंजन अपने साथियों के साथ किसी बड़ी वारदात की साजिश रचने आया है। पुलिस ने घेराबंदी की, लेकिन रंजन ने गाड़ी से उतरते ही अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी। जवाबी कार्रवाई में वह मौके पर ही ढेर हो गया।

कौन था रंजन पाठक?

सीतामढ़ी जिले के बथनाहा थाना क्षेत्र का रहने वाला रंजन पाठक उम्र में महज 25 साल का था, लेकिन खौफ में किसी पुराने डॉन से कम नहीं था। उसने कुछ ही वर्षों में बिहार से लेकर नेपाल बॉर्डर तक सिग्मा गैंग नाम से एक खूंखार गिरोह खड़ा कर लिया था। इस गैंग का कारोबार था सुपारी किलिंग, अपहरण, रंगदारी वसूलना और हथियारों की तस्करी। रंजन ने पुलिस पर भी कई बार हमला किया था। उसके खिलाफ बिहार के अलग-अलग जिलों में 35 से ज्यादा आपराधिक मामले दर्ज थे। सीतामढ़ी, मधुबनी, शिवहर और दरभंगा जिलों में उसका आतंक ऐसा था कि व्यापारी और ठेकेदार रात में सड़क पर निकलने से डरते थे।

सिग्मा गैंग का नेटवर्क

सिग्मा गैंग का नाम रंजन ने कॉलेज के दिनों में रखा था। शुरू में यह गैंग स्थानीय स्तर पर जमीन कब्जाने और रंगदारी वसूलने का काम करता था। धीरे-धीरे इसमें नेपाल के बदमाश और बिहार के कुख्यात अपराधी भी जुड़ते गए। रंजन का गैंग खास तौर पर नेपाल सीमा के पास काम करता था, जिससे उसे भागने और छिपने में आसानी होती थी। पुलिस के रिकॉर्ड के मुताबिक, गैंग के पास आधुनिक हथियार, विदेशी कारें और नेपाल में ठिकाने तक बने हुए थे।

रंजन पाठक ने पिछले साल सोशल मीडिया पर खुद को युवा समाजसेवी और दलित अधिकार कार्यकर्ता बताना भी शुरू किया था। पुलिस सूत्रों के मुताबिक, वह कुछ स्थानीय नेताओं से संपर्क में था जो उसके गैंग से सुरक्षा या वोटिंग में मदद लेते थे। हालांकि, जैसे-जैसे उसकी हिंसक गतिविधियाँ बढ़ीं, बिहार पुलिस ने उसे मोस्ट वांटेड की लिस्ट में डाल दिया।

दिल्ली में अंत, खौफ का साम्राज्य खत्म

रंजन पाठक पर बिहार पुलिस ने पहले 25000 और फिर 50000 रुपये का इनाम घोषित कर रखा था। उसके दिल्ली आने की सूचना खुफिया विभाग को कुछ दिन पहले ही मिली थी। कहा जा रहा है कि वह दिल्ली में किसी बड़े कारोबारी से रंगदारी वसूलने की फिराक में था। जब पुलिस ने नजफगढ़ में घेराबंदी की, तो रंजन ने अपनी AK-47 से करीब 30 राउंड फायर किए। जवाब में पुलिस ने पलटवार किया और कुछ ही मिनटों में उसका खौफनाक सफर खत्म हो गया।


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