Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

विदेशी महिला के जुनून से आया बड़ा बदलाव, मिट्टी से उठे बच्चे अंतरराष्ट्रीय स्तर तक पहुंचे

MP News: कभी जात-पात, छुआछूत और नशे में डूबा पन्ना जिले का छोटा-सा आदिवासी गांव जनवार आज भारत के ग्रामीण खेल मानचित्र पर उजली मिसाल बन चुका है।

less than 1 minute read
Panna tribal village Janwar

Panna tribal village Janwar (फोटो सोर्स : पत्रिका)

शशिकांत मिश्रा

MP News: कभी जात-पात, छुआछूत और नशे में डूबा पन्ना जिले का छोटा-सा आदिवासी गांव जनवार(Panna tribal village Janwar) आज भारत के ग्रामीण खेल मानचित्र पर उजली मिसाल बन चुका है। यहां के बच्चों के कपड़े भले ही पुराने व फटे हों, लेकिन उनकी आंखों में ओलंपिक और अंतरराष्ट्रीय मेडल के सपने चमकते हैं। यह बदलाव किसी सरकारी योजना से नहीं, बल्कि एक विदेशी महिला के समर्पण और खेल के जुनून से आया।

आदिवासी गांव में जर्मन महिला की पहल

यह कहानी शुरू होती है दस साल पहले, जब जर्मनी की उलरिके रेनहार्ट 2015 में खजुराहो घूमने आई थीं। वे ग्रामीण जीवन से रूबरू होने के लिए जनवार पहुंचीं तो माहौल देखकर वे दंग रह गईं। पूरा गांव दो हिस्सों में बंटा था। यादव व आदिवासी समाज, जो एक-दूसरे से छूने तक से बचते थे। लड़कियों का खेलना या बाहर निकलना वर्जित था। उलरिके ने खेल से ही इस सामाजिक दीवार को गिराने का फैसला किया। शुरुआत आसान नहीं थी। रात में स्केट पार्क में शराबखोरी, जुआ और तोड़फोड़ होती थी। उलरिके के बांस के बने घर तक को नुकसान पहुंचाया गया, पर उसने हार नहीं मानी।

मिट्टी से उठे…अंतरराष्ट्रीय स्तर तक पहुंचे

जनवार से कई बच्चे राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर तक पहुंच चुके हैं। आशा गोंड भारत की पहली प्रोफेशनल आदिवासी स्केटबोर्डर बनीं। वे ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी तक पहुंचीं, ब्रिटिश फिल्म फेस्टिवल व नेटफ्लिक्स की डॉक्यूमेंट्री स्केटर गर्ल में नजर आईं। आशा ने सचिन तेंदुलकर के साथ भी काम किया और अपना रैप सॉन्ग ’आई एम दैट गर्ल’ बनाया। अरुण गोंड दिल्ली में बच्चों को स्केटबोर्डिंग सिखा रहे हैं व ओलंपिक की तैयारी में जुटे हैं। उन्हें उत्तर प्रदेश सरकार फंडिंग कर रही है।