
गहरी सांस लेना सिखाएं
बच्चों के गुस्से को शांत करने के लिए गहरी सांस लेने की तकनीक सिखाएं। उनके ध्यान को किसी और गतिविधि में भटकाएं। उनके साथ बातचीत करके भावनाओं को समझें। बच्चों के अच्छे व्यवहार की सराहना करें। स्क्रीन टाइम को सीमित करने से भी मदद मिलती है। – जेहाराम कलबी, सिरोही
बच्चों से मित्रवत व्यवहार हो
बच्चे गुस्सा करते हैं तो उन्हें बार-बार टोके नहीं। उनके साथ मित्रवत व्यवहार करें। जब बच्चा गुस्सा हो तो उसे कुछ मत बोलो। बच्चों को थोड़ी देर चुपचाप घूर कर देखने से वह समझ जाएगा और शांत हो जाएगा। - डॉ. राजेन्द्र कुमावत, जयपुर
गुस्सा होने की वजह पता करें
बच्चों की छोटी छोटी बातों पर गुस्सा होने की वजह का अभिभावकों को पता करना चाहिए। उनकी बातें तसल्ली से सुने और अच्छे से बातें करें। बच्चें गुस्सा किसी डर के कारण करते हैं। बिना दबाव के उनकी दिनचर्या बढ़िया बनाए। इन सबको करने से बच्चों के बात बात पर गुस्से होने को कम किया जा सकता है। - निर्मला वशिष्ठ, अलवर
ऊर्जा को सही दिशा दे
बच्चों के बार-बार गुस्सा करने पर बच्चे को डांटने या मारने की बजाय प्यार और धैर्य से समझाएं। गुस्सा होने के कारणों को जान कर बच्चों की अतिरिक्त ऊर्जा को खेल कूद, दौड़, योग, साइक्लिंग, पेंटिंग या अन्य रचनात्मक गतिविधियों में लगाएं। - डॉ. अजिता शर्मा, उदयपुर
मनोरंजन के साधन उपलब्ध हो
बच्चों के गुस्से को नियंत्रित करने के लिए उन्हें शांत वातावरण में अपनी भावनाओं को व्यक्त करने दें। साथ ही उन्हें मनोरंजन और खेलकूद के साधन उपलब्ध करवाए जाने चाहिए। गहरी सांस लेने जैसी तकनीकें सिखाएं और रचनात्मक क्रियाकलापों में व्यस्त रखें। पर्याप्त मात्रा में नींद लेना भी जरूरी है। - प्रकाश भगत, कुचामन सिटी
इंतजार करना सिखाएं
परिवार के साथ नियमित बातचीत और अच्छे संस्कार गुस्सा नियंत्रण की नींव मजबूत करते हैं। हर मांग पूरी करने की बजाय बच्चों को इंतजार करना सिखाएं। समय पर नींद और बाहर खेलने से बच्चा स्वाभाविक रूप से शांत होता है। स्थिति बार-बार बिगड़े तो विशेषज्ञ की सलाह लेना माता-पिता की जिम्मेदारी है। - अशोक ताखर, सीकर
ध्यान हेतु प्रेरित करके
बच्चे मासूम एवम चंचल मन के होते है। कई बार वे छोटी बातों पर चिड़चिड़े हो जाते है। अभिभावकों को उन्हे प्यार से समझाते हुए उचित मार्गदर्शन देना चाहिए। नियमित व्यायाम एवम ध्यान हेतु प्रेरित करने से बच्चें मानसिक तनाव से दूर रहते हैं। - गोयल, रतलाम
आपके व्यक्तित्व का प्रभाव
अभिभावक अपने बच्चों के साथ ज्यादा समय व्यतीत करें। आपके आदर्श और अनुभव से बच्चों का व्यक्तित्व निर्माण होता है। इसके साथ ही योग, प्राणायाम व आध्यात्म की ओर प्रेरित करना भी क्रोध को कम करने की एक युक्ति हो सकती हैं। - कृष्ण कांत शर्मा, बदलेटा खुर्द
सहनशीलता का गुण विकसित करके
माता पिता अपने बच्चों की ख्वाइश तुरन्त पूरी करने की कोशिश करते हैं, जिससे बच्चों में सहनशीलता का स्तर शून्य हो जाता है। इसलिए बच्चों कि डिमांड को तुरंत पुरा करने से बचें। इससे उनमें सहनशीलता का गुण विकसित होता है। - शंकर गिरि, रावतसर
शांत दृष्टिकोण अपनाना ज़रूरी
बच्चे की भावनाओं को स्वीकारें और उसे शांत होने का समय दें। बच्चों को गहरी साँस लेना और चित्र बनाना सिखाएं। बच्चे के सामने अपने आप को शांत रखने का एक अच्छा उदाहरण प्रस्तुत करें। नियमित रूप से उनसे बात करें और प्यार व सुरक्षा का अहसास कराएं। - श्रवण जाखड़, बाड़मेर
खेल कूद के अवसर दें
