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स्वच्छ पेयजल उपलब्धता को लेकर चिंताजनक तस्वीर

चिंताजनक तथ्य यह भी है कि सर्वे में देश के 485 शहरों की मिलाकर मात्र 46 नगर पालिकाएं ही स्वच्छ पानी के लिए तय मापदंडों पर 100 प्रतिशत खरी उतरी हैं। बाकी सभी जगह पानी स्वच्छ नहीं है।

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इसमें दो राय नहीं है कि पिछले सालों में देश ने अलग-अलग क्षेत्रों में विकास के कीर्तिमान रचे हैं। वहीं कई क्षेत्रों में देश विकास के पथ पर निरंतर गतिशील भी है। लेकिन स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराने के मोर्चे पर प्रगति को संतोषजनक कतई नहीं कहा जा सकता। वह भी ऐसे में जब स्वच्छ जल की उपलब्धता हर व्यक्ति का मूलभूत अधिकार है। हाल ही देश के ३०२ जिलों के सर्वे को लेकर लोकल सर्कल्स की रिपोर्ट सचमुच चिंताजनक है, जिसमें कहा गया है कि शहरी क्षेत्रों में तो १२ फीसदी घरों तक पाइप लाइन से पेयजल आपूर्ति ही नहीं हो पा रही। जिन्हें मिल रहा है उनमें भी महज छह फीसदी घरों को ही स्वच्छ जल सुलभ है।
लगातार बढ़ती आबादी और विस्तार पाते शहरों की जरूरत पूरी कर पाना निश्चित तौर पर आसान नहीं है, क्योंकि बढ़ती आबादी के अनुरूप पाइप लाइनों के विस्तार, ट्रीटमेंट प्लांटों की संख्या में वृद्धि जैसे आधारभूत साधन-सुविधाओं की जरूरत है। इतने बड़े काम में थोड़ी-बहुत कमी तो नजरअंदाज की जा सकती है लेकिन, 78 साल के आजाद देश में यह कमी इस कदर व्याप्त हो कि आंशिक रूप से ही स्वच्छ जल पहुंच सके, तो इस बारे में विचार करना जरूरी हो जाता है। चिंताजनक तथ्य यह भी है कि सर्वे में देश के 485 शहरों की मिलाकर मात्र 46 नगर पालिकाएं ही स्वच्छ पानी के लिए तय मापदंडों पर 100 प्रतिशत खरी उतरी हैं। बाकी सभी जगह पानी स्वच्छ नहीं है। शहरों में एक वर्ग वाटर प्यूरीफायर और आरओ का इस्तेमाल कर रहा है, तो कुछ फिटकरी डालकर और पानी को उबालकर काम में लेने को मजबूर हैं। तमाम उपायों के बावजूद लोगों को पीने का शुद्ध पानी पाने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ती है। इन तथ्यों के दुष्परिणामों की तरफ जाएं तो नीति आयोग की वर्ष 2018 की रिपोर्ट आंखें खोलने वाली है। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि स्वच्छ जल के अभाव में हर साल दो लाख से ज्यादा लोगों की जान जा रही है। पेयजल की शुद्धता को लेकर शहरों का ही यह हाल है तो गांवों की स्थिति का तो सहज की अंदाज लगाया जा सकता है। ग्रामीण इलाकों में पानी की किल्लत गर्मियों की शुरुआत से ही हो जाती है। पानी के इंतजाम के लिए लोगों को कोसों चलना पड़ता है।
गांवों में घर-घर पानी पहुंचाने के लिए सरकार ने जल जीवन मिशन चला रखा है। मिशन को सक्रिय रूप से तो आगे बढ़ाना होगा, यह भी सुनिश्चित करना होगा कि लोगों के घरों तक शुद्ध पानी पहुंचे। इससे देश के नागरिकों को उनका मूलभूत हक तो मिलेगा ही आए दिन होने वाले जलजनित संक्रमण से भी एक हद तक बचाव हो सकेगा। लोगों