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Cyber Crime : 5 दिन तक ‘डिजिटल अरेस्ट’ में रहे दंपती, गिरफ्तारी के डर से तोड़ दी FD, जानिए फिर क्या हुआ…

Cyber Crime : पटना के एक बुजुर्ग दंपति के साथ साइबर अपराधियों ने 27 लाख की ठगी का प्रयास किया। इसके लिए अपराधियों ने दंपति को 5 दिनों तक डिजिटल अरेस्ट कर के रखा। हालांकि दंपति की बेटी की सूझबूझ और पुलिस की तत्परता से दंपति बच गए। 

3 min read

पटना

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Anand Shekhar

Oct 15, 2025

representative picture (patrika)

Cyber Crime : राजधानी पटना में साइबर ठगों ने ठगी का ऐसा खौफनाक तरीका अपनाया, जिसने सबको हैरान कर दिया। पाटलिपुत्र थाना क्षेत्र में एक बुजुर्ग दंपती को ठगों ने पांच दिनों तक “डिजिटल अरेस्ट” कर रखा था। फोन और वीडियो कॉल के ज़रिए उन्हें इस कदर डराया गया कि वे गिरफ्तारी के भय में पांच दिन तक अपने ही फ्लैट में बंद रहे। ठगों ने खुद को नारकोटिक्स विभाग का अधिकारी बताकर 27 लाख रुपये की मांग की और दंपती तो अपनी एफडी (फिक्स्ड डिपॉज़िट) तोड़कर पैसा भेजने की तैयारी भी कर चुके थे। लेकिन किस्मत से, उनकी बेटी की एक कॉल ने सब कुछ पलट दिया। समय रहते पुलिस पहुंची और 27 लाख रुपये की ठगी रुक गई।

कैसे हुआ डिजिटल अरेस्ट

जानकारी के अनुसार, श्यामानंद झा, सेवानिवृत्त डिविजनल मैनेजर और उनकी पत्नी को एक अनजान नंबर से कॉल आया। दूसरी तरफ एक व्यक्ति ने खुद को मुंबई नारकोटिक्स विभाग का अधिकारी बताया। उसने कहा कि झा दंपती के नाम से एक पार्सल मुंबई के अंधेरी में पकड़ा गया है, जिसमें नकदी, पासपोर्ट और एटीएम कार्ड मिले हैं, जो थाईलैंड भेजे जाने थे। कॉलर ने बेहद आत्मविश्वास के साथ कहा, “आपके खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज हो सकता है। जांच पूरी होने तक आप घर से बाहर नहीं जा सकते। पुलिस किसी भी वक्त आपको गिरफ्तार कर सकती है।”

वीडियो कॉल कभी बंद नहीं हुआ

ठगों ने दंपती को आदेश दिया कि वे हर वक्त कैमरे के सामने रहें। खाना खाते समय, सोते समय, या घर के किसी भी कोने में जाते हुए, उन्हें मोबाइल कैमरा चालू रखना था। रात-दिन वीडियो कॉल जारी रही। पांच दिन तक वे उसी भय में जीते रहे कि ज़रा सी गलती हुई तो पुलिस उन्हें गिरफ्तार कर लेगी। ठगों ने धमकाते हुए कहा, “अगर आपने कॉल काटा या किसी को बताया तो आपकी गिरफ्तारी तय है।”

एफडी तोड़कर कर रहे थे 27 लाख ट्रांसफर की तैयारी

ठगों ने जांच प्रक्रिया के नाम पर दंपती से 27 लाख रुपये मांगे। कहा गया कि अगर पैसा नहीं दिया तो मामला सीधा एनसीबी के दफ्तर जाएगा। डरे-सहमे दंपती अगले ही दिन बैंक पहुंचे और अपनी एफडी तोड़ दी। सोमवार की रात उन्होंने 27 लाख रुपये का आरटीजीएस तैयार किया और मंगलवार सुबह साइबर ठग के अकाउंट में भेजने वाले थे।

बेटी की कॉल से खुली पोल, पुलिस ने बचाया

उसी रात, मुंबई में रह रही उनकी बेटी ने जब माता-पिता से बात करने की कोशिश की, तो उन्हें कुछ अजीब लगा। पांच दिन से लगातार वीडियो कॉल पर रहने और हड़बड़ाहट में जवाब देने पर बेटी को शक हुआ। उसने ज़ोर देकर बात की, तो दंपती ने डरते-डरते पूरी बात बताई। बेटी ने फौरन पाटलिपुत्र थाना पुलिस को सूचना दी। रात करीब 1 बजे थानेदार अतुलेश कुमार सिंह और टीम मौके पर पहुंची। दरवाजा खुलवाया गया तो दंपती उसी वक्त ठगों से वीडियो कॉल पर थे। पुलिस ने कॉल डिस्कनेक्ट कराया, और उन्हें समझाया कि वे साइबर ठगों के शिकार हो चुके हैं। तुरंत कार्रवाई करते हुए पुलिस ने 27 लाख की राशि ट्रांसफर होने से रोक दी।

पुलिस ने शुरू की जांच

डीएसपी विधि व्यवस्था–2 मो. मोहिनुरुल्ला अंसारी ने बताया, “यह मामला ‘डिजिटल अरेस्ट’ के नाम पर साइबर ठगी का नया रूप है। अपराधी लोगों को डराकर वीडियो कॉल पर बंदी बना लेते हैं और पैसा ऐंठने की कोशिश करते हैं। हमने पीड़ित दंपती को सुरक्षित निकाल लिया है और मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।”

क्या है डिजिटल अरेस्ट?

‘डिजिटल अरेस्ट’ कोई कानूनी शब्द नहीं है। यह साइबर अपराधियों की नई चाल है, जिसमें वे खुद को पुलिस या सरकारी एजेंसी का अधिकारी बताकर पीड़ित को वीडियो कॉल या ऑडियो कॉल पर नजरबंद कर लेते हैं। वे कहते हैं कि जांच पूरी होने तक कॉल काटना मना है और इसी दौरान डर का माहौल बनाकर ठगी की रकम वसूलते हैं।