बच्चों के गुस्सा होने पर उनकी बातों को सुने। शांत लहजे में बात करे, डांटने से बचें और धैर्य रखे। बच्चों को खेल - कूूद के लिए प्रोत्साहित करें। - दिलखुश प्रजापत, गोनेर मोड़
अभिभावक करें गुस्से को काबू
बच्चों के सामने गुस्सा करने से बचें क्योंकि बच्चें जो देखते है वह ज्यादा सिखते हैं। बच्चों को छोटी छोटी बातों पर ड़ांटना नहीं चाहिए। बच्चों को अपनी बात बिना गुस्सा किए रखना सिखाएं। गुस्से के गलत परिणाम के बारे में बताएं। - ओमप्रकाश सुथार, बीकानेर
बच्चों को प्यार से समझाएं
बच्चा गुस्सा करता है तो माता पिता उसे डांटते हैं या मारते हैं लेकिन ऐसा ना करें बल्कि बच्चे को प्यार से समझाएं। कोई ऐसी बात जिसे वह बताना नहीं चाहता उसका पता लगाएं। कई बार बच्चा इसी कारण से गुस्सा करता है। - प्रियव्रत चारण, जोधपुर
प्यारभरी समझाइश देना जरूरी
बच्चों के गुस्सा होने का कारण अभिभावकों द्वारा उनकी हर छोटी - बड़ी मांग को पूरा करना तथा मोबाइल की लत लगाना है। बच्चों की हर मांग को पूरा करने से बचने तथा मोबाइल न देखने की प्यारभरी समझाइश देकर उनके गुस्से को नियंत्रित किया जा सकता है। - वसंत बापट, भोपाल
बच्चों कि बातों पर ध्यान देकर
बच्चों का ध्यान डाइवर्ट करके उन्हें छोटी-छोटी बातों पर क्रोध करने से बचाया जा सकता है। बाल हठ का गुस्से से गहरा सम्बन्ध है। बच्चों के गुस्से को नियंत्रित करने के लिए उनकी बातों पर ध्यान देना आवश्यक है। - ललित महालकरी, इंदौर
बच्चों के मन को शांत करके
बच्चों के गुस्से को खेल के माध्यम से कम किया जा सकता है। खेल बच्चों को अपनी ऊर्जा सकारात्मक रूप से व्यक्त करना सिखाता है, जिससे बच्चा मन को शांत रखकर गुस्सा कम करता है। - झंवरलाल रेलवे, बीकानेर
गुस्से की कारण को समझकर
गुस्से के वक्त बच्चों की भावनाओं को समझकर और उनका ध्यान भटकाकर गुस्से को काबू किया जा सकता है। ध्यान भटकाने के लिए पेंटिग, खेल इत्यादि में उनके साथ नियमित और पर्याप्त समय दे। बच्चे की रुचियों को समझने का प्रयास करे। - हरीश देवासी, आलपुर
गुस्से के नुकसान बताकर
बच्चे के गुस्सा होने पर उन्हें प्यार से समझाया जाए। गुस्से से होने वाले नुक़सान बताकर खुद भी उनसे प्यार से बात करें। अगर घर का माहौल खुशनुमा होगा तो बच्चों पर भी इसका सकारात्मक असर पड़ेगा। - साजिद अली, इंदौर
माता पिता शांतिपूर्ण व्यवहार से
बच्चों के सामने माता पिता ऐसी बातें ना करें जो उनके सुनने के लिये उचित ना हों। घर का शांतिपूर्ण वातावरण, परिवार के सभी सदस्यों का एक दूसरे के प्रति सम्मान, बच्चों में गुस्सा ना आने के लिये बहुत मददगार साबित हो सकते हैं। बच्चों को पढाई और खेलकूद की गतिविधियों में व्यस्त रखा जाए। - नरेश कानूनगो, देवास
माता-पिता के धैर्य से
बच्चों के गुस्से पर माता पिता को तत्काल कोई प्रतिक्रिया नहीं देनी चाहिए। इसके बजाय अपने बच्चों के साथ अच्छा व्यवहार करके थोड़ा धैर्य रखना चाहिए। बच्चों के गुस्से के पीछे छिपे कारणों को जानना जरूरी है, जिससे आसानी से उनके गुस्से को शांत किया जा सके। - मीना सनाढ्य, उदयपुर
माता पिता संयमी बने
गुस्से के समय बच्चों को डांटने के बजाय उनकी भावनाओं को समझने की कोशिश करें। संवाद के माध्यम से कारण जानकर गुस्से का शांतिपूर्वक समाधान करें। बच्चों के सकारात्मक व्यवहार की प्रशंसा जरूरी है। खेल, कहानियों या धार्मिक आध्यात्मिक गतिविधियों से उनकी ऊर्जा को सही दिशा दें। - अमृतलाल मारू, इन्दौर
Published on:
29 Oct 2025 06:57 pm
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