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प्रसंगवश: तृतीय श्रेणी शिक्षकों के तबादलों की स्थायी नीति बने

सरकार चाहे कांग्रेस की रही हो या भाजपा की। नीति नहीं होने की आड़ में ही तबादले अटकाए जाते रहे हैं।

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कोटा

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Ashish Joshi

May 21, 2025

CG teacher

शिक्षक की फाइल फोटो (फोटो: पत्रिका)

परीक्षाएं समाप्त होने के साथ ही प्रदेश के स्कूलों में ग्रीष्मावकाश भी शुरू हो गया है। जुलाई में सरकारी स्कूलों में नया शिक्षा सत्र भी शुरू हो जाएगा। लेकिन यक्ष प्रश्न यही बना हुआ है कि क्या इस बार तृतीय श्रेणी शिक्षकों के तबादले हो पाएंगे। यह प्रश्न इसलिए भी कि पिछले सात साल से इस श्रेणी के शिक्षक अपने इच्छित स्थान पर पदस्थापन का इंतजार कर रहे हैं। इनमें बड़ी संख्या में नवनियुक्त शिक्षक भी हैं, जिनका नियुक्ति के बाद एक बार भी तबादला नहीं हुआ। यों तो तबादला करना या न करना सरकार का विशेष अधिकार है लेकिन सिर्फ तृतीय श्रेणी शिक्षकों को ही तबादलों से वंचित करने पर खुद शिक्षक भी सवाल खड़े कर रहे हैं। इन शिक्षकों की मांग है कि नया सत्र शुरू होने से पहले ही तृतीय श्रेणी शिक्षकों के तबादले किए जाएं। शिक्षकों का यह भी कहना है कि खुद शिक्षा मंत्री मदन दिलावर कह चुके हैं कि 15 मार्च के बाद तबादले खोले जाएंगे। हालांकि यह तिथि भी निकल चुकी है। पिछले कांग्रेस राज में भी पांच साल तक तृतीय श्रेणी शिक्षक तबादलों की मांग करते रहे, लेकिन तब भी तबादले नहीं हुए। अंतिम बार वर्ष 2018 में ही इस श्रेणी के शिक्षकों के तबादले हो सके थे। तब भी बड़ी संख्या में एकल महिला, विधवा, परित्यक्ता, दिव्यांगाें के अलावा गंभीर रोग से ग्रसित आवेदकों को राहत मिली थी।


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सरकार चाहे कांग्रेस की रही हो या भाजपा की। शिक्षकों के तबादले, नीति नहीं होने की आड़ में ही अटकाए जाते रहे हैं। कई कमेटियां व मंत्रिमंडलीय उपसमिति के गठन के बावजूद तबादलों को लेकर कोई कारगर नीति नहीं बन सकी है। वर्ष 1994 से लेकर वर्ष 2021 तक करीब आधा दर्जन कमेटियां तबादला नीति पर सुझाव देने को लेकर बनी लेकिन नतीजा सिफर ही रहा। दरअसल तबादलों के लिए डिजायर संस्कृति ने ही कोई नीति नहीं बनने दी। प्रदेश में करीब साढ़े तीन लाख तृतीय श्रेणी शिक्षक हैं।

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इनमें से 72 हजार शिक्षक कई वर्षों से ‘डार्क जोन’ वाले जिलों में कार्यरत हैं। वे अपने गृह जिले के आसपास आना चाहते हैं। अब शिक्षक संगठनों ने तबादले नहीं खोलने पर आंदोलन की चेतावनी दी है। प्रदेश में अगले महीने तक तबादला प्रक्रिया पूरी नहीं हो पाती तो फिर नया शिक्षा सत्र शुरू हो जाएगा। सरकार को शिक्षक संगठनों से भी विचार-विमर्श कर तबादलों की स्थायी नीति बनानी चाहिए ताकि असमंजस दूर हो सके।

  • आशीष जोशी: ashish.joshi@epatrika.com