तेजस्वी यादव डिप्टी सीएम भी रह चुके हैं। (Photo - ANI)
बिहार विधानसभा चुनाव में राजद नेता व पूर्व डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव के दो सीटों से चुनाव लड़ने की उम्मीद जताई जा रही है। इनमें राघोपुर उनकी परंपरागत सीट है, जहां से वह चुनाव जीतते आए हैं और अब बात चल रही है कि वह मधुबनी की फूलपरास से भी मैदान में उतरने की तैयारी कर रहे हैं। राजनीतिक पंड़ितों को इसके पीछे जनसुराज पार्टी के प्रशांत किशोर की सुगबुगाहट लग रही है। यह भी कहा जा रहा है कि वह मिथिलांचल में आरजेडी की पकड़ मजबूत करना चाहते हैं।
प्रशांत किशोर उर्फ पीके इस विधानसभा चुनाव में दल-बदल के साथ उतरे हैं। उन्होंने सभी 243 विधानसभा सीटों पर प्रत्याशी उतारने का ऐलान किया है। साथ ही खुद राघोपुर से चुनाव लड़ने का संकेत दिया है। अगर ऐसा होता है तो यह सीट तेजस्वी बनाम पीके के रूप में बिहार की सबसे हाई-प्रोफाइल पॉलिटिकल सीट बन सकती है। हालांकि एनडीए खेमे में तेजस्वी के दो सीटों से चुनाव लड़ने को लेकर यह चर्चा है कि यह कदम 'सुरक्षा कवच' या बैकअप प्लान के रूप में हो सकता है ताकि अगर किसी एक सीट पर मुश्किल आती है, तो दूसरी सीट से चुनाव में वापसी की जा सके।
फूलपरास सीट वर्तमान में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू के कब्जे में है, जहां से शीला कुमारी मौजूदा विधायक हैं। 2020 के चुनाव में कांग्रेस के कृपानाथ पाठक ने उन्हें कड़ी टक्कर दी थी। शीला ने यह सीट महज 11,000 वोटों के अंतर से जीती थी। यह सीट 2010 से जेडीयू का गढ़ मानी जाती रही है। अगर तेजस्वी यहां जीत दर्ज करते हैं, तो यह न सिर्फ जेडीयू के लिए झटका होगा, बल्कि आरजेडी के लिए एक राजनीतिक मनोबल बढ़ाने वाली जीत भी साबित होगी।
तेजस्वी यादव का यह फैसला आरजेडी की 2020 की मजबूत स्थिति को भी दर्शाता है। उस चुनाव में आरजेडी 75 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी। हालांकि महागठबंधन को कुल 110 सीटें मिली थीं जबकि एनडीए 122 पर सिमट गया था। कई सीटों पर हार का अंतर महज कुछ सौ वोटों का था।
राघोपुर सीट से तेजस्वी यादव ने 2015 में पहली बार चुनाव जीता था और 2020 में भाजपा के सतीश कुमार को 38,000 वोटों के अंतर से हराया था। यह सीट उनके परिवार की राजनीतिक विरासत रही है। यहीं से लालू प्रसाद यादव और राबड़ी देवी भी विधायक रहे हैं।
फूलपरास से चुनाव लड़ना तेजस्वी की मिथिलांचल में पकड़ मजबूत करने की कोशिश भी माना जा रहा है। वह इलाका जिसने 2020 में एनडीए को बचाया था, लेकिन 2015 में महागठबंधन (जब जेडीयू भी साथ थी) ने यहां 30 में से 25 सीटें जीती थीं।
Updated on:
09 Oct 2025 12:49 pm
Published on:
09 Oct 2025 10:42 am
